दाऊदी बोहरा समुदाय के नेता बने रहेंगे सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन, बॉम्बे हाईकोर्ट ने भतीजे की याचिका को किया खारिज

जस्टिस गौतम पटेल की बेंच ने केस को खारिज करते हुए कहा कि कोर्ट ने केवल सबूत के आधार पर फैसला सुनाया है न कि आस्था के लिए।

 

Dheerendra Gopal | Published : Apr 23, 2024 11:39 AM IST / Updated: Apr 23 2024, 05:36 PM IST

Dawoodi Bohra community: दाऊदी बोहरा समुदाय के नेता पद के विवाद पर बाम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। 2014 से चले आ रहे मुकदमा को खारिज कर दिया है। अब सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन, दाऊदी बोहरा समुदाय के नेता बने रहेंगे। दरअसल, उनके भतीजे सैयदना ताहेर फखरुद्दीन ने हाईकोर्ट में उनकी लीडरशिप को चैलेंज किया था। जस्टिस गौतम पटेल की बेंच ने केस को खारिज करते हुए कहा कि कोर्ट ने केवल सबूत के आधार पर फैसला सुनाया है न कि आस्था के लिए।

क्या है पूरा मामला?

2014 में अपने पिता सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन के निधन के बाद मुफद्दल सैफुद्दीन ने समुदाय के 53वें सैयदना के रूप में पदभार संभाला। सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन के सौतेले भाई खुजैमा कुतुबुद्दीन ने सैफुद्दीन के उत्तराधिकार को चुनौती देते हुए दावा किया कि सैयदना बुरहानुद्दीन ने 1965 में गुप्त रूप से उन्हें उत्तराधिकार की आधिकारिक घोषणा 'नास' प्रदान की थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके सौतेले भाई ने उनसे 'नास' को गुप्त रखने के लिए कहा था।

हालांकि, 2016 में कुतुबुद्दीन की मृत्यु हो गई। इसके बाद उनके बेटे सैयदना ताहेर फखरुद्दीन ने अपने पिता का केस लड़ना शुरू किया। हाईकोर्ट से उन्हें समुदाय का नेता घोषित करने का आग्रह किया। याचिका में सैयदना ताहेर फखरुद्दीन ने कहा था कि उनके चाचा को समुदाय के नेता के रूप में बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने कपटपूर्ण तरीके से पद संभाला है।

गुप्त उत्तराधिकार का कोई गवाह नहीं...

सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने मुकदमे का विरोध किया। उन्होंने कहा कि कथित गुप्त उत्तराधिकार का कोई गवाह नहीं था और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

काफी संख्या में हैं दाऊदी समुदाय के लोग

दाऊदी बोहरा शिया मुसलमानों का एक धार्मिक संप्रदाय है। परंपरागत रूप से व्यापारियों और उद्यमियों का एक समुदाय है। दाऊदी बोहरा के भारत में 5 लाख से अधिक और दुनिया भर में 10 लाख से अधिक सदस्य हैं। समुदाय के शीर्ष धार्मिक नेता को दाई-अल-मुतलक के नाम से जाना जाता है। उनकी आस्था के अनुसार उत्तराधिकारी की नियुक्ति ईश्वरीय प्रेरणा से की जाती है। एक नास, समुदाय के किसी भी योग्य सदस्य को प्रदान किया जा सकता है, न कि वर्तमान दाई के परिवार के किसी सदस्य को।

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