
नई दिल्ली। हाल ही में हुए दिल्ली के लाल किला कार विस्फोट ने पूरे देश को हिला दिया। इस मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि यह हमला किसी आम व्यक्ति का काम नहीं था, बल्कि पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के एक "सफेदपोश आतंकवादी मॉड्यूल" से जुड़ा था। इस मॉड्यूल में शामिल प्रमुख व्यक्ति डॉ. शाहीना सईद थीं, जिन्हें फरीदाबाद स्थित अल-फ़लाह स्कूल ऑफ़ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर से जोड़ा गया है। स्रोतों के अनुसार, डॉ. सईद अपनी दिन की नौकरी पूरी करने के बाद रोज़ शाम 4 बजे के बाद ही असली काम शुरू करती थीं। उसके सहकर्मियों ने बताया कि उसका व्यवहार अजीब था और अक्सर वह बिना किसी को बताए चली जाती थीं। जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सईद ने अपने पास माला (मिस्बाहा) और हदीस की किताब रखी थी। क्या यह धार्मिक अभ्यास था या आतंकवाद से जुड़े संकेत? जांच टीम इस पहलू पर भी निगाह बनाए हुए हैं।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, डॉ. सईद जैश-ए-मोहम्मद की महिला शाखा की प्रमुख थीं, जो 2001 के संसद हमले और 2019 के पुलवामा हमले से जुड़ी हुई थी। लखनऊ के लाल बाग की रहने वाली सईद को सोमवार को गिरफ्तार किया गया। कुछ ही घंटे बाद, उनका सहयोगी उमर मोहम्मद ने लाल किले के पास i20 कार में विस्फोट कर दिया, जिसमें 13 लोग मारे गए। डॉ. सईद पहले कानपुर मेडिकल कॉलेज में फार्माकोलॉजी विभाग की प्रमुख थीं, बाद में उनका तबादला कन्नौज मेडिकल कॉलेज कर दिया गया। इससे पहले ही दो अन्य संदिग्ध - डॉ. मुज़म्मिल शकील और डॉ. आदिल अहमद राथर को गिरफ्तार किया जा चुका था। इस मामले में यह चौकाने वाला खुलासा हुआ है कि यह नेटवर्क कम से कम 32 कारों का इस्तेमाल करने की योजना बना रहा था, जिनमें हुंडई i20, मारुति ब्रेज़ा, स्विफ्ट डिज़ायर और फोर्ड इकोस्पोर्ट शामिल थीं।
जांच में यह पता चला है कि इन 32 कारों का मकसद केवल एक जगह धमाका करना नहीं था। इनमें से कई कारों को अलग-अलग स्थानों पर विस्फोटक पहुंचाने, लक्ष्यों की रेकी करने और भागने की योजना के लिए इस्तेमाल किया जाना था। i20 कार में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास विस्फोट हुआ था, जबकि ब्रेज़ा को सईद खुद चलाती थीं और डिज़ायर का इस्तेमाल मुख्य संदिग्ध डॉ. मुजम्मिल शकील करता था। फोर्ड इकोस्पोर्ट की हाल ही में बरामदगी से पता चला कि इसमें भी विस्फोटक सामग्री की थोड़ी मात्रा मिली थी।
जांच में सामने आया कि संदिग्धों ने कम से कम 4 प्रमुख कारों का इस्तेमाल किया।
जांचकर्ताओं का मानना है कि इस मॉड्यूल की योजना राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में सिलसिलेवार बम विस्फोट करने की थी। सूत्रों के अनुसार, इस योजना में कम से कम 32 कारें शामिल थीं, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि सभी बम पहुंचाने के लिए थीं या केवल निगरानी व तैयारी में इस्तेमाल हो रही थीं।
हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों ने लाल रंग की फोर्ड EcoSport भी बरामद की। फोरेंसिक जांच में अमोनियम नाइट्रेट और ईंधन तेल जैसे रसायनों की मौजूदगी पाई गई। इसका मतलब है कि इस कार का उपयोग i20 बम में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक पदार्थों को ले जाने के लिए किया गया था।
जांच में खुलासा हुआ कि यह मॉड्यूल फरीदाबाद से संचालित होता था और इसमें डॉक्टर शामिल थे। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि मॉड्यूल का असली उद्देश्य कई जगहों पर बम लगाने और भागने की योजना बनाना था। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते यह मॉड्यूल पकड़ा न जाता, तो राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी तबाही हो सकती थी।