- Home
- National News
- Target Killings का डर भी नहीं रोका सका 'मां' से मिलने, झरने के रंग बदलते पानी में दिख जाता है भविष्य
Target Killings का डर भी नहीं रोका सका 'मां' से मिलने, झरने के रंग बदलते पानी में दिख जाता है भविष्य
- FB
- TW
- Linkdin
तुल्लमुल्ला तीर्थस्थल स्थानीय कश्मीरी पंडित समुदाय का सबसे पवित्र मंदिर होने के साथ-साथ कश्मीर के विभिन्न समुदायों के बीच सदियों पुरानी उदार संस्कृति और भाईचारे का भी प्रतीक है। मंदिर के अंदर के झरने का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि स्थानीय लोगों का मानना है कि त्योहार के दिन इसके पानी का रंग अगले साल तक होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास देता है।
स्थानीय धर्मार्थ ट्रस्ट झरनों से घिरे भूमि के एक बड़े टुकड़े में फैले इस तीर्थ परिसर का रखरखाव करता है। इस मेले को लेकर हाल में अफवाहें फैलाई गई थीं। सोाशल मीडिया पर 'माता खीर भवानी अस्थापन ट्रस्ट' के फर्जी लेटरहेड के जरिये पब्लिसिटी की गई कि टार्गेट किलिंग को देखते हुए ऐतिहासिक खीर भवानी मेला रद्द कर दिया गया है। हालांकि प्रशासन ने इसे फेक बताया था।
खीर भवानी मंदिर के मेले में पहुंचे कश्मीरी पंडितों का स्थानीय लोगों ने फूल देकर स्वागत किया। मेले में सिक्योरिटी सख्त रखी गई।
इस मेले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां हिंदू और मुसलमान दोनों सम्प्रदाय के लोग शामिल होते हैं। यह मंदिर जो 1990 के दशक की शुरुआत में कश्मीर से चले गए पंडित समुदाय को फिर से घाटी से जोड़ने मुस्लिम समुदाय को एक बड़ा अवसर देता है।
यह भी पढ़ें-उत्तराखंडः बॉर्डर एरिया के गांवों में पर्यटन को बढ़ावा, कुछ ऐसे बदल जाएगी तस्वीर
खीर भवानी मंदिर एक पवित्र पानी के चश्मे(नेचुरल वाटर रिसोर्स) के ऊपर स्थित है। यह जगह श्रीनगर से 25 किलोमीटर दूर है। परंपराओं के हिसाब से वसंत के सीजन में मंदिर में खीर चढ़ाई जाती है। इसी वजह से इसका नाम'खीर भवानी' पड़ा। जम्मू-कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह और महाराजा हरि सिंह ने मंदिर का निर्माण और रीकंस्ट्रक्शन कराया था।