From The India Gate: कहीं 'मनहूस' बंगले की वजह से लद गए मंत्रीजी के दिन, तो कहीं रातोंरात गायब हुए नेता

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 24वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 24वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

आरक्षण मांगने वाले नेता रातोंरात गायब क्यों हो गए?

Latest Videos

राजस्थान के भरतपुर जिले में जयपुर-आगरा नेशनल हाइवे पर कई दिनों से जाम लगा हुआ है। वाहन चालकों को गांवों के कच्चे रास्तों से होकर गुजरना पड़ रहा है। इस कारण समय और पैसा दोनों खराब हो रहा है। माली, मौर्य, कुशवाहा समेत 6 समाज 12 फीसदी आरक्षण की मांग कर रहे हैं। हैरानी की बात ये है कि पिछले 2 दिनों से इनके नेता रातोंरात गायब हो गए। जो लोग नेताओं के कहने पर आरक्षण की मांग के लिए आए थे और जाम लगाकर बैठे थे, अब वही अपने नेताओं को तलाश रहे हैं। लोगों का कहना है नेताजी आखिरी बार सीएम से मिलकर लौटे थे और कुछ देर में वापस आने का बोलकर गए थे लेकिन अभी तक गायब हैं। अब आंदोलन बिना नेताओं के चल रहा है।

मंत्री के गिरते ग्राफ के पीछे क्या जिम्मेदार है उनका बंगला?

यूपी में इन दिनों निकाय चुनाव से ज्यादा चर्चा योगी सरकार के एक मंत्री के बंगले की हो रही है। यह बंगला पहले भी चर्चाओं का केंद्र रह चुका है। सरकार में भले ही वह नेताजी इन दिनों मंत्री पद पर विराजमान हैं लेकिन उनका ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। पार्टी के कई अहम फैसलों में उनकी राय लेना तो दूर उन्हें जानकारी भी नहीं दी जा रही है। उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले लोगों को पार्टी में ज्वाइन करवाया जा रहा है। पार्टी के नेता बताते हैं, मंत्री जी के गिरते ग्राफ के चलते उनकी पत्नी को इस बार निकाय चुनाव में मेयर का टिकट नहीं दिया गया। नेताजी के इस ग्राफ को उनके बंगले से जोड़कर देखा जा रहा है। बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि पहले की सरकारों में भी जो इस बंगले में रहा, उसके दिन लद गए।

From The India Gate: कहीं 'नेताजी' की नहीं सुन रहा बेटा तो कहीं अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रही बाप-बेटे की जोड़ी

दिल्ली फाइल्स..

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सवाल सुई की तरह था, जो किसी गुब्बारे में चुभने का एहसास करा रहा था। दरअसल, बीजेपी नेताओं द्वारा कर्नाटक में उतारे जाने वाले उम्मीदवारों की 'संशोधित' सूची सौंपे जाने पर पीएम ने पूछा- आप लोग तीन दिनों तक बैठे रहे और केवल कुछ बदलाव ही हो पाए। इस सवाल ने एक बार फिर ये साफ कर दिया है कि पीएम हर एक निर्वाचन क्षेत्र की नब्ज को बारीकी से कैसे टटोलते हैं। पीएम ने जिस लिस्ट को सबसे पहले देखा उसमें ऐसे नाम थे, जिनके पास चुनाव में 50:50 का मौका था। यह लिस्ट जगदीश शेट्टार और ईश्वरप्पा जैसे दिग्गजों के एक पूल से तैयार की गई थी, क्योंकि टॉप लीडर्स को ये पता नहीं चल पाया था कि उन्हें कैसे समायोजित किया जाए। चुनाव के लिए उम्मीदवारों का सुझाव देते वक्त किए गए कॉम्प्रोमाइज का पता लगाने के बाद, मोदी ने अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ बैठक की। इसके बाद 50:50 लिस्ट में सभी नाम हटा दिए गए और एक नई लिस्ट तैयार की गई। ये नाम कार्यान्वयन के लिए राज्य के नेताओं को दिए गए थे। लेकिन दिल्ली बीजेपी नेताओं का मानना ​​है कि शेट्टार को पार्टी छोड़ने से रोका जाना चाहिए था। उन्हें लगता है कि धर्मेंद्र प्रधान की जगह अगर अमित शाह जैसे कद्दावर नेता उनसे बात करते तो शायद इस नुकसान को रोका जा सकता था। वैसे, एक मुख्यमंत्री और विधायक के तौर पर ये शेट्टार का फ्लॉप शो ही था, जिसने पार्टी के सीनियर लीडर्स को उनका नाम हटाने के लिए प्रेरित किया। हालांकि, इतना जरूर था कि उनकी वरिष्ठता का सम्मान किया जाना चाहिए था। बीजेपी हेडक्वार्टर निश्चित रूप से लक्ष्मण सावदी (जिन्होंने जीवर्गी से चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था) से पार्टी छोड़ने की उम्मीद कर रहा था, लेकिन शेट्टार का पार्टी छोड़ना वाकई हैरान करने वाला फैसला था।

हेड्स मैं जीता, टेल्स तुम हारे..

