DNA-आधारित वैक्सीन ZyCoV-D को मंजूरी, बच्चों को भी लग सकेगी, पीएम मोदी बोले-कोरोना से और मजबूती से होगी लड़ाई

नीडल इंजेक्शन फ्री यह वैक्सीन अब 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों सहित सभी को लगाया जा सकता है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 20, 2021 4:51 PM IST / Updated: Aug 20 2021, 10:23 PM IST

नई दिल्ली। भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए-आधारित वैक्सीन ZyCoV-D को मंजूरी मिल गई है। Zydus Cadila कंपनी की वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया ने इमरजेंसी अप्रुवल दे दी है। 

नीडल इंजेक्शन फ्री यह वैक्सीन अब 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों सहित सभी को लगाया जा सकता है। पीएम मोदी ने भी इस उपलब्धि को ट्वीट कर भारतीय वैज्ञानिकों को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कोरोना के खिलाफ लड़ाई में और मजबूत होने की बात कही है। 

 

देश को पांचवां वैक्सीन स्वीकृत

ZyCoV-D स्थानीय रूप से उत्पादित भारत बायोटेक के कोवैक्सिन, सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशील्ड, रूस के स्पुतनिक वी और यूएस-निर्मित मॉडर्न के बाद देश में उपयोग के लिए स्वीकृत पांचवां वैक्सीन है। साथ ही, ZyCoV-D किसी भी देश में मंजूरी पाने वाला दुनिया का पहला डीएनए-आधारित वैक्सीन है।

50 से अधिक केंद्रों का क्लिनिकल परीक्षण 

COVID-19 के खिलाफ प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन का क्लिनिकल परीक्षण 50 से अधिक केंद्रों में किया गया। वैक्सीन की क्षमता को बेहतर पाया गया है। वैक्सीन ने COVID​​​​-19  मामलों के खिलाफ 66.6 प्रतिशत और मध्यम बीमारी के लिए 100 प्रतिशत का प्रभाव दिखाया है। यह पहली बार था जब भारत में 12-18 वर्ष आयु वर्ग में किशोर आबादी में किसी भी COVID-19 टीके का परीक्षण किया गया था।

प्लग एंड प्ले तकनीक पर है आधारित

प्लास्मिड डीएनए प्लेटफॉर्म एक प्लग एंड प्ले तकनीक पर आधारित है जो आदर्श रूप से COVID-19 से निपटने के लिए अनुकूल है। इसे वायरस म्यूटेशन से निपटने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। ZyCoV-D को नीडल फ्री इंजेक्टर का उपयोग करके लागू किया जाता है, जिसके बारे में Zydus का दावा है कि इससे साइड इफेक्ट में उल्लेखनीय कमी आएगी।
 

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