दिल्ली की एक अदालत ने दोषी मुकेश की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने मौत की सजा को रद्द करने की मांग करते हुए दावा किया था कि वह घटना के समय दिल्ली में नहीं था। कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायिक संस्था के लिए समय बहुत कीमती है।
नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने दोषी मुकेश की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने मौत की सजा को रद्द करने की मांग करते हुए दावा किया था कि वह घटना के समय दिल्ली में नहीं था। कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायिक संस्था के लिए समय बहुत कीमती है। इसलिए हमें समय के महत्व को समझना चाहए और सही जगह पर इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
याचिका में दावा, घटनास्थल पर मौजूद नहीं था मुकेश
याचिका में दावा किया गया था कि दोषी मुकेश को 17 दिसंबर 2012 को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था। ऐसे में वह घटनास्थल यानी दिल्ली के वसंत विहार में मौजूद नहीं था। इसी के साथ मुकेश ने तिहाड़ जेल में प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया है।
जज ने कहा, कोर्ट के समय के महत्व को समझना जरूरी
एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राना ने याचिका को खारिज किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "दुर्भाग्य से कुछ लोग कानून का गलत तरीके से फायदा उठा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायपालिका के लिए समय की बहुत कीमत है। इसे बहुत ही सहजता से खर्च करने करना चाहिए। कोर्ट में पेश होने से पहले वकीलों को यह तय करना होगा कि उनके केस से कोर्ट का समय बर्बाद न हो।
20 मार्च को दोषियों को फांसी होगी या टल जाएगी?
दोषियों को फांसी देने के लिए चार बार डेथ वॉरंट जारी किया जा चुका है। तीन बार फांसी की तारीख रद्द कर दी गई। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस बार भी फांसी टल जाएगी? इसका जवाब खुद निर्भया की तरफ से केस लड़ रही वकील सीमा कुशवाहा ने दिया। उन्होंने कहा कि दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में दोषियों की सुनवाई ही नहीं होगी। 20 मार्च को चारों दोषियों को फांसी होगी।
क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड?
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।