लश्कर और जैश कर रहे आतंकी गतिविधियों में ड्रोन का इस्तेमाल, सीमा पर कुछ वर्षाें से ड्रोन में काफी बढ़ोतरी

एक ड्रोन गतिविधि को पिछले साल जून में जम्मू के हीरानगर सेक्टर में भारतीय सुरक्षा बलों ने सतर्कता से नाकाम कर दिया था। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने इसे मार गिराया गया था। खुले मैदान में ड्रोन गिराया गया और फिर उसे फोरेंसिक विश्लेषण के लिए दिल्ली स्थित ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीएफआई) में भेजा गया।

नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान सीमा पर पिछले कुछ वर्षाें में ड्रोन गतिविधियों में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। चिंताजनक बात यह कि ड्रोन का अधिकतर इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा प्रश्रय दिया गया आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने किया। रविवार को दो ड्रोन ने जम्मू के वायुसेना स्टेशन पर हमला किया। जांच की दिशा लश्कर की साजिश की ओर भी है। 

कुछ दिन पहले ही बीएसएफ ने मार गिराया था पाकिस्तानी ड्रोन

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ऐसी ही एक ड्रोन गतिविधि को पिछले साल जून में जम्मू के हीरानगर सेक्टर में भारतीय सुरक्षा बलों ने सतर्कता से नाकाम कर दिया था। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने इसे मार गिराया गया था। खुले मैदान में ड्रोन गिराया गया और फिर उसे फोरेंसिक विश्लेषण के लिए दिल्ली स्थित ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीएफआई) में भेजा गया। डीएफआई के अनुसार यह लोकली असेम्बल्ड हेलीकाप्टर था। इसमें इस्तेमाल किए गए इक्वीपमेंट्स तमाम शाॅप्स पर आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं। 
डीएफआई के अनुसार 24 किग्रा के ड्रोन का उड़ान नियंत्रक हांगकांग में निर्मित क्यूबब्लैक था। यह भी कहा गया कि ड्रोन में कोई पूर्व नियोजित मिशन निर्धारित नहीं किया गया था। जमीनी नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करके इसको मैन्युअल रूप से नियंत्रित किया गया था। यह भीा कहा गया कि ड्रोन ऑपरेटर ने डेटा निष्कर्षण के सभी तरीकों को अक्षम कर दिया था।

30 किमी जा सकता था मार गिराया गया ड्रोन

डीएफआई ने आगे कहा कि टेकऑफ के लिए अनुमानित रेडियस कंट्रोल करीब 10 किमी दूर थी। डीएफआई ने कहा कि ड्रोन 35 मिनट के लिए हवा में था, अधिकतम संभव सीमा 30 किमी थी। विशेषज्ञों को ड्रोन पर कोई बाहरी हैकिंग या कस्टम फर्मवेयर नहीं मिला।

14 ड्रोन ने उड़ाने भरी

शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने कहा है कि पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों द्वारा 14 ड्रोन उड़ानें भरी जा चुकी हैं। रविवार देर रात ड्रोन की मदद से एक सैन्य प्रतिष्ठान पर हमला करने की एक नई कोशिश को सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया। रत्नुचक-कालूचक स्टेशन पर तैनात कर्मियों ने दो मानव रहित हवाई वाहनों पर फायरिंग की, जो उड़ गए।

कालूचक पहले से है हाई अलर्ट पर

अधिकारियों ने बताया कि पहला ड्रोन रात करीब 11.45 बजे और दूसरा ड्रोन करीब 2.40 बजे देखा गया। एक सर्च आपरेशन शुरू किया गया है। 
कालूचक में सैन्य स्टेशन 2002 के आतंकी हमले के बाद से हाई अलर्ट पर है। इस हमले में 10 बच्चों समेत 31 लोगों की मौत हो गई थी। सेना के 13 जवानों, सेना के 20 परिवार के सदस्यों और 15 नागरिकों सहित अड़तालीस लोग घायल हो गए।
 

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