एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया( The Editors Guild of India) ने संदिग्ध आतंकवादी संगठनों द्वारा कश्मीर में काम करने वाले पत्रकारों को हाल ही में दी गई धमकियों और संबंधित मीडिया संस्थानों से पांच मीडियाकर्मियों के इस्तीफे पर शुक्रवार को 'गहरी चिंता' जताई है।
नई दिल्ली. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया( The Editors Guild of India) ने संदिग्ध आतंकवादी संगठनों द्वारा कश्मीर में काम करने वाले पत्रकारों को हाल ही में दी गई धमकियों और संबंधित मीडिया संस्थानों से पांच मीडियाकर्मियों के इस्तीफे पर शुक्रवार को 'गहरी चिंता' जताई है। गिल्ड ने यहां एक बयान में कहा, "कश्मीर में पत्रकार अब खुद को राज्य के अधिकारियों के साथ-साथ आतंकवादियों के निशाने पर पाते हैं। यह 1990 के दशक के आतंकवाद की याद दिलाता है।"
इसमें कहा गया, 'आतंकवादी समूहों ने एक बार फिर मीडिया हाउसों का नाम लिया है और चेतावनी दी है कि राइजिंग कश्मीर और ग्रेटर कश्मीर सहित जाने-माने क्षेत्रीय अखबारों से जुड़े लोगों को देशद्रोही घोषित कर दिया जाएगा और उनकी टाइमलाइन सील कर दी जाएगी।' गिल्ड ने लिखा कि क्षेत्र में मीडिया की स्वतंत्रता और सक्रिय नागरिक समाज के लिए जगह लगातार कम होती जा रही है।
एक इंटेलिजेंस डोजियर के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में घाटी में कई पत्रकारों को मिली धमकियों के पीछे तुर्की बेस्ड टेरर ऑपरेटिव मुख्तार बाबा और जम्मू-कश्मीर में उसके 6 संपर्कों का हाथ होने का संदेह है। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के शेडो आर्गेनाइजेशन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) द्वारा धमकी दिए जाने के बाद हाल ही में कई पत्रकारों ने स्थानीय प्रकाशनों से इस्तीफा दे दिया।
गिल्ड ने याद किया कि राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की जून 2018 में हत्या कर दी गई थी। गिल्ड ने कहा, "कश्मीर प्रेस क्लब, जो पत्रकारों के संरक्षण और अधिकारों के लिए लड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान बन गया था, को राज्य प्रशासन द्वारा बंद कर दिया गया था। इससे पत्रकारों के लिए सहकर्मी संचालित सुरक्षा की परत कमजोर हो गई थी।" .
गिल्ड ने कहा, "आतंकवादी संगठनों द्वारा की गई इन घोषणाओं ने भय और असुरक्षा की भावना को और खराब कर दिया है, जिससे पत्रकारों के लिए स्वतंत्र रूप से काम करना असंभव हो गया है।" बयान में कहा गया है, "गिल्ड इस तरह की धमकियों की कड़ी निंदा करता है और राज्य सरकार से सुरक्षा और विश्वास का माहौल बनाने का आह्वान करता है, जिसमें मीडिया पक्ष लेने के लिए मजबूर न हो और पूरी सुरक्षा के साथ मुक्त वातावरण में काम करने में सक्षम हो।"
कश्मीर स्थित पत्रकारों को हाल की धमकियों से संबंधित खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि लश्कर आतंकवादी मुख्तार बाबा अब तुर्की से आतंकवादी गतिविधियों को ऑपरेट करता है। यह सिक्योरिटी फोर्स के मुखबिर होने के शक में केंद्र शासित प्रदेश के पत्रकारों की एक हिट लिस्ट बनाने के पीछे का मास्टरमाइंड है। इस हिट लिस्ट के बाद मुख्तार बाबा के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत FIR दर्ज की गई है।
केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के इनपुट के आधार पर एक खुफिया आकलन से पता चलता है कि आतंकवादी बाबा तुर्की से अकसर पाकिस्तान का दौरा करता हैं और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की एक ब्रांच द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के बैनर तले आतंकवाद के लिए घाटी में युवाओं को तैयार करने, झूठी कहानी बनाने और प्रचारित करने में किंग पिन हैं।
मूल रूप से श्रीनगर का रहने वाले बाबा तुर्की के अंकारा भागने से पहले नौगाम में शिफ्ट हो गया थे। सूत्रों के मुताबिक उसने पत्रकारों के भीतर से मुखबिरों का एक नेटवर्क बनाया है, जिसके इनपुट के आधार पर उसने आतंकवादियों का साथ नहीं देने वाले मीडियाकर्मियों की हिट लिस्ट तैयार की है।
सूत्रों के अनुसार, वह 1990 के दशक में आतंकी संगठन हिजबुल्लाह से जुड़ा रहा और हिजबुल्ला से संबंधित 40 एके सीरीज राइफलों को दूसरे आतंकवादी संगठन को बेचने में शामिल पाए जाने के बाद उसे संगठन से बाहर कर दिया गया था।
इसके बाद वह मसरत आलम के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग से जुड़ा रहा और घाटी में पत्रकारों और मीडिया आउटलेट्स को रिपोर्टिंग और राय में पाकिस्तानी और आतंकवादी लाइन को मजबूर करने के लिए मजबूर करने के लिए कुख्यात हैं।
सूत्रों ने बताया कि श्रीनगर में कई अलगाववादी संगठनों के साथ सक्रिय रहने के दौरान वह हमेशा पाकिस्तानी एजेंसियों के करीब रहा है। बाबा सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहा है।
खुफिया सूत्रों ने कहा कि 55 वर्षीय बाबा ने पहले घाटी के चार संगठनों के साथ एक पत्रकार के रूप में काम किया था और कश्मीर में मीडिया के माहौल से बहुत परिचित हैं। वह 1990 में कुछ समय के लिए जम्मू की कोट भलवाल जेल में बंद था।
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