दिल्ली लाल किले के पास हुए धमाके में दो जिंदा कारतूस और दो अलग-अलग विस्फोटक बरामद-क्या ये घबराहट में हुआ हादसा था या किसी बड़ी साजिश की नाकाम कोशिश? FSL और NIA की जांच क्या खोलेगी इस ब्लास्ट की असली कहानी?
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर डाल दिया है। फोरेंसिक साइंस लैब (FSL) की टीम ने मंगलवार को जांच के दौरान दो जिंदा कारतूस और दो अलग-अलग प्रकार के विस्फोटकों के नमूने बरामद किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, इनमें से एक पदार्थ अमोनियम नाइट्रेट है, जबकि दूसरा अज्ञात विस्फोटक बताया जा रहा है जिसकी पहचान अभी बाकी है। सभी नमूने FSL लैब में परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। विशेषज्ञ इनकी रासायनिक संरचना की जांच कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि धमाका कैसे हुआ और किस प्रकार के विस्फोटक का प्रयोग किया गया।
क्या था विस्फोटक का असली मकसद?
एफएसएल की शुरुआती जांच में अमोनियम नाइट्रेट और एक अज्ञात विस्फोटक पदार्थ के अंश मिले हैं।
दोनों ही अत्यधिक संवेदनशील केमिकल हैं, जिन्हें आमतौर पर IED (Improvised Explosive Device) में इस्तेमाल किया जाता है।
लेकिन सवाल यह है कि अगर यह एक आतंकी साजिश थी, तो विस्फोट से बड़ा नुकसान क्यों नहीं हुआ?
क्या संदिग्ध ने घबराहट में खुद ही धमाका कर दिया?
सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि संदिग्ध ने कार को किसी लक्ष्य से नहीं टकराया, बल्कि विस्फोट पहले ही हो गया।
संभव है कि यह धमाका किसी मैनुअल एक्टिवेशन या टाइमर की गलती से हुआ हो।
यही वजह है कि विस्फोट से कोई गड्ढा या छर्रे नहीं मिले – जो आमतौर पर हाई-इंटेंसिटी बम में पाए जाते हैं।
एफएसएल रिपोर्ट क्या बताएगी?
सभी नमूने दिल्ली स्थित FSL प्रयोगशाला भेजे गए हैं।
विशेषज्ञ यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि धमाके में कौन-कौन से विस्फोटक तत्व शामिल थे और उनकी मात्रा कितनी थी।
अंतिम रिपोर्ट कुछ दिनों में आने की उम्मीद है, जो दिल्ली बम ब्लास्ट की मिस्ट्री की कई परतें खोल सकती है।
NIA के हाथ में जांच-बड़ा नेटवर्क बेनकाब होने की संभावना
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस केस की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है।
एनआईए अब इस धमाके के टेरर नेटवर्क लिंक, फरीदाबाद-पुलवामा कनेक्शन और संभावित मॉड्यूल पर काम कर रही है।
सुरक्षा एजेंसियां पहले ही कई इलाकों – फरीदाबाद, सहारनपुर, पुलवामा में छापेमारी कर विस्फोटक जब्त कर चुकी हैं।
क्या ये ‘छोटा धमाका’ किसी बड़े हमले को रोकने का संकेत है?
जांच एजेंसियों का मानना है कि यह धमाका शायद बड़े आतंकी हमले से पहले का ट्रायल ब्लास्ट था। लेकिन देशव्यापी अलर्ट और सुरक्षा बलों की त्वरित कार्रवाई ने एक बड़े खतरे को टाल दिया। दिल्ली के इस रहस्यमय कार ब्लास्ट में कई सवाल अब भी अनुत्तरित हैं- क्या ये घबराहट में किया गया ब्लास्ट था या किसी बड़े नेटवर्क की साजिश का अधूरा हिस्सा? अब निगाहें टिकी हैं एफएसएल और एनआईए की रिपोर्ट पर, जो Delhi Red Fort Explosion के पीछे की पूरी कहानी उजागर करेगी।