ये कर्नाटक के उस वरुणा निर्वाचन क्षेत्र में 'राजनीतिक नाटक' का सार है, जहां बीजेपी ने कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ वी सोमन्ना को मैदान में उतारा है। बीएस येदियुरप्पा द्वारा यहां अपने बेटे बीवाई विजयेंद्र को मैदान में उतारने से इनकार करने के बाद टॉप लीडर्स ने सोमन्ना को चुनाव लड़ने के लिए कहा। वैसे, सोमन्ना को यहां से उतार कर बीजेपी ने एक चतुर रणनीति का परिचय दिया है। दरअसल, बीजेपी के इस कदम से मैसूर जिले से ताल्लुक रखने वाले सिद्धरमैया की वरुणा तक आवाजाही को रोका जा सकेगा। साथ ही उन्हें कर्नाटक के किसी अन्य हिस्से में पिछड़े समुदायों के वोटों को अपनी तरफ करने से भी रोका जा सकेगा। इसका फायदा सोमन्ना को होगा और लिंगायत नेता होने के नाते सोमन्ना सामुदायिक वोट आसानी से हड़प सकते हैं। बीजेपी थिंक टैंक को भी लगता है कि सोम्मन्ना के पास कांग्रेस के इस गढ़ में जीतने का आसान मौका है, क्योंकि उस पार्टी में अंदरूनी कलह है। बीजेपी थिंकटैंक का मानना है कि कांग्रेस अगर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भी उभरती है तो भी कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की निगाहें मुख्यमंत्री की कुर्सी को ध्यान में रखते हुए सिद्धारमैया की संभावनाओं को खत्म करने का काम जरूर करेंगी। वरुणा निर्वाचन क्षेत्र में निश्चित रूप से इस बार बहुत कुछ नया देखने को मिलेगा।

रेड लीडर, ग्रीन फ्लैग..

केरल में इन दिनों सीपीएम लीडर ईपी जयराजन और एयरलाइन कंपनी इंडिगो में ठनी हुई है। जयराजन शायद देश के एकमात्र पॉलिटिकल लीडर होंगे, जिन्होंने खुले तौर पर किसी एयरलाइन कंपनी का बहिष्कार करने की घोषणा की। दरअसल, इंडिगो एयरलाइंस के खिलाफ सीपीएम नेता ईपी जयराजन का ये रुख इसलिए है, क्योंकि कन्नूर से तिरुवनंतपुरम जाने वाली एक उड़ान में हंगामे के बाद एयरलाइन ने उन पर तीन हफ्तों का बैन लगा दिया है। हालांकि, जयराजन को बाद में एहसास हुआ कि उनके होमटाउन तिरुवनंतपुरम और कन्नूर के बीच कोई दूसरी एयरलाइन नहीं है। इसके बाद उन्होंने समस्या को हल करने के लिए बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की, लेकिन इसमें किसी ने भी उनकी मदद नहीं की। इसी घटनाक्रम के बीच 'वंदे भारत' की शुरुआत भी हुई। ये ट्रेन जयराजन को 6 घंटे में कन्नूर पहुंचने में मदद करेगी। हालांकि, सीपीएम की तरफ से अब तक वंदे भारत का स्वागत नहीं किया गया है, लेकिन जयराजन ने लोको पायलटों को सम्मानित कर बीजेपी नेताओं को भी हैरान कर दिया, जो खुद पब्लिसिटी के लिए ट्रेन का प्रचार कर रहे थे। वहीं, जयराजन के करीबी सूत्रों का कहना है कि वो 'वंदे भारत' ट्रेन को पाकर वाकई में खुश हैं। इतना ही नहीं, वो चाहते हैं कि कुछ और वंदे भारत ट्रेनें चलें। उन्हें कन्नूर पहुंचने के लिए मजबूरी में ओवरनाइट ट्रेनों को लेना पड़ा, लेकिन अब वंदे भारत उन्हें तेजी से कन्नूर पहुंचने में मदद कर रही है।

ये भी देखें : 

From The India Gate: इधर नेताओं को करनी पड़ रही 'डबल ड्यूटी' तो उधर ऑडियो क्लिप से मचा बवाल

Share this article
click me!

Latest Videos

Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी
क्या है महिला सम्मान योजना? फॉर्म भरवाने खुद पहुंचे केजरीवाल । Delhi Election 2025
ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
Devendra Fadnavis के लिए आया नया सिरदर्द! अब यहां भिड़ गए Eknath Shinde और Ajit Pawar
ठिकाने आई Bangladesh की अक्ल! यूनुस सरकार ने India के सामने फैलाए हाथ । Narendra Modi