1971 के युद्ध में भारत की जीत की 50वीं वर्षगांठ पर 'काला पानी' जेल में लाई गई विजय ज्योति

अंडमान और निकोबार कमान ने 1971 के युद्ध में भारत की जीत की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सेलुलर जेल में कार्यक्रम आयोजित किए। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 5, 2021 9:59 AM IST / Updated: Aug 05 2021, 03:40 PM IST

पोर्ट ब्‍लेयर. वर्ष 1971 के युद्ध में भारत की जीत की 50वीं वर्षगांठ समारोह आयोजित करने के क्रम में अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के पोर्ट ब्‍लेयर स्थित सेलुलर जेल में स्‍वर्णिम विजय वर्ष विजय ज्‍योति लाई गई। अंडमान एवं निकोबार कमान (एएनसी) ने सेलुलर जेल में विभिन्‍न कार्यक्रम आयोजित किए। इन कार्यक्रमों में संयुक्‍त सेनाओं के दस्‍ते द्वारा बैंड डिस्‍पले, एक प्रकाश एवं ध्‍वनि शो और 1971 युद्ध पर आधारित एक लघु फिल्‍म शामिल हैं। आर्मी कंपोनेंट कमांडर ब्रिगेडियर राजीव नागयाल इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।

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पूर्व सैनिक, सैन्य अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे। आर्मी कंपोनेंट कमांडर ने मातृभूमि के विभिन्‍न हिस्‍सों से मिट्टी संग्रह की राष्‍ट्रीय पहल के हिस्‍से के रूप में सेलुलर जेल से मिट्टी का संग्रह किया।

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भारत के स्‍वतंत्रता आंदोलन के एक प्रतीक के रूप में सेलुलर जेल का गौरवपूर्ण स्‍थान है। इसे काला पानी के रूप में भी जाना जाता है, जेल का इस्‍तेमाल राजनीतिक कैदियों को दूरस्थ द्वीपसमूह में निर्वासित करने के लिए किया जाता था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विनायक दामोदर सावरकर, बटुकेश्वर दत्त, योगेन्द्र शुक्ला और वी.ओ. चिदंबरम पिल्लई को यहां कैद किया गया था। आज यह सेलुलर जेल एक राष्ट्रीय स्मारक है।

1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेश का उदय हुआ था
पाकिस्तान से यह युद्ध 13 दिनों तक चला था। इसमें भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह हरा दिया था। इस युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद होकर बांग्लादेश बना गया था। 16 दिसंबर को पाकिस्तान की सेना ने सरेंडर कर दिया था। युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान ने की थी। उसने भारतीय वायुसेना के 11 स्टेशनों पर हवाई हमले किए थे। इसके बाद भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेशी स्वतंत्रता संग्राम में बंगाली राष्ट्रवादी गुटों को समर्थन देकर पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। 

इस युद्ध में पराजित होकर पाकिस्तानी सेना ने हथियार डाल दिए थे। इसमें भारतीय सेना ने करीब 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को युद्ध बंदी बना लिया था। इस युद्ध में करीब 3 लाख बांग्लादेशी हताहत हुए थे। इस संघर्ष के दौरान करीब 1 लाख लोग भारत में शरणार्थी बनकर घुस गए थे।

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