हर बार इलेक्शन में ऐसा होता है कि जिस एरिया में जितने वोटर होते हैं, उसके हिसाब से वोटिंग नहीं होती। यानी कई वोटिंग करने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते, जबकि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की मजबूती के लिए हर वोट कीमती होता है। ऐसे ही निष्क्रिय और बहानेबाजी वोटरों की निगरानी कराई जा सकती है। जानिए चुनाव आयोग (Election Commission) क्या बड़ा फैसला लेने जा रहा है?
नई दिल्ली. अगर आप वोटिंग के दिन आफिस से छुट़्टी लेकर भी वोट डालने नहीं जाते हैं, तो सतर्क हो जाइए! हर बार इलेक्शन में ऐसा होता है कि जिस एरिया में जितने वोटर होते हैं, उसके हिसाब से वोटिंग नहीं होती। यानी कई वोटिंग करने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते, जबकि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की मजबूती के लिए हर वोट कीमती होता है। ऐसे ही निष्क्रिय और बहानेबाजी वोटरों की निगरानी कराई जा सकती है। जानिए चुनाव आयोग (Election Commission) क्या बड़ा फैसला लेने जा रहा है?
500 से अधिक वर्कर्स वाली कंपनियों में हो सकती है मॉनिटरिंग
वोटिंग को लेकर गांवों की तुलना में शहरों के वोटर्स अधिक उदासीन देखे जाते रहे हैं। इस दिशा में चुनाव आयोग (EC) एक उपाय करने जा रही है। चुनाव आयोग केंद्र और राज्य सरकार के सभी विभागों, प्राइवेट सेक्टर्स और 500 से अधिक कर्मचारियों वाली निजी कंपनियों को एक लेटर लिखने जा रही है, जिसमें छुट्टी लेकर भी वोट नहीं डालने जाने वाले कर्मचारियों की निगरानी करने को कहा जाएगा। चुनाव आयोग का मानना है कि इसका मकसद यह पता करना है कि विशेष अवकाश (Special Leave) का लाभ उठाकर भी कितने कर्मचारी वोटिंग करने नहीं जाते हैं? चुनाव आयोग के एक सीनियर आफिसर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि छुट्टी लेकर भी लोग वोट डालने नहीं जाते हैं। ऐसे लोगों की पहचान करके उन्हें एक वर्कशॉप में भेजा जाएगा, ताकि उन्हें वोटिंग का महत्व समझाया जा सके।
कर्मचारियों को वोटिंग वाले दिन मिलती है पेड लीव
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 135बी (Section 135B of the Representation of the People Act, 1951) में कर्मचारियों को वोटिंग के लिए एक दिन की पेड लीव देने का प्रावधान है। लेकिन कई कर्मचारी इसका गलत फायदा उठाते हैं। चुनाव आयोग वोटिंग न करने वालों को जागरू करने यह प्लानिंग कर रहा है।
2019 में सामने आया था ऐसा ही एक मामला
महाराष्ट्र के पनवेल मनपा कमिश्नर ने 2019 के चुनाव के दौरान आदेश निकाला था कि जो कर्मचारी छुट्टी लेकर भी वोटिंग करने नहीं जाते, उनकी सैलरी काटी जाए। हालांकि संविधान में वोटिंग के लिए मजबूर करने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन अगर कोई कर्मचारी छुट्टी लेकर भी वोट नहीं डालता, तो उसकी सैलरी काटी जा सकती है।
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