सार
तक भूकंप(Earthquake) के तेज झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 5.7 मापी गई है। भूकंप सुबह 9 बजकर 49 सेकंड पर आया। इसका केंद्र पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा पर बताया गया है। हालांकि इससे किसी प्रकार के बड़े नुकसान की खबर नहीं है। हालांकि भूकंप से कश्मीर के बडगाम ज़िले में स्थित चरार-ए-शरीफ़ की मीनार झुकने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं। बता दें कि यह विख्यात सूफ़ी संत शेख़ नूरउद्दीन नूरानी की मज़ार है, जिन्हें नन्द ऋषि भी कहा जाता है।
चंडीगढ़. शनिवार सुबह जम्मू कश्मीर से लेकर पंजाब तक भूकंप(Earthquake) के तेज झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 5.7 मापी गई है। भूकंप सुबह 9 बजकर 49 सेकंड पर आया। इसका केंद्र पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा पर बताया गया है। हालांकि इससे किसी प्रकार के बड़े नुकसान की खबर नहीं है। चंडीगढ़ में भी करीब 2 सेकंड तक धरती हिली। उत्तर प्रदेश के नोएडा भी झटके महसूस किए गए। भूकंप से किसी प्रकार के कोई नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन लोग डर की वजह से घरों आदि से बाहर अवश्य निकल आए। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया(GOI) के सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूकंप के बाद जम्मू-कश्मीर की स्थिति के बारे में जानने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा(Lieutenant Governor Manoj Sinha) को फोन किया।
चरार-ए-शरीफ़ की मीनार झुकी
भूकंप से कश्मीर के बडगाम ज़िले में स्थित चरार-ए-शरीफ़ की मीनार झुकने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं। बता दें कि यह विख्यात सूफ़ी संत शेख़ नूरउद्दीन नूरानी की मज़ार है, जिन्हें नन्द ऋषि भी कहा जाता है। प्रशासक वक्फ बोर्ड चरार-ए-शरीफ ने समाचार एजेंसी- कश्मीर न्यूज ऑब्जर्वर (केएनओ) को बताया कि पूरे कश्मीर में महसूस किए गए तेज झटके के कारण दरगाह की मीनार पर ताज झुक गया और अपना मूल आकार खो गया। उन्होंने कहा कि दरगाहा को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है, फिर भी अंदर और बाहर से हर चीज की जांच की जा रही है। 1990 में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था, तब यह शहर आतंकियों की सुरक्षित पनागगार साबित होने लगा था। करीब 600 साल पुरानी इस दरगाह पर 1995 में आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया था। BSF के दो जवानों की हत्या के बाद सुरक्षाबलों ने इस दरगाह से आतंकवादियों को सफाया किया था।
पाकिस्तान में था केंद्र
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को इस्लामाबाद, रावलपिंडी और पंजाब के कई अन्य शहरों के अलावा खैबर पख्तूनख्वा में 5.9 तीव्रता का भूकंप आया। इस्लामाबाद स्थित राष्ट्रीय भूकंप निगरानी केंद्र ने बताया कि भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदुकुश क्षेत्र में 210 किमी की गहराई पर था। इससे पहले पाकिस्तान में 14 जनवरी, 2021 को भी भूकंप आया था। इसकी तीव्रता 5.6 थी। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान (Afghanistan-Tajikistan) सीमावर्ती क्षेत्र में 100 किलोमीटर की गहराई में था। इसके झटके पेशावर, मानशेरा, बालाकोट और चारसादा सहित खैबर-पख्तूनख्वा के कई शहरों में महसूस किए गए थे। वहीं, 1 जनवरी, 2021 को को भी 5.3 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके झटके पाकिस्तान के उत्तरी हिस्से स्थित खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुछ हिस्सों में महसूस किए गए थे।
अक्टूबर, 2021 को भी पाकिस्तान आया था भूकंप
अक्टूबर, 2021 में भी दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान(south west Pakistan) में भूकंप के जबर्दस्त झटके महसूस किए गए थे। हरनेई इलाके में आए इस भूकंप की तीव्रता 5.9 आंकी गई थी। पाकिस्तान में भूकंप का केंद्र हरनोई से 14 किमी उत्तर-पूर्व में में था। यह जगह बलूचिस्तान प्रांत में आती है। कई और जगहों पर भी झटके महसूस किए गए। लेकिन सबसे अधिक नुकसान हरनोई में हुआ था।
जानिए क्यों आता है भूकंप
जानकार बताते हैं कि धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है।
भूकंप की गहराई से क्या मतलब है
मतलब साफ है कि हलचल कितनी गहराई पर हुई है। भूकंप की गहराई जितनी ज्यादा होगी सतह पर उसकी तीव्रता उतनी ही कम महसूस होगी।
क्यों टकराती हैं प्लेटें
ये प्लेंटे बेहद धीरे-धीरे घूमती रहती हैं। इस प्रकार ये हर साल 4-5 मिमी अपने स्थान से खिसक जाती हैं। कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। ऐसे में कभी-कभी ये टकरा भी जाती हैं।
ऐसे करें बचाव
-मकान ध्वस्त हो जाने के बाद उसमें न जाएं।
-कार के भीतर हैं तो उसी में रहें, बाहर न निकलें।
-आपदा की किट बनाएं जिसमें रेडियो, जरूरी कागज, मोबाइल,टार्च, माचिस, मोमबत्ती, चप्पल, कुछ रुपये व जरूरी दवाएं रखें।
-संतुलन बनाए रखने के लिए फर्नीचर को कस पकड़ लें। लिफ्ट का प्रयोग कतई न करें।
-सुरक्षित स्थान पर भूकंपरोधी भवन का निर्माण कराएं।
-समय-समय पर आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण लें व पूर्वाभ्यास करें।
-खुले स्थान पर पेड़ व बिजली की लाइनों से दूर रहें।