ये है Driverless गाड़ी; न ठोकेगी अगाड़ी और न पिछाड़ी, ऑर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का गजब प्रयोग

Published : Aug 12, 2021, 10:03 AM ISTUpdated : Aug 12, 2021, 10:08 AM IST
ये है Driverless गाड़ी; न ठोकेगी अगाड़ी और न पिछाड़ी, ऑर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का गजब प्रयोग

सार

इसे कहते हैं कृत्रिम बुद्धिमता( artificial intelligence) का गजब प्रयोग। पुणे के कुछ इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने यह Driverless गाड़ी बनाई है।

पुणे. कहते हैं कि जहां चाह, वहां राह! इसी जोश-जुनून और कुछ नया प्रयोग करने की दिशा में पुणे की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग विभाग के स्टूडेंट़्स ने बिना ड्राइवर(Driverless) के चलने वाली गाड़ी ईजाद की है। अकसर मानव त्रुटि(Human Error) के कारण एक्सीडेंट होते हैं। यह गाड़ी इन सभी से सुरक्षित करती है।

artificial intelligence का गजब उदाहरण
यह गाड़ी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence) का  एक अनूठा प्रयोग है। यह व्हीकल MIT World Peace University के मैकेनिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के स्टूडेंट्स की मेहनत का परिणाम है। इस व्हीकल को चलाने के लिए लिथियम आयरन फॉस्फेट बैटरी का उपयोग किया गया है। इसे बनाने वाली टीम के छात्र यश केसकर और सुधांशु मानेरिकर ने बताया कि वाहन के स्टीयरिंग, ब्रेक आदि को विभिन्न प्रकार के एआई और एमएल एल्गोरिदम(कम्यूटर प्रोग्रामिंग) के जरिये कंट्रोल किया जाता है। इसमें लीडर कैमरा, माइक्रोप्रोसेसर, स्वचालित एक्शन कंट्रोल सिस्टम और विभिन्न सेंसर शामिल हैं।

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4 घंटें में चार्ज होगी बैटरी
इस व्हीकल में आउटपुट 3 kW है। यानी इस बैटरी को चार्ज करने में 4 घंटे का समय लगता है। एक बार चार्ज होने पर व्हीकल 40 किलोमीटर तक चलाई जा सकती है। इस गाड़ी का इस्तेमाल खेती-किसानी, माइनिंग, परिवहन और दूसरे अन्य क्षेत्रों में किया जा सकता है। प्रोफेसर गणेश काकंडीकर कहते हैं कि इसके अलावा इस व्हीकल का इस्तेमाल हवाई अड्डों, गोल्फ क्लबों, विश्वविद्यालयों आदि में मेट्रो स्टेशनों को जोड़ने में भी किया जा सकता है।

क्या है AI
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence) कम्प्यूटर साइंस की एक ब्रांच है। इसमें कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के जरिये इंसानों के बहुत सारे काम कराए जा सकते हैं। रोबोट इसी का उदाहरण हैं। उन्हें कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के जरिये दिशा-निर्देश दिए जाते हैं और वे उसका पालन करते हैं।

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