पानी है अनमोल: मोबाइल रिचार्ज-डीटीएच रिचार्ज तो आपने खूब किए, पहली बार जानें कैसे करते हैं वॉटर रिचार्ज...

बार-बार यह कहा जाता है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा। यह कितना सच है, कितना फलसफा, यह तो समय बताएगा लेकिन पानी का संकट जिस तरह से बढ़ रहा है, वह एक संकेत है। यह साइन है कि हमें आने वाली पीढ़ियों को बचाना है तो आज और अभी से पानी बचाना होगा। 
 

Manoj Kumar | Published : Aug 30, 2022 3:02 PM IST / Updated: Aug 30 2022, 09:18 PM IST

Water Man Dhuman Singh Kirmach. पानी है तो जिंदगानी है। यह सिर्फ एक कहावत ही नहीं बल्कि वह सच है, जिसे महसूस सभी लोग करते हैं। हां यह अलग बात है कि पानी बचाने की बारी आती है तो लोग एक-दूसरे को दोष देकर अपना फर्ज पूरा कर लेते हैं। जबकि सच ये है कि हम सभी प्रतिदिन कई लीटर पानी किसी न किसी बहाने बर्बाद कर ही देते हैं। लेकिन हमारे बीच में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो पानी की एक-एक बूंद की कीमत समझते हैं। वे जानते हैं कि वाटर रिचार्ज करना कितना जरूरी है। आप अपना मोबाईल और डीटीएच रिचार्ज करने से एक दिन चूक जाएं तो कैसा फील होता है, आप जानते हैं। ऐसे ही हम आपको वाटर रिचार्ज की वास्तविक जरूरत को बताने की कोशिश कर रहे हैं, जो हमारी जिंदगी से जुड़ा है। हम ऐसे ही एक सख्श धूमन सिंह किरमच से बात कर रहे हैं, जिन्होंने वाटर रिचार्ज को जिंदगी की सच्ची जरूरत, सच्चा रिचार्ज बताया है। 

कहां से  मिली जल संरक्षण की प्रेरणा
बातचीत के दौरान धूमन सिंह किरमच ने कहा कि जल संरक्षण का आईडिया तो बचपन से ही आ गया था। हर इंसान में कुछ न कुछ खूबी होती है। ऐसे ही हमने पानी के बारे में सोचना शुरू किया। मैंने यह यह शुरूआत 2000 से की थी। सबसे पहले हमने अपने ही 40 एकड़ के खेत में अंडरग्राउंड पानी की पाइप लाइन बिछाई और लोगों को भी यह समझाने की कोशिश की थी कि पानी बचाना कितना जरूरी है। इसके बाद भी हमने बहुत से आयाम लिए पानी बचाने के जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है।

नहीं आई कोई समस्या
हरियाणा के कुरूक्षेत्र में रहने वाले पेशे से अधिवक्ता धूमन सिंह किरमच ने बताया कि इस काम में कोई समस्या नहीं आई क्योंकि यह सामाजिक सा काम है और सभी को इससे फायदा ही होने वाला है। परिवार के लोगों का भी फुल सपोर्ट रहा है। हां यह बात अलग है कि पाइप लाइन बिछाने का जो खर्चा है, उसे लेकर कुछ सवाल जवाब हुए क्योंकि हम यह अपनी इनकम से ही करते हैं। हमारा प्रोफेशन भी अलग है और हमने एडवोकेट के तौर पर कमाई का 50 फीसदी से ज्यादा चैरिटी ही की है। जहां तक समय निकालने की बात है तो अच्छे काम के लिए समय कोई मायने नहीं रखता है। 

समाज में कैसा बदलाव हो
देखिए हम तो यही चाहते हैं कि पानी के प्रति लोगों की सेंसिटिविटी बढ़े। हम धरती से जितना पानी ले रहे हैं, उसका 10 प्रतिशत भी रिचार्ज नहीं कर रहे हैं। हमारा पूरा फोकस रिचार्जिंग के उपर है। हमने बहुत सारे जोहड़ गांव में खुदवाए हैं जिसकी वजह से लाखों लीटर पानी रिचार्ज हुआ है। उन्होंने बताया कि हमने पंजाब, हिमाचल और हरियाणा में स्टडी किया है। हमने जोधपुर और जयपुर में भी अध्ययन किया है। 

क्या हैं पानी बचाने के टिप्स
पानी बचाने के तो बहुत ही साधारण तरीके हैं। आप टोंटी को खुला रखना छोड़ दें। लोग पाइप लेकर खड़े रहते हैं कार को धोने के लिए, मोटरसाइकिल को धोने के लिए, भैंस को धोने के लिए, इसमें कई पाउंड पानी यू हीं बर्बाद हो जाता है। हमने यह बर्बादी रोकने के लिए लगातार कैंपेन चलाया है। स्कूली बच्चों के बीच हमने स्लोगन प्रतियोगिताएं कराईं, बच्चों को प्रथम आने पर टैबलेट इनाम में भी दिया। यह काम हम कुरूक्षेत्र ही नहीं आसपास के जिलों में भी लगातार कर रहे हैं। हम सोशल मीडिया पर भी यह कैंपेन चलाते हैं, लाखों लोग इससे जुड़े हैं और इसका गहरा इंपैक्ट भी पड़ रहा है। हमने जो प्रतियोगिता कराई उसमें हर जिले से 1-1 लाख बच्चों ने पार्टिसिपेट किया। हम लगातार यह कैंपेन चलाते रहते हैं। 

