Ethanol Rate Hike: इथेनॉल पर अतिरिक्त शुल्क को लेकर केंद्र सरकार ने पंजाब, हरियाणा और हिमाचल से जताई सख्त आपत्ति

Published : Jun 23, 2025, 06:13 PM IST
Centre issues concern over Ethanol Levies by State Governments

सार

Ethanol Rate Hike Dispute: केंद्र सरकार ने इथेनॉल पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के राज्य सरकारों के फैसले को पर्यावरणीय लक्ष्य और ईंधन नीति के खिलाफ बताया। 2025 तक 20% मिश्रण का लक्ष्य खतरे में।

Ethanol rates hike: भारत सरकार ने पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश द्वारा इथेनॉल पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने के संबंध में गंभीर चिंता व्यक्त की है। केंद्र के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इन राज्यों से हाल ही में किए गए नीति संशोधनों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है, जो देश के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम में बाधा डाल सकते हैं, ईंधन की कीमतों में वृद्धि कर सकते हैं और पर्यावरणीय लक्ष्यों को कमजोर कर सकते हैं।

वर्तमान में इथेनॉल पर अतिरिक्त शुल्क लगाने वाले तीनों राज्यों हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकारें हैं। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता में है जबकि हरियाणा में भाजपा की सरकार है। खास बात यह है कि हरियाणा से अपेक्षा की जा रही थी कि वह केंद्र सरकार की ऊर्जा नीति और दृष्टिकोण के अनुरूप कदम उठाएगा। बावजूद इसके, हरियाणा सरकार ने इथेनॉल पर शुल्क बढ़ाने का स्वतंत्र निर्णय लिया।

इसी संदर्भ में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इन तीनों राज्यों को औपचारिक पत्र भेजे हैं। ये पत्र मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव प्रवीन एम. खनूजा द्वारा व्यक्तिगत रूप से संबोधित किए गए। हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को 27 मार्च को पत्र भेजा गया, इसके बाद 8 अप्रैल को पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा को और 23 मई को हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी को पत्र भेजा गया।

मंत्रालय ने इन पत्रों में कहा है कि इथेनॉल परमिट पर नियामक शुल्क, डिस्टिलरियों के लाइसेंस और नवीनीकरण शुल्क में वृद्धि तथा आयात शुल्क जैसे नए प्रावधान, राज्यों के भीतर और बाहर इथेनॉल की निर्बाध आवाजाही में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इन अतिरिक्त शुल्कों के कारण इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की लागत बढ़ सकती है, जिससे देशव्यापी मिश्रण स्तर को बढ़ाने के प्रयासों में संभावित रूप से कमी आ सकती है।

मंत्रालय ने यह भी उल्लेख किया कि ऐसे शुल्क उस उत्पाद पर लगाए जा रहे हैं जो पहले से ही जीएसटी के दायरे में है, जिससे यह न केवल नीति के दृष्टिकोण से बल्कि कानूनी दृष्टिकोण से भी चिंता का विषय बन सकता है। सरकार का इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने, ईंधन आयात पर निर्भरता घटाने और कृषि उपज के लिए बाजार उपलब्ध कराकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मिशन है।

इन तीन राज्यों द्वारा इथेनॉल मिश्रण में सराहनीय प्रगति के बावजूद प्रत्येक राज्य वर्तमान इथेनॉल आपूर्ति वर्ष में 18% मिश्रण के करीब है। केंद्र ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के शुल्कों की शुरूआत भविष्य की वृद्धि को रोक सकती है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि देशभर में केवल पंजाब और हरियाणा ही ऐसे राज्य हैं जिन्होंने ईंधन मिश्रण के लिए विशेष रूप से इथेनॉल पर इस प्रकार के शुल्क लगाए हैं।

इथेनॉल उद्योग से जुड़े स्टेकहोल्डर, विशेषकर ग्रेन इथेनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने भी केंद्र की चिंताओं का समर्थन किया है। संगठन के अनुसार, कच्चे माल की लागत बढ़ने और तेल विपणन कंपनियों द्वारा निर्धारित विक्रय मूल्य स्थिर रहने के कारण उद्योग पहले ही आर्थिक तनाव में है। ऐसे में राज्यस्तरीय अतिरिक्त शुल्क उत्पादन लागत और रोजगार को प्रभावित कर सकते हैं।

केंद्र सरकार ने राज्यों से इन नए शुल्कों को वापस लेने या संशोधित करने की अपील की है, ताकि 2025–26 तक 20% और 2030 तक 30% इथेनॉल मिश्रण के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति बनी रह सके। सरकार ने दोहराया है कि वह स्वच्छ ऊर्जा, परिपत्र अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय ऊर्जा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए राज्यों के साथ समन्वय बनाकर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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