
नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किला आत्मघाती विस्फोट मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे NIA को चौंकाने वाले राज पता चल रहे हैं। नई गिरफ्तारी के बाद पता चला है कि यह कोई छोटा मामला नहीं था, बल्कि एक ऐसा हाई-टेक आतंकवादी मॉड्यूल सक्रिय था जो हमास और ISIS की तर्ज पर ड्रोन के ज़रिए सिलसिलेवार धमाकों की तैयारी कर रहा था।
जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े इस मॉड्यूल का नया खुलासा हुआ, जिसका सदस्य है जसीर बिलाल वानी, जो तकनीकी रूप से काफी माहिर बताया जा रहा है। NIA की जांच के मुताबिक वानी ड्रोन मोडिफिकेशन, छोटे रॉकेट तैयार करने और कार बम के लिए आवश्यक तकनीकी सहयोग दे रहा था। जांच में यह भी पाया गया कि यह मॉड्यूल भीड़भाड़ वाले इलाकों में ड्रोन से बम गिराकर हमास जैसी विनाशकारी रणनीति को भारत में दोहराना चाहता था। लेकिन NIA ने समय रहते इस साजिश का पर्दाफाश कर दिया।
NIA ने बताया कि जसीर बिलाल वानी ने ड्रोन में कैमरा, बैटरी, विशेष पकड़ने वाली ग्रिप और छोटे लेकिन ज़बरदस्त बम लगाने की तकनीक उपलब्ध कराई थी। उसकी भूमिका सिर्फ सहयोगी की नहीं, बल्कि एक “टेक्निकल मास्टरमाइंड” की तरह दिखाई देती है। NIA का कहना है कि यह मॉड्यूल ड्रोन के ज़रिए बम गिराकर दिल्ली और NCR के कई इलाकों में चेन ब्लास्ट करने की योजना बना चुका था।
सूत्रों का दावा है कि मॉड्यूल सीरिया, इराक, इज़राइल और अफ़ग़ानिस्तान में आतंकी संगठनों द्वारा किए गए ड्रोन हमलों की तरह ही लो-कॉस्ट लेकिन हाई-इम्पैक्ट अटैक तैयार कर रहा था। भारत में यह रणनीति पहली बार इतनी बड़ी स्केल पर देखी जा रही थी।
जांच को एक और बड़ा सुराग मिला-कार के अंदर ड्राइवर सीट के नीचे मिला एक संदिग्ध जूता। फोरेंसिक टीम को इसमें एक धातु जैसा पदार्थ और TATP विस्फोटक के निशान मिले हैं। यह खुलासा बिल्कुल 2001 के उस कुख्यात ‘शू बॉम्बर’ जैसे मामले की याद दिलाता है, जब एक हमलावर ने हवाई जहाज़ में जूते में छिपाए TATP विस्फोटक से हमला करने की कोशिश की थी। NIA को संदेह है कि आतंकियों ने इसी तकनीक को अपना कर एक अतिरिक्त ट्रिगर सिस्टम तैयार किया था।
जांच में सामने आया है कि मॉड्यूल छोटे मिनी-रॉकेट भी बना रहा था। इनका इस्तेमाल कार बम विस्फोटों के साथ-साथ ड्रोन हमलों में भी किया जाना था। कार की पिछली सीट के नीचे भी विस्फोटक के निशान मिले हैं, जिससे साफ है कि कार एक मल्टी-लेयर बम की तरह तैयार की जा रही थी।
यह पहली बार है जब दिल्ली में किसी आतंकी मॉड्यूल द्वारा ड्रोन और रॉकेट दोनों के इस्तेमाल की कोशिश का खुलासा हुआ है।
NIA को शक है कि कार सिर्फ एक इम्प्रोवाइज्ड बम नहीं थी, बल्कि यह कई घटकों वाला ब्लास्ट सेटअप था।
अगर यह मॉड्यूल सफल होता, तो दिल्ली में एक साथ कई जगहों पर धमाके हो सकते थे।
NIA की कई टीमें दिल्ली, कश्मीर और हरियाणा में छापे मार रही हैं। जांच एजेंसी का मानना है कि यह मॉड्यूल अकेला नहीं था-इसके पीछे एक बड़ा जैश नेटवर्क हो सकता है, जिसकी तलाश अभी जारी है।
जांच में गिरफ्तार डॉक्टरों से पूछताछ के बाद वानी का नाम सामने आया। इसके बाद NIA की टीम ने श्रीनगर, पंपोर, कुलगाम, फरीदाबाद और दिल्ली में कई जगह छापेमार कार्रवाई की। अब एजेंसी इस मॉड्यूल के हर सदस्य और हर तकनीकी हिस्से का नक्शा जोड़ रही है। अब तक की NIA की जांच से यह साफ है कि यह सिर्फ एक कार विस्फोट की घटना नहीं, बल्कि एक बहु-स्तरीय आतंकी साजिश थी, जिसमें ड्रोन, रॉकेट, TATP और जूता बम जैसे खतरनाक तत्व शामिल थे। समय रहते मॉड्यूल का खुलासा न हुआ होता, तो राजधानी में बड़ी तबाही मच सकती थी।