CAA को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, DMK ने हलफनामा दायर कर नागरिकता संसोधन बिल पर उठाए सवाल

तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK ने नागरिकता संसोधन अधिनियम (CAA) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। DMK ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देते हुए बताया कि CAA धर्म के आधार पर भेदभाव करके धर्मनिरपेक्षता के मूल ताने-बाने को खत्म कर देता है।

Ganesh Mishra | Published : Nov 30, 2022 6:14 AM IST / Updated: Nov 30 2022, 11:57 AM IST

DMK Challanges CAA in Supreme Court: तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK ने नागरिकता संसोधन अधिनियम (CAA) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। DMK ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देते हुए बताया कि CAA धर्म के आधार पर भेदभाव करके धर्मनिरपेक्षता के मूल ताने-बाने को खत्म कर देता है। इतना ही नही, पार्टी ने ये भी कहा कि यह तमिल जाति के भी खिलाफ है, क्योंकि यह तमिल शरणार्थियों को कानून के दायरे में नहीं लाता है।

मुस्लिम समुदाय को मनमाने तरीके से रखा बाहर : 
सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में DMK ने कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) सिर्फ 3 देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लिए है। इसमें केवल हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय को ही शामिल किया गया है और मनमाने तरीके से मुस्लिम समुदाय के लोगों को बाहर रखा गया है। इसके अलावा CAA में तमिल शरणार्थियों को भी कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।

DMK ने की CAA को रद्द करने की मांग 
DMK ने अपने आयोजक सचिव आरएस भारती द्वारा दायर एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से CAA को रद्द करने की अपील की है। बता दें कि इस कानून को अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों ने भी चुनौती दी है। हलफनामे में कहा गया है- CAA धर्म के आधार पर नागरिकता देने का काम करता है, जो पूरी तरह धर्मनिरपेक्षता के ताने-बाने को नष्ट करता है। इसमें उन 6 देशों के मुस्लिमों को भी CAA से पूरी तरह बाहर रखा गया है, जहां उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही यह एक्ट तमिल जाति के खिलाफ भी है, जो उन्हें कानून के दायरे से बाहर रखता है। 

तमिल शरणार्थियों के लिए CAA में कुछ नहीं :  
DMK ने कहा कि CAA इस वास्तविकता को नजरअंदाज करता है कि कई दशकों से तमिलनाडु में बसे तमिल शरणार्थी गैर-नागरिकता की वजह से मौलिक और अन्य अधिकारों से वंचित हैं। CAA तमिल शरणार्थियों को कानून के दायरे से बाहर रखने की वजह भी नहीं बताता है। यह कानून श्रीलंका से प्रताड़ित होकर भागे और तमिलनाडु में आकर बसे शरणार्थियों की हकीकत को अनदेखा करता है। श्रीलंका में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले तमिलों के लिए इसमें कोई प्रावधान नहीं है। 

क्या है (CAA) नागरिकता संशाधन अधिनियम?
नागरिकता संशोधन कानून 2019 भारत के 3 पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देता है। इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों को शामिल किया गया है। इस कानून में उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने की बात कही गई है, जो प्रताड़ना के चलते लंबे समय से भारत में रह रहे हैं। कानून के तहत इन समुदायों के जो लोग 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए थे, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इससे पहले भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए किसी भी शख्स को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना जरूरी था। बता दें कि 3 देशों के मुस्लिमों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है, जिसका काफी विरोध हुआ था। बता दें कि इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी मजहब का हो, उसकी नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है।

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