ब्लू क्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के सीईओ ने कहा: 'ईवीएम से छेड़छाड़ और चुनाव में धांधली एक मिथक है', तकनीकी डिजाइन और सख्त प्रक्रियाओं के कारण ईवीएम अत्यधिक सुरक्षित हैं।
EVM myths: ईवीएम में गड़बड़ियों को लेकर किए जा रहे दावों को लगातार खारिज किया जा रहा है। ब्लूक्रॉफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के सीईओ अखिलेश मिश्रा ने दावा किया है कि ईवीएम की विश्वसनीयता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता है। ईवीएम की विश्वसनीयता हर बार साबित हुई है। ब्लू क्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के सीईओ ने कहा: 'ईवीएम से छेड़छाड़ और चुनाव में धांधली एक मिथक है', तकनीकी डिजाइन और सख्त प्रक्रियाओं के कारण ईवीएम अत्यधिक सुरक्षित हैं।
अखिलेश मिश्रा ने कहा कि ईवीएम की हैकिंग या फिक्सिंग थ्योरी एक बचकाने बयान से अधिक नहीं। उन्होंने कहा कि ईवीएम तीन यूनिट्स से बनता है-बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपीएटी।
पहले समझिए ईवीएम यूनिट को?
बैलेट यूनिट, की-बोर्ड की तरह होता है। इसमें 16 कीस या बटन होते हैं। इन बटनों में किसी एक को दबाकर वोटर्स अपना वोट देता है। हर बटन, एक अलग पार्टी या कैंडिडेट का होता है। बटन पर सीरियल नंबर, कैंडिडेट का नाम, सिंबल चस्पा होता है ताकि वोटर पहचान कर वोट कर सके।
कंट्रोल यूनिट होता है जोकि पोलिंग ऑफिसर या प्रेसाइडिंग अफसर के पास होता है। इसे मास्टर यूनिट भी कहते हैं। बैलेट यूनिट के बटन को दबाने के पहले पोलिंग अफसर को मास्टर यूनिट को ऑन करना होता है। मास्टर यूनिट में सारा डेटा एकत्र होता है। मास्टर यूनिट में किस बटन को कितनी बार दबाया गया, इसका डेटा रखता है। वोटर द्वारा बटन दबाए जाने के बाद एक लंबा बीप साउंड होता है।
वोटर के बटन दबाने के बाद बीप साउंड आता है। एक एलईडी बटन जलता है। कंट्रोल यूनिट इसके बाद वीवीपीएटी को कमांड भेजता है। इसके बाद वीवीपीएटी एक पर्ची प्रिंट करता है। पर्ची पर सीरियल नंबर, कैंडिडेट का नाम और सिंबल छपता है। यह पर्ची, सात सेकेंड के लिए दिखता है, जिसे वोटर देख सकता है।
ईवीएम एक स्टैंडअलोन मशीन है। इसे इंटरनेट से कनेक्ट नहीं किया जा सकता है। ईवीएम में कोई पोर्ट नहीं होता, इसलिए इसका कोई एक्सेस नहीं हो सकता है। बताया जा रहा है कि अगर कोई बाहरी एक्सेस हुआ तो ईवीएम करप्ट हो सकता है।
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