One Rank One Pension की गणना में पारदर्शिता की कमी, नौकरशाही की उदासीनता से निराश हैं सेना से रिटायर हुए अधिकारी

वन रैंक वन पेंशन (One Rank One Pension) की गणना में पारदर्शिता की कमी और नौकरशाही की उदासीनता से सेना से रिटायर हुए लोग निराश हैं। पेंशन मामलों को तय करने में सेना की कोई हिस्सेदारी नहीं है।

Anish Kumar | Published : Jun 8, 2023 4:39 AM IST / Updated: Jun 08 2023, 10:15 AM IST

नई दिल्ली। वन रैंक वन पेंशन (One Rank One Pension) की गणना में पारदर्शिता की कमी और नौकरशाही की उदासीनता से भारतीय सेना में सेवा दे चुके अधिकारी निराश हैं। रिटायर जूनियर कमीशंड अधिकारियों और अन्य रैंक के कर्मियों को वर्तमान व्यवस्था से हताशा है। एशियानेट न्यूजेबल को पता चला है कि पेंशन मामलों को तय करने में सेना की कोई हिस्सेदारी नहीं है।

रक्षा लेखा महानियंत्रक, रक्षा लेखा के प्रधान नियंत्रक (पेंशन) और रक्षा मंत्रालय में भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग द्वारा रिटायर हुए सैनिकों के लिए पेंशन राशि तय की जाती है। रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2015-16 से रक्षा मंत्रालय से डेटा मांगा गया है, लेकिन यह अभी भी नहीं मिला है। सेना मुख्यालय OROP की गणना में अपनाई गई पद्धति जानना चाहता है।

पेंशन योजना में विसंगतियों के चलते सैनिक कर रहे हैं विरोध

दूसरी ओर पेंशन योजना में विसंगतियों को लेकर देश भर के सैनिक विरोध कर रहे हैं। सूबेदार मेजर सुखदेव सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा, "23,000 करोड़ रुपए के OROP फंड में से अधिकारी 85 प्रतिशत से अधिक का इस्तेमाल करते हैं। सिपाही और हवलदार जैसे अन्य रैंक के सैनिकों को बचे हुए 15 फीसदी में से पेंशन दिया जाता है। हम जैसे जूनियर कमीशन अधिकारियों को कुछ नहीं मिला।"

पेंशन राशि की गणना में है पारदर्शिता की कमी

गौरतलब है कि पेंशन राशि की गणना में पारदर्शिता की कमी है। पेंशन की गणना करते समय रक्षा लेखा महानियंत्रक, रक्षा लेखा के प्रधान नियंत्रक और भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग (DESW) समान रैंक और समान श्रेणी की सेवा के रिटायर कर्मियों का अधिकतम और न्यूनतम वेतन लेते हैं। एक सूत्र ने बताया कि औसत OROP पेंशन निकालने में पारदर्शिता नहीं है। इसका खामियाजा पेंशनभोगियों को भुगतना पड़ रहा है।

2015 से ही भारतीय सेना, इंडियन एयरफोर्स और इंडियन नेवी इस मामले को उठा रही हैं, लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है। सेवा मुख्यालय का मानना है कि पेंशन की विसंगतियों को दूर करने के लिए पारदर्शिता होनी चाहिए। सेना यह भी जानना चाहती है कि पेंशन तय करने वाली तालिका के निर्माण का आधार क्या है।

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