
चेन्नई। तमिलनाडु इस समय साइक्लोन दितवाह (Cyclone Dithwah) के भारी असर से जूझ रहा है। तेज हवाओं, लगातार बारिश और समुद्री तूफान ने कई जिलों में भारी नुकसान पहुंचाया है। रविवार शाम तक यह चक्रवात तमिलनाडु और पुडुचेरी के तट से टकराने के बेहद करीब पहुंच गया था। इसका असर इतना तेज है कि राज्य के कई तटीय इलाकों में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।
तूतीकोरिन, तंजावुर और मयिलादुथुराई जिलों में बारिश से जुड़ी घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई। दो लोगों की जान दीवार गिरने से गई, जबकि एक 20 साल के युवक की मौत करंट लगने से हुई। ग्रामीण इलाकों में 149 जानवरों की मौत और 234 कच्चे घरों के टूटने की घटनाएं भी सामने आई हैं। सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है, क्योंकि करीब 57,000 हेक्टेयर खेती की जमीन पानी में डूब गई है।
मौसम विभाग के अनुसार साइक्लोन दितवाह अभी भी सक्रिय है और हवा की गति 70–80 kmph तक दर्ज की जा रही है, जो कई इलाकों में 90 kmph तक पहुंच सकती है। IMD ने कुड्डालोर, मयिलादुथुराई, नागपट्टिनम, विल्लुपुरम और चेंगलपट्टू जैसे जिलों में भारी से भी ज्यादा बारिश की चेतावनी दी है। IMD के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि तूफान रविवार सुबह तट से लगभग 70 किलोमीटर दूरी पर था और धीरे-धीरे उत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा है।
हालात की गंभीरता को देखते हुए NDRF और SDRF की 28 से ज्यादा टीमें तमिलनाडु में भेजी गई हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र और गुजरात से भी 10 अतिरिक्त NDRF टीमें चेन्नई पहुंची हैं। भारी बारिश के कारण शनिवार को 54 फ्लाइटें रद्द करनी पड़ीं। रामेश्वरम–चेन्नई सेक्टर में 11 ट्रेन रूट बदल दिए गए हैं। यह सब दिखाता है कि सरकार पूरी तैयारी कर रही है, लेकिन तूफान का असर अपेक्षा से अधिक तेज हो रहा है।
पुडुचेरी प्रशासन ने तूफान के खतरे को देखते हुए सभी स्कूल और कॉलेज सोमवार तक बंद कर दिए हैं। सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने छुट्टी घोषित कर परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। आंध्र प्रदेश में भी 3 दिसंबर तक तेज बारिश की संभावना है। कई जिलों में प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है और तटीय क्षेत्रों में लोगों को समुद्र से दूर रहने की सलाह दी गई है।
समुद्री स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। IMD ने चेतावनी दी है कि:
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 12 घंटे अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि तूफान की गति-90 kmph के बीच उतार-चढ़ाव कर सकती है। इसके बाद बारिश कुछ हद तक कम होने की उम्मीद है, लेकिन नुकसान का सही आकलन तब होगा जब पानी उतरना शुरू करेगा।
57,000 हेक्टेयर फसल का डूबना किसानों के लिए बड़ा झटका है। ग्रामीण इलाकों में पशुओं की मौत, घरों के टूटना, बिजली और संचार सेवाओं पर असर-यह सब मिलकर अगले कुछ दिनों में राहत और रेस्क्यू ऑपरेशन को और चुनौतीपूर्ण बना सकता है।