क्या भारत में आएगा पॉलीमर करेंसी का दौर? जानें खास बातें

भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए पॉलीमर करेंसी के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि पॉलीमर करेंसी, जो कि पॉलीप्रोपाइलीन से बनी होती है, कई सुरक्षा फीचर्स के साथ आती है और अधिक टिकाऊ होती है।

Dheerendra Gopal | Published : Aug 24, 2024 10:01 AM IST / Updated: Aug 24 2024, 10:43 PM IST

What is Polymer notes/Currency: कथित नकली नोटों को रोकने के लिए भारत में नोटबंदी का ऐलान किया गया था लेकिन इन सबके बावजूद कोई खास बदलाव नहीं आया। एक बार फिर देश में नकली नोटों पर बड़ी स्ट्राइक के लिए कागज के नोटों के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले एलिमेंट्स पर लगाम लगाने के लिए पॉलीमर करेंसी का स्पेशलिस्ट सुझाव दे रहे। देश में क्या पॉलीमर करेंसी के युग का आगाज होने जा रहा है, इस सवाल का जवाब सामने आए इसके पहले जानिए क्या है पॉलीमर करेंसी की विशेषता...

ऑस्ट्रेलिया में 1998 में पहली बार व्यापक रूप से पॉलिमर बैंकनोट जारी किए गए थे, ताकि जालसाज़ों को बिलों की नकल करने से रोका जा सके।

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क्या होता है पॉलीमर करेंसी? क्या है विशेषताएं?

पॉलीमर करेंसी या बैंकनोट, पॉलीप्रोपाइलीन से बनी कैश करेंसी का एक रूप है। यह एक प्लास्टिक नोट होता है जिसे पारंपरिक कागज के नोट के विकल्प के रूप में चुना जाता है। इस नोट को उपयोग करना काफी आसान है। कागज के नोटों की अपेक्षा यह अधिक टिकाऊ है। इसके कई सिक्योरिटी फीचर्स होते हैं। इसमें लगे मेटल फिल्म विभिन्न एंगल्स से लाइट्स रिफ्लेक्ट करते हैं जोकि अल्ट्रावायलेट लाइट के साथ रिएक्ट करते। यह कागज की नोटों की तरह पानी में भीग नहीं सकता। इसके अलावा, घिसे-पिटे पॉलीमर नोट्स को बाजार से हटाए जाने के बाद उसे रिसाइकिल कर विभिन्न प्रोडक्ट्स का निर्माण किया जा सकता है।

हालांकि, इन नोटों में कई खामियां भी हैं। पहली यह कि यह नोट समय के साथ बेरंग हो जाते हैं। गीला होने के बाद चिपचिपा हो जाता है और जब सूखते हैं तो अधिक फिसलने लगता है।

दुनिया के 45 देशों में पॉलीमर करेंसी 

पॉलीमर करेंसी, दुनिया के 45 देशों में चलती है। आस्ट्रेलिया ने सबसे पहले दुनिया में पॉलीमर नोटों को चलन में लाया था। ऑस्ट्रेलिया के रिजर्व बैंक ने ऑस्ट्रेलिया के 1988 के द्विवार्षिक के लिए सीमित संख्या में $10 स्मारक पॉलीमर बैंकनोट छापे, और जनता ने उन्हें आसानी से स्वीकार कर लिया। 1990 के दशक के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने अपने सभी बैंकनोटों को पॉलीमर में बदल दिया, ऐसा करने वाला वह पहला देश बन गया।

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