Interview: विदेश में कारोबारियों से छुपकर मिलते हैं राहुल गांधी...गुलाम नबी आजाद ने बताया कांग्रेस पार्टी और 'परिवार' का भविष्य

पूर्व कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में राहुल गांधी और कांग्रेस को लेकर कई खुलासे किए। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान किस तरह चोरी-छिपे उद्योगपतियों से मिलते हैं।

नई दिल्ली। Asianet news संवाद कार्यक्रम के तहत एशियानेट के रेजिडेंट एडिटर प्रशांत रघुवंशम ने कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाने वाले कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) से खास बातचीत की। इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को लेकर कई खुलासे किए। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी विदेश जाकर खराब साख वाले कारोबारियों से मिलते हैं।

देखें गुलाम नबी आजाद का पूरा इंटरव्यू

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डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी सच छुपा रहे हैं और लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह शर्म की बात है। राहुल गांधी ने कहा कि उनका कभी किसी व्यवसायी से कोई संबंध नहीं रहा है। सच्चाई यह है कि उनके पूरे परिवार का कारोबारियों से जुड़ाव रहा है। मेरे मन में अब भी गांधी परिवार के लिए बहुत सम्मान है। इसलिए मैं कुछ बोलना नहीं चाहता, नहीं तो 10 उदाहरण दे सकता हूं। राहुल गांधी विदेश जाकर खराब साख वाले कारोबारियों से चोरीछिपे मिलते हैं।

गुलाम नबी आजाद ने कहा, "जब इंदिरा गांधी को अयोग्य करार दिया गया था और जेल भेजा गया था तब लाखों लोग सड़क पर उतर आए थे। लाखों लोग जेल गए थे। राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हुई तो एक मच्छर भी नहीं रोया। वह दिल्ली से सूरत कोर्ट कार्यसमिति के सदस्यों, सांसदों और गुजरात के विधायकों के साथ गए। एक भी युवा या किसान उनके साथ नहीं था।"

खुद गुमराह हैं राहुल गांधी
क्या राहुल गांधी को उनके करीबी गुमराह कर रहे हैं? इस सवाल के जवाब में आजाद ने कहा, "राहुल गांधी खुद को गुमराह कर रहे हैं। वह खुद दिशाहीन हैं। हम 50 साल से राजनीति में हैं, हम गुमराह क्यों नहीं हैं? उनकी दादी को गुमराह क्यों नहीं किया गया? सोनिया गांधी और राजीव गांधी को गुमराह क्यों नहीं किया गया? आजाद ने कहा कि कांग्रेस ने भाजपा को ताकतवर बनाया है। पार्टी नेतृत्व बत्तख की तरह बैठी है। कुछ नहीं कर रही है। इससे भाजपा को मौका मिला है।

कांग्रेस से अधिक निराश हैं युवा
एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी के भाजपा में शामिल होने संबंधी प्रश्न के जवाब में आजाद ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस में युवा पीढ़ी मेरे जैसे बुजुर्ग लोगों की तुलना में नेतृत्व के कारण 10 गुना अधिक निराश है। अनिल एंटनी का भाजपा में जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस के वर्तमान नेताओं की सत्ता में वापसी की इच्छा नहीं है। 45 साल से कम उम्र के कई नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस से जाना पड़ा। यहां तक कि उन्हें संसद सदस्यता से भी इनकार किया गया। वह बीजेपी में गए और आज मंत्री हैं। ऐसे बहुत से नेता हैं। कांग्रेस के 4-5 दर्जन बेहद प्रतिभावान युवा नेताओं ने राहुल गांधी के चलते पार्टी छोड़ी। राहुल गांधी में नेतृत्व क्षमता नहीं है।"

पार्टी नेतृत्व ने हर मौके पर हमें फेल किया
कांग्रेस छोड़ने के बाद खुद को आजाद महसूस कर रहे हैं? इस सवाल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैं पहले भी आजाद था। मैं आज खुद को खुश पाता हूं। पिछले 5-6 साल में कांग्रेस में परेशानी बढ़ी। मैंने खुद और अन्य नेताओं के साथ मिलकर पार्टी नेतृत्व को जो सुझाव दिए उन्हें पूरी तरह इग्नोर कर दिया गया। मुझे इससे काफी निराशा हुई। मुझे लगा कि हमारे सुझाव पर काम होता तो पार्टी को लोकसभा और विधानसभा की अधिक सीटें मिलतीं। कई और राज्यों में कांग्रेस की सरकार होती, लेकिन हर मौके पर नेतृत्व ने हमें फेल कर दिया। दशकों से पार्टी के लिए काम कर रहे सीनियर नेताओं को नहीं सुना जा रहा था। मुझे इस बात से परेशानी थी कि हमलोग पार्टी के लिए सोच रहे हैं और नेतृत्व कुछ नहीं कर रहा है।

पीएम मोदी से माफी मांगता हूं
आजाद ने कहा, "मैं सात साल तक राज्यसभा में विपक्ष का नेता रहा। इस दौरान मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। मैं इसके लिए माफी मांगता हूं। उनकी तरफ से कई दर्जन बार आमंत्रण आया। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ डिनर समेत कई कार्यक्रम में बुलाया गया, लेकिन मैं एक बार भी नहीं गया। दो-तीन बार तो संसद में उन्होंने खुद मुझे निमंत्रण के बारे में याद दिलाया था, लेकिन तब भी मैं नहीं गया था। उन्होंने कई बार संसद में अपने कक्ष में मुझे चाय के लिए बुलाया, लेकिन मैं कभी नहीं गया। मैं प्रधानमंत्री के साथ ऐसा व्यवहार किया। मैं इसे स्वीकार करता हूं। 7 साल में मैंने राज्यसभा में प्रधानमंत्री के सामने उनकी नीतियों की खूब आलोचना की। फेयरवेल स्पीच में मुझे लगा था कि पीएम मेरे लिए कोई अच्छी बात नहीं कहेंगे, लेकिन उन्होंने किसी स्टेट्समैन की तरह बात की।"

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