Vande Bharat के जनक सुधांशु मणि से खास बातचीत : कहा- दिल्ली-भोपाल ट्रेक से बेहतर कोई ट्रेक नहीं, ट्रेन को पूरी रफ्तार से चलाने के लिए करना होगा ये काम

लोकप्रिय ट्रेन वंदे भारत के जनक माने जाने वाले सुधांशु मणि से एशियानेट न्यूज ने खास बातचीत की। चीफ ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट विनीता वीपी ने सुधांशु से भारत की सबसे तेज ट्रेन के अबतक के सफर को लेकर कई सवाल पूछे जिससे कई रोचक जानकारियां निकलकर आईं।

Piyush Singh Rajput | Published : May 2, 2023 8:07 AM IST / Updated: May 02 2023, 03:08 PM IST

ट्रेंडिंग डेस्क. भारत की सबसे तेज व सबसे लोकप्रिय ट्रेन वंदे भारत (Vande Bharat) के जनक माने जाने वाले सुधांशु मणि (Sudhanshu Mani) से एशियानेट न्यूज ने खास बातचीत की। एशिया नेट की चीफ ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट विनीता वीपी ने रेलवे के कामयाब मैकेनिकल अफसर व पूर्व महाप्रबंधक सुधांशु से भारत की सबसे तेज ट्रेन के अबतक के सफर को लेकर कई सवाल पूछे, जिससे कई रोचक जानकारियां निकलकर आईं। आइए आपको बताते हैं इस खास बातचीत के कुछ खास हिस्से..

केरल में वंदे भारत ट्रेन लॉन्च का अनुभव कैसा रहा?

केरल में पिछले दिनों वंदे भारत ट्रेन शुरू किए जाने के सवाल पर सुधांशु मणि ने कहा, 'निश्चित तौर पर ये अद्भुत अनुभव था और गजब की संतुष्टि देने वाला था। पूरे देश में वंदे भारत ट्रेन को लोगों ने काफी पसंद किया है पर केरल खास है क्योंकि ये देश का सबसे लिटरेट स्टेट है। इस ट्रेन को सबसे ज्यादा पसंद किए जाने का सबसे बड़ा कारण इसकी जबर्दस्त स्पीड है क्योंकि लोग अपनी यात्रा के समय को कम करना चाहते हैं। वहीं इसे पसंद किए जाने का दूसरा कारण है कि इसे भारत द्वारा भारत के लिए, उसके लोगों के लिए बनाए गए एक प्रोडक्ट के रूप में देखा जाता है। केरल के लोगों ने भी इस ट्रेन को जबर्दस्त प्यार दिया है।

केरल में इस ट्रेन की रफ्तार धीमी है, इसे कैसे सुधारा जाए?

चीफ ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट विनीथा वीपी ने सुधांशु मणि से पूछा कि इस ट्रेन को 180kmph तक की रफ्तार पर चलने के लिए बनाया गया है पर केरल में इसकी रफ्तार 110kmph है। ऐसे में इसकी असली रफ्तार प्राप्त करने के लिए क्या करना होगा? इसपर सुधांशु ने कहा, ‘जब हमने इस ट्रेन को बनाया तो हमने इसकी ऑपरेशनल स्पीड 160kmph रखी थी पर हमने इसकी टेस्टिंग 180kmph तक की। हालांकि, देश में दिल्ली-भोपाल के बीच के रूट को छोड़कर कहीं भी इतनी रफ्तार के लिए ट्रैक मौजूद नहीं है।’ देश के बाकी हिस्सों में मौजूदा ट्रैक 110kmph से 130kmph के बीच है, जेसा केरल में है। देश के बाकी हिस्सों में मौजूद रेलवे ट्रैक्स के मुकाबले केरल में फिलहाल जो ट्रैक है उसे अपग्रेड करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। हालांकि, जबतक ये कार्य किया जाता है लोग इस ट्रेन के बेहद तेज एक्सलरेशन, पैसेंजर अमेनिटीज, कंफर्ट आदि का मजा ले सकते हैं।

