तमिलनाडु के बहुचर्चित 'लावण्या सुसाइड केस' की मुख्य आरोपी की बेल पर स्वागत करने जेल पहुंचे DMK विधायक

तम‍िलनाडु के तंजावुर जिले के एक मिशनरी स्कूल में पढ़ने वाली 17 वर्षीय छात्रा लावण्या के सुसाइड मामले की मुख्य आरोपी नन सागया मैरी(Sagaya Mary) को 18 दिन बाद बेल मिल गई। इस दौरान द्रमुक विधायक इनिगो इरुदयाराज(DMK MLA Inigo Irudayaraj) जेल के बाहर उनका स्वागत करते देखे गए। इस तस्वीर ने तमिलनाडु सरकार की किरकिरी करा दी है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 15, 2022 5:39 AM IST / Updated: Feb 15 2022, 11:22 AM IST

चेन्नई(Chennai).तम‍िलनाडु के तंजावुर जिले के एक मिशनरी स्कूल में पढ़ने वाली 17 वर्षीय छात्रा लावण्या सुसाइड मामले में सरकार बुरी तरह से घिरती जा रही है। इस मामले में 'धर्मांतरण' का आरोप लगा है। मामले की जांच CBI कर रही है। इस  बीच एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। इस मामले की मुख्य आरोपी नन सागया मैरी(Sagaya Mary) को 18 दिन बाद बेल मिल गई। इस दौरान द्रमुक विधायक इनिगो इरुदयाराज(DMK MLA Inigo Irudayaraj) जेल के बाहर उनका स्वागत करते देखे गए। इस तस्वीर ने तमिलनाडु सरकार की किरकिरी करा दी है। मैरी तिरुचिरापल्ली की सेंट्रल जेल में बंद थीं।

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जेल से निकलने पर मुख्य आरोपी का सम्मान
62 वर्षीय कैथोलिक नन सागया मैरी(Sagaya Mary) को स्थानीय अदालत ने 18 दिन बाद बेल दी है। वे अरियालुर जिले के माइकलपट्टी हॉस्टल की वॉर्डन के तौर पर कार्यरत थीं। जब वे जेल से बाहर निकलीं, तो त्रिची पूर्व के विधायक इनिगो उनका सम्मान करते देखे गए। जबकि 12 क्लास की छात्रा ने मौत से पहले अपने वीडियो में साफतौर पर सागया मैरी को सुसाइड के लिए प्रताड़ित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। तंजावुर के प्रधान सत्र न्यायाधीश पी मथुसुथानन(Justice P Mathusuthanan) ने मैरी को 10 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दी है। साथ ही निर्देश दिया है कि वे जांच में सहयोग करें और गवाह-सबूतों से छेड़छाड़ न करें। 

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मुख्यमंत्री के निकट हैं
इनिगो इरुदयाराज क्रिस्थुवा नल्लेना इयक्कम (ईसाई सद्भावना आंदोलन) के संस्थापक-अध्यक्ष हैं। हाल ही में वे राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान डीएमके में शामिल हुए थे। इन्होंने एडीएमके के वरिष्ठ मंत्री वेल्लामंडी नटराजन को हराया था। इनिगो को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का करीबी माना जाता है। इनिगो फैशन गारमेंट कंपनी के मालिक हैं। ईसाइयों का समर्थन होने से उनका दबदबा है। वे सांप्रदायिक भड़काऊ भाषण देने के आरोपों के चलते भी आलोचना झेलते रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकारा था
इस मामले की CBI से जांच के खिलाफ तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। 14 फरवरी को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उसे फटकार लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने जांच रोकने से इनकार कर दिया है। वहीं, तमिलनाडु पुलिस को आदेश दिया कि वो अपनी तरफ से जुटाए सबूत CBI को सौंपे। साथ ही सरकार को निर्देश दिया कि इस मामले में बहुत कुछ जांच होनी है, इसलिए वो इसे अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और CBI को नोटिस जारी करके तीन हफ्ते में समय मांगा है।

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तमिलनाडु भाजपा ने पूछा सवाल
तमिलनाडु भाजपा के सबसे युवा अध्यक्ष के अन्नामलाई(K.Annamalai) ने tweet करके सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं। अन्नमलाई कहा कि एक बार फिर साबित हुआ है, क्या द्रमुक सरकार अपने गढ़े हुए झूठ के लिए हम सभी से माफी मागेंगी? क्या अब कम से कम CM(एमके स्टालिन) लावण्या के माता-पिता से मिलेंगे?‌

वॉर्डन पर हैं गंभीर आरोप
मरने से पहले छात्रा का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि हॉस्टल में उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की जा रही थी। छात्रा ने 9 जनवरी को जहर खा लिया था। उसकी 19 जनवरी को मौत हो गई थी। भाजपा ने आरोप लगाया था कि यह धर्म परिवर्तन का मामला है। पार्टी ने सीबीआई जांच की भी मांग की थी। इतना ही नहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भी आत्महत्या की जांच के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया था। मद्रास हाईकोर्ट ने इससे पहले 24 जनवरी को मौत से पहले पीड़िता का वीडियो बनाने वाले को पुलिस अधिकारियों के सामने पेश होने का आदेश दिया था। 

मृत्यु से पहले दिए बयान में छात्रा ने लगाए थे धर्म परिवर्तन के आरोप
छात्रा ने हॉस्टल में कीटनाशक खा लिया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मृत्यु से पहले उसका बयान दर्ज किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने छात्रा ने अपने बयान में सीधा और स्पष्ट आरोप लगाया कि छात्रावास वार्डन ने उस पर गैर शैक्षणिक कामों का बोझ डाला, जिसकी वजह से उसने आत्महत्या का रास्ता चुना। हाईकोर्ट ने इस मामले में राय दी कि यह जांच सही रास्ते पर आगे नहीं बढ़ रही थी, क्योंकि सरकार के एक मंत्री स्कूल के पक्ष में बात कर रहे हैं। कोर्ट ने माना कि ऐसी स्थिति में राज्य पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती है। इसके बाद यह मामला CBI को सौंप दिया गया था।

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