सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सरकार ने ड्रग्स और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, या डीएमआर से नियम 170 को क्यों हटा दिया, जो "जादुई" क्षमताओं वाले प्रोडक्ट्स के रूप में दवाओं के विज्ञापनों को प्रतिबंधित करता है।
Supreme Court on Patanjali: बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के स्वामित्व वाली पतंजिल के भ्रामक विज्ञापनों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया। केंद्र की नीयत पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सरकार ने ड्रग्स और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, या डीएमआर से नियम 170 को क्यों हटा दिया, जो "जादुई" क्षमताओं वाले प्रोडक्ट्स के रूप में दवाओं के विज्ञापनों को प्रतिबंधित करता है।
मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों के आईएमए के दावे पर मैराथन सुनवाई जारी रही। इस सुनवाई में कोविड-19 के लिए कोरोनिल दवा के दावों को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई।
आयुर्वेदिक कंपनियों के लिए केंद्र सरकार ने बदल दिए नियम
सबसे पहले, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने डीएमआर से नियम 170 को हटाए जाने पर सवाल किया। कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा कि आखिर इसे क्यों अचानक से हटा दिया गया। दरअसल, आयुर्वेदिक दवा बेचने वाली पतंजलि सहित कंपनियों द्वारा किए गए दावों की जांच करने के लिए 2018 में डीएमआर में नियम 170 जोड़ा गया था। लेकिन पिछले साल अगस्त में आयुष मंत्रालय ने एक विशेष टेक्निकल बोर्ड के इनपुट के आधार पर यूटर्न लेते हुए अपना फैसला बदल दिया और इसे हटाने की सिफारिश कर दी। आनन फानन में मंत्रालय ने अधिकारियों को यह भी आदेश दे दिया कि वे इस नियम के तहत कार्रवाई न करें।
दरअसल, नियम 170 में आयुर्वेदिक, यूनानी औषधीय तैयारी करने वाली कंपनियों को विज्ञापन चलाने से पहले राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
क्या यह सत्ता का रंगबिरंगा प्रयोग और कानून का उल्लंघन नहीं?
नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने नियम 170 के संबंध में सभी राज्यों को एक पत्र जारी किया और अब आप इसे वापस लेना चाहते हैं? राज्य मंत्री ने संसद में कहा कि आपने ऐसे विज्ञापनों के खिलाफ कदम उठाए हैं और अब आप कहते हैं कि नियम 170 वापस नहीं लिया जाएगा। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि जब कोई कानून सत्ता में हो तो क्या आप उस पर रोक लगा सकते हैं? क्या यह सत्ता का रंगबिरंगा प्रयोग और कानून का उल्लंघन नहीं है? ऐसा लगता है कि अधिकारी भी आय देखने में व्यस्त थे। कोर्ट ने एक ऐसी घटना का उल्लेख किया जहां पतंजलि का एक विज्ञापन एक टीवी समाचार चैनल पर दिखाया जा रहा था जबकि एंकर मुकदमे पर रिपोर्टिंग कर रहा था।
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