ईडी ने एक बयान में कहा कि निवेशक मशहूर हस्तियों की उपस्थिति में प्रचार कार्यक्रम आयोजित किया गया जिससे निवेशक आकर्षित हुए। कथित तौर पर 900 से अधिक निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी की पेशकश के नाम पर 1,200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है।
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने सोमवार को केरल (Kerala) के एक व्यवसायी की संपत्ति कुर्क की है। व्यवसायी पर आरोप है कि उसने कथित तौर पर 900 से अधिक निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी की पेशकश के नाम पर 1,200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। केंद्रीय एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी (Central Anti Money Laundering Agency) ने निषाद के. (Nishad K) और उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन लोगों ने कथित तौर पर 'मॉरिस कॉइन क्रिप्टोकरेंसी' लॉन्च करने के नाम पर जमाकर्ताओं को लालच दिया था।
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत उन संपत्तियों को कुर्क करने के लिए एक अनंतिम आदेश जारी किया गया है, जिसमें निषाद के और उनकी कंपनियों के कई बैंक खातों में शेष राशि, अचल संपत्ति शामिल है। निषाद के के करीबी एक सहयोगी द्वारा अपराध की आय से खरीदी गई क्रिप्टोकरेंसी, उसकी जमीन की कीमतों के बराबर है। कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 36.72 करोड़ से अधिक है।
कैसे किया फ्रॉड?
एजेंसी ने कहा कि निषाद के, लॉन्ग रिच ग्लोबल, लॉन्ग रिच टेक्नोलॉजीज और मॉरिस ट्रेडिंग सॉल्यूशंस (Morris trading solutions) जैसी अपनी कंपनियों के माध्यम से मॉरिस कॉइन क्रिप्टोकरेंसी (Morris Coin Cryptocurrency) के लॉन्च के लिए शुरुआती सिक्के की पेशकश की आड़ में निवेशकों से जमा राशि एकत्र की थी। ईडी ने एक बयान में कहा कि निवेशक मशहूर हस्तियों की उपस्थिति में प्रचार कार्यक्रम आयोजित किया गया जिससे निवेशक आकर्षित हुए।
यह आरोप लगाया गया कि निवेशकों को धोखा देकर एकत्र की गई राशि निषाद के और उनके सहयोगियों द्वारा संचालित विभिन्न कंपनियों के माध्यम से ली गई थी। ईडी ने कहा कि जनता से ली गई जमा राशि अवैध थी और बिना किसी नियामक एजेंसी की वैधानिक अनुमति के थी। यह एक पोंजी योजना थी और निवेशकों को बहुत अधिक रिटर्न का लालच दिया गया था। प्राप्त धन का उपयोग अचल संपत्तियों, विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी, लक्जरी कारों की खरीद और लक्जरी होटल और रिसॉर्ट में खर्च करने के लिए किया गया था।
ईडी ने राज्य के मलप्पुरम और कन्नूर जिलों में आरोपियों के खिलाफ दायर केरल पुलिस के कई एफआईआर के बाद अपने यहां मामला दर्ज किया गया था। पुलिस एफआईआर में यह आरोप लगाया गया था कि 900 से अधिक निवेशकों को अभियुक्तों द्वारा 1,200 करोड़ की ठगी की गई थी।
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