दिल्ली में एमसीडी स्कूलों में किताबों का वितरण नहीं हो सका है। किताबों का वितरण नहीं होने पर एक एनजीओ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
Delhi High Court slams Arvind Kejriwal: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फटकार लगाई। एमसीडी स्कूलों में मुख्यमंत्री के अनुमोदन के अभाव में किताबों का वितरण प्रभावित होने पर कोर्ट ने कहा कि कितना पॉवर आप चाहते हैं। गिरफ्तारी के बाद भी अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री बने रहना राष्ट्रीय हित से ऊपर राजनीतिक हित है।
दरअसल, दिल्ली आबकारी नीति केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग में ईडी ने बीते 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को अरेस्ट किया था। तिहाड़ जेल में बंद अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार के इशारे पर ईडी और अन्य एजेंसियों के काम करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री के जेल में होने की वजह से तमाम परियोजनाएं और कार्यक्रम अटके पड़े हैं। दिल्ली में एमसीडी स्कूलों में किताबों का वितरण नहीं हो सका है। किताबों का वितरण नहीं होने पर एक एनजीओ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
केजरीवाल का मुख्यमंत्री बने रहना राष्ट्रीय हित से ऊपर
शुक्रवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए उनको फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद भी अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री बने रहना राष्ट्रीय हित से ऊपर राजनीतिक हित है। अब तक कोर्ट ने विनम्रतापूर्वक इस बात पर जोर दिया है कि राष्ट्रीय हित सर्वोच्च है लेकिन वर्तमान मामले ने उजागर कर दिया है कि क्या गलत था और वह इस मामले में सोमवार को आदेश पारित करेगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की बेंच ने कहा कि यह कहते हुए खेद है कि आपने अपने हित को छात्रों, पढ़ने वाले बच्चों के हित से ऊपर रखा है। यह बहुत स्पष्ट है और हम यह निष्कर्ष देने जा रहे हैं कि आपने अपने राजनीतिक हित को उच्च स्तर पर रखा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपने ऐसा किया। यह गलत है और यही बात इस मामले में उजागर हुई है।
आप पॉवर हथियाने की कोशिश कर रहे
अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि उनका मुवक्किल केवल सत्ता के विनियोग में रुचि रखता है। मुझे नहीं पता कि आप कितना पॉवर चाहते हैं। समस्या यह है कि आप पॉवर हथियाने की कोशिश कर रहे हैं, यही वजह है कि आपको पॉवर नहीं मिल रही है। नेतृत्व करने वाले व्यक्तियों को सभी को साथ लेकर चलना होगा क्योंकि यह एक व्यक्ति के प्रभुत्व का मामला नहीं हो सकता है।
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि वह मुख्यमंत्री की ओर से पेश नहीं हो रहे हैं। वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि अगर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) आयुक्त वित्तीय मंजूरी के लिए औपचारिक अनुरोध करते हैं तो नगर निकाय की स्थायी समिति की अनुपस्थिति में भी शैक्षिक सामग्री की आपूर्ति न होने का मुद्दा हल हो जाएगा।
एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट की एक जनहित याचिका पर सुनवाई
अदालत, एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एनजीओ का प्रतिनिधित्व वकील अशोक अग्रवाल ने किया था। उन्होंने नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के बाद भी एमसीडी स्कूलों में छात्रों को शैक्षिक सामग्री और अन्य वैधानिक लाभों की आपूर्ति न होने की जानकारी दी।
कोर्ट को एमसीडी कमिश्नर ने बताया कि सुविधाओं का वितरण न होने का कारण एक स्थायी समिति का गठन न होना है। स्थायी समिति के पास 5 करोड़ रुपये से अधिक के ठेकों को अवार्ड करने की शक्ति है।
अदालत ने तब प्रथम दृष्टया कहा था कि स्थायी समिति के अभाव में कोई रिक्तता नहीं हो सकती है और ऐसी स्थिति में, दिल्ली सरकार को वित्तीय शक्ति तुरंत किसी अन्य उपयुक्त प्राधिकारी को सौंपनी होगी।
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