जम्मू कश्मीर में फिर से भूकंप(Earthquake) के झटके महसूस किए गए। हालांकि बुधवार तड़के आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.2 थी। इससे किसी भी प्रकार के नुकसान की कोई खबर नहीं है। भूकंप पहलगाम से 15 किमी दूर दक्षिण-पश्चिम इलाके में सुबह 5.43 बजे आया। इससे पहले 5 और 10 फरवरी को भी भूकंप आया था।
श्रीनगर. जम्मू कश्मीर में 15 दिन में तीसरी बार भूकंप(Earthquake) के झटके महसूस किए गए। हालांकि बुधवार तड़के आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.2 थी। इससे किसी भी प्रकार के नुकसान की कोई खबर नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप जम्मू कश्मीर के पहलगाम से 15 किमी दूर दक्षिण-दक्षिण पश्चिमी इलाके सुबह 5.43 बजे आया। भूकंप के समय लोग सो रहे थे। झटके महसूस होते ही लोग घबराकर उठे और घरों से बाहर निकल आए। इससे पहले 5 और 10 फरवरी को भी भूकंप आया था।
15 दिनों में तीसरा झटका
इससे पहले यहां 10 फरवरी को भूकंप आया था। तब भूकंप का केंद्र केल, गिलगित-बाल्तिस्तान में 29 किलोमीटर की गहराई में था। यह झटका जम्मू कश्मीर में दोपहर करीब पौने एक बजे महसूस किया गया था। इसमें किसी प्रकार के नुकसान की कोई खबर नहीं थी।
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इससे पहले 5 फरवरी को सुबह जम्मू कश्मीर से लेकर पंजाब तक भूकंप(Earthquake) के तेज झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 5.7 मापी गई है। भूकंप सुबह 9 बजकर 49 सेकंड पर आया। इसका केंद्र पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा पर बताया गया था। तब चंडीगढ़ में भी करीब 2 सेकंड तक धरती हिली थी। उत्तर प्रदेश के नोएडा भी झटके महसूस किए गए थे। हालांकि भूकंप से किसी प्रकार के कोई नुकसान की खबर नहीं थी। इस भूकंप से कश्मीर के बडगाम ज़िले में स्थित चरार-ए-शरीफ़ की मीनार झुकने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई थीं। बता दें कि यह विख्यात सूफ़ी संत शेख़ नूरउद्दीन नूरानी की मज़ार है, जिन्हें नन्द ऋषि भी कहा जाता है।
जानिए क्यों आता है भूकंप
जानकार बताते हैं कि धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है।
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भूकंप की गहराई से क्या मतलब है
मतलब साफ है कि हलचल कितनी गहराई पर हुई है। भूकंप की गहराई जितनी ज्यादा होगी सतह पर उसकी तीव्रता उतनी ही कम महसूस होगी।
क्यों टकराती हैं प्लेटें
ये प्लेंटे बेहद धीरे-धीरे घूमती रहती हैं। इस प्रकार ये हर साल 4-5 मिमी अपने स्थान से खिसक जाती हैं। कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। ऐसे में कभी-कभी ये टकरा भी जाती हैं।
ऐसे करें बचाव
-मकान ध्वस्त हो जाने के बाद उसमें न जाएं।
-कार के भीतर हैं तो उसी में रहें, बाहर न निकलें।
-आपदा की किट बनाएं जिसमें रेडियो, जरूरी कागज, मोबाइल,टार्च, माचिस, मोमबत्ती, चप्पल, कुछ रुपये व जरूरी दवाएं रखें।
-संतुलन बनाए रखने के लिए फर्नीचर को कस पकड़ लें। लिफ्ट का प्रयोग कतई न करें।
-सुरक्षित स्थान पर भूकंपरोधी भवन का निर्माण कराएं।
-समय-समय पर आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण लें व पूर्वाभ्यास करें।
-खुले स्थान पर पेड़ व बिजली की लाइनों से दूर रहें।