लोगों पर कितना प्रभाव पड़ा
मैं सिर्फ कुरूक्षेत्र की बात करूं तो यहां के कई इलाके जो डार्क जोन में थे, वे अब बेहतर कर रहे हैं। जहां सबमर्सिबस की बोरिंग काफी गहरी होती थी वहां हम 2 साल में काफी आगे बढ़े हैं। हमने उस वाटर लेवल को स्टेबल करने में सफलता पाई है। धूमन सिंह किरमच ने कहा कि कुरूक्षेत्र जिले के गांव जैसे इस्सरगढ़ गांव है, बरगढ़ गांव है, ऐसे कई गांव हैं, जहां बदलाव साफ-साफ दिख रहा है। ऐसे तो करीब 60 गांव हैं जहां हमने वाटर लेवल को सामान्य बनाने में सफलता पाई है। 

अंडरग्राउंड पाइप का रोल
धूमन सिंह ने कहा कि जैसे की मान लो आप 50 एकड़ की खेती करते हैं तो नाली के माध्यम से सिंचाई करेंगे। वह कच्ची नाली होगी जो जरूरत का तीन गुना पानी खर्च करेगी। साथ ही पास के खेतों को भी नुकसान पहुंचाएगी। वहीं यदि आप पाइपलाइन बिछा देते हैं तो बिना एक बूंद पानी की बर्बादी के वह पानी आपकी खेत में जाएगा। यह समस्या दूर करने के लिए पाइपलाइन से पानी पहुंचाने से बढ़िया कोई साधन नहीं है। इसमें एक खास फायदा यह भी है कि यदि आप 50 एकड़ की खेती कर रहे हो और बिना पाइपलाइन के तो समझो आप 50 की जगह 45 एकड़ ही खेती कर रहे हो। 5 एकड़ तो यूं हीं वेस्ट जाएगा। पाइपलाइन हो गया तो समय से सही जगह पानी पहुंच जाएगा। कहा कि हमने पर्यावरण के लिए पौधरोपण का काम करते हैं। हम सरस्वती नदी के किनारे हजारों पौधे लगा रहे हैं। यह प्रयास लगातार चल रहा है। जितने जोहड़ आदि हैं, वहां पौधरोपण करने से ही हरियाली आएगी। 

कैसे रोकें पानी की बर्बादी
देखिए हमारे क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में पानी की कमी नहीं बल्कि कमी पानी के प्रबंधन की है। मान लो आपके गांव में बरसात हो गई और आप उस पानी को नहीं रोक पाए तो वह आपके लिए यूजलेस है। हमने एक मुहिम चलाई कि गांव का पानी गांव में रहे और क्षेत्र का पानी क्षेत्र में रहे। हम ऐसा करने लगेंगे तो सारी समस्या अपने आप दूर हो जाएंगी। भविष्य की योजना के बारे में बात करते हुए धूमन सिंह ने कहा कि हमारी फ्यूचर प्लानिंग तो रिचार्जिंग की ही है। हर गांव में छोटे-बड़े जो भी तालाब हैं, उन्हें संरक्षित किया जाए। मौजूदा समय में मोदी सरकार की जो अमृत सरोवर योजना है वह वाकई काबिलेतारीफ है। यह गजब की योजना है, हम किसी तालाब को 35-40 फीट तक खोदते हैं तो उसकी रिचार्जिंग अपने आप हो जाएगी। 20 से 40 फुट के जो तालाब बन रहे हैं वे रिचार्जिंग का ही काम करेंगे और यह सबसे कारगर तरीका भी है।

हरियाणा-पंजाब के पास बहुत पानी
हरियाणा और पंजाब के पास अथाह पानी है। रावी, चिनाब जैसी कई नदियां हैं। हमारा जितना समझौता हुआ है उसका तीन गुना पानी पाकिस्तान में चला जाता है। हम उस पानी को मेंटेन नहीं कर पा रहे हैं। हम उतना पानी रोक लें, संभाल लें तो पानी की कभी कोई कमी नहीं होगी। हमने पहले भी कहा कि पानी की कमी नहीं है, प्रबंधन की कमी है। हमें इसके बारे में सोचना होगा। हम नीर संस्था के माध्यम से लगातार पानी के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं। यह हमारा प्लेटफार्म है इसके माध्यम से हजारों, लाखों लोग जुड़े हैं। हमारे साथ कई संस्थाओं ने जुड़ने की कोशिश की है। मगर, हमने कभी ईनाम लेने के लिए काम नहीं किया। 

इस मुहिम से कब से जुड़े हैं
सोशल काम की बात करूं तो मैं दसवीं के बाद से ही जुड़ गया था। हमारे पिताजी की प्रेरणा से हमने एडवोकेट का पेशा शुरू किया, जहां हमने लोगों की मदद ज्यादा की और कमाई पर कम ध्यान दिया। हमने पढ़ाई लिखाई यहीं कुरूक्षेत्र से ही की है। कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर इस काम में लग गए। हमारा मकसद सिर्फ धरती को उसका पानी वापस करने का है। यह मोटिवेशन भी हमारे पिताजी की तरह ही है। धूमन सिंह किरमच ने कहा कि देखिए धरती को बचाना है, हरियाली, पानी, प्रकृति को बचाना है तो हमें वाटर रिचार्जिंग के बारे में सजग हो जाना चाहिए। 

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