रेलवे प्रोजेक्ट्स को तेज और बेहतर बनाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

सुधांशु मणि ने इस सवाल पर कहा कि जब हमने वंदे भारत ट्रेन को बनाया तब हम भारत और विश्व को बताना चाहते थे कि हम अपनी 160kmph की ट्रेन के साथ तैयार हैं। हमें उम्मीद थी कि इस कार्य के साथ ट्रैक अपग्रेड भी उसी रफ्तार से होगा पर ऐसा नहीं हुआ। मैं ऐसा नहीं कहूंगा कि ये आसान काम है, पर ये जरूर है कि इसे प्राथमिकता के साथ किया जाना चाहिए। अगर एक ट्रेन की ही बात करें तो इसकी लाइफ 35 से 40 साल होती है, इसमें बहुत पैसा लगता है इसलिए सरकारों को एक लंबे समय को ध्यान में रखते हुए ऐसा करना चाहिए। सरकारें चाहें तो लोगों की जरूरतों के प्रति सहानुभूति और अपने विजन के साथ चीजों को समय पर कर सकती हैं और वर्तमान सरकार ऐसा कर भी रही है। 

अभी भी भारत में सेमी-हाई स्पीड ट्रेन की बात होती है, बुलेट ट्रेन का सपना कब पूरा होगा?

सुधांशु ने कहा, ‘कुछ देशों को छोड़ दें तो ऐसा कोई देश नहीं है जो अब हाई स्पीड ट्रेनों (High Speed Trains) की ओर न जा रहा हो। लेकिन हमारे देश में लंबे समय से बस यही बहस होती रहती है कि क्या बुलेट ट्रेन शुरू करना सही होगा या नहीं? क्या इससे फायदा होगा या नहीं? वगैरह…लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे आगे बढ़ाया है। मेरा भी यही मानना है कि पहले देश में ऐसी दो-तीन हाई स्पीड लाइंस बनाई जानी चाहिए और उनपर ट्रेन चलाकर सीख लेनी चाहिए कि इससे फायदा होगा या नहीं, मुझे नहीं लगता इसमें किसी प्रकार का नुकसान होगा। इससे निश्चित तौर पर एयर ट्रैफिक कम होगा और इससे देश को ही नहीं बल्कि पर्यावरण को भी फायदा होगा।’

महंगी और लग्जीरियस ट्रेनें क्या परिवर्तन लाएंगी? 

इस सवाल पर सुधांशु मणि ने कहा कि सड़क व हवाई सफर के मुकाबले रेलवे अब 6 गुना ज्यादा क्लीन और ग्रीन है। निश्चित तौर पर जितनी ज्यादा ट्रेनें होंगी उतना भारत के लिए बेहतर होगा और पर्यावरण के लिए भी। वंदे भारत और उसकी ही जैसी कई ट्रेनों से हवाई सफर को एक हेल्दी कॉम्पिटीशन मिलेगा और इससे यात्रियों को भी फायदा होगा। 

आपके लिए वंदे भारत बनान कितना चुनौतीपूर्ण कार्य था?

सुधांशु मणि ने इस सवाल पर कहा कि हमें हमेशा अपने जुनून के लिए जीना चाहिए। दो वक्त की रोटी और अपने परिवार के लिए हर कोई कार्य करता है और करना भी चाहिए। पर कभी भी अपने जुनून और आप क्या करना चाहते हैं उस सपने को मरने नहीं देना चाहिए। मेरा भी लंबे समय से सपना था कि क्यों न भारत में एक बेहद तेज और खूबसूरत दिखने वाली ट्रेन हो। मैंने इसके लिए लंबे समय तक संघर्ष और इंतजार किया और आखिर में मुझे इस ट्रेन को बनाने का मौका मिला जिसमें देश के सबसे बेहतरीन इंजीनियरों की टीम ने मेरा साथ दिया।

इंटरव्यू का पूरा हिस्सा वीडियो में देखें…

अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स के लिए यहां क्लिक करें…

 

 

 

Share this article
click me!