
तिरुवनंतपुरम। आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर भारत दो प्रमुख अंतरिक्ष मिशन शुरू करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल बना रहा है। इसका काम काफी हद तक पूरा हो चुका है। लो अर्थ ऑर्बिट की एक उड़ान जल्द हो सकती है। यह बात इसरो के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए एस सोमनाथ (new isro chief s somnath) ने एशियानेट न्यूज से एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कही। उन्होंने बताया कि कुछ महीनों में छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान का पहला प्रक्षेपण भी होने की उम्मीद है। पढ़ें उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...
जल्द पूरा होगा RLV का ट्रायल : आजकल पूरी दुनिया की रुचि कम लागत वाले प्रक्षेपण यानों में है। इस समय स्पेस की दुनिया में कई नए लोग जुड़े हैं। इससे प्रक्षेपण सेवाओं में अच्छी प्रतिस्पर्धा खुल रही हैं। इसरो भी उसी रास्ते पर है। हालांकि, कोविड के चलते हमारी कुछ योजनाओं में काफी देर हुई, लेकिन हमें उम्मीद है कि आरएलवी (RLV) के लैंडिंग ट्रायल को पूरा करने या लैंडिंग गियर मैकेनिज्म का ट्रायल बहुत जल्द पूरा होगा।
SSLV का काम भी पूरा : यह एक फिक्स्ड-विंग मॉडल है, जो एक सामान्य विमान की तरह लैंड करता है। हमने इसके लिए व्यापक परीक्षण और प्रयोग किए हैं। इसकी एक्चुअल लैंडिंग का जल्द ही ट्रायल किया जाना है। एक बार जब हम ट्रायल के परिणामों संतुष्ट हो जाएंगे तो इसी साल इसे लो ऑर्बिट की उड़ान के लिए उपयोग करेंगे। एसएसएलवी (SSLV) का डिजाइन और डेवलपमेंट भी लगभग पूरा हो चुका है। हम इसे कुछ महीनों में लॉन्च कर देंगे।
कम लागत वाले लॉन्च व्हीकल जरूरी : नाथ बताते हैं कि इसरो के ग्लोबल डेवलपमेंट का हम दो तरह से आकलन करते हैं। पहला- एक कॉमर्शियल कॉम्पिटीशन के रूप में एक विशेष विकास (एलन मस्क के फाल्कन रॉकेट की तरह) और दूसरा, हमें कैसे अपने अनुकूल चीजों को अपनाने की जरूरत है। सोमनाथ कहते हैं कि आरएलवी हमारी प्राथमिकता है। यह लॉन्च की लागत में भारी कमी लाएगा। इसी तरह, हमें ऐसे लॉन्च व्हीकल (प्रक्षेपण यान) की आवश्यकता है, जिनका उपयोग 15 गुना तक भी किया जा सके। लागत में कमी आने से हम ज्यादा लॉन्च कर सकेंगे और यह लोगों के लिए अधिक फायदेमंद होगा।
कम लागत से होंगे कई फायदे : एक उदाहरण के तौर पर सोमनाथ बताते हैं कि कैसे सैटेलाइट्स की एक फ्लीट का प्रभाव कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी पर होगा। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य बिना समय गंवाए सीधे हैंडहेल्ड डिवाइसों को प्रेषित करने की क्षमता पाने का है। यह इन्फॉर्मेशन और इंफोटेनमेंट इंडस्ट्री में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। इसी तरह कम लागत वाले प्रक्षेपण रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट या लो ऑर्बिट सेटेलाइट के इस्तेमाल वाले अंतरिक्ष अनुप्रयोगों को सुधार करने में मदद करेंगे। इससे पुनरीक्षण का समय काफी कम हो जाता है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से, हम ऐसी सेवाओं को शुरू करने की उम्मीद करते हैं, जो अधिक लोगों पहुंचती हैं। उन्होंने कहा- नए इंजनों और नई सामग्रियों के विकास से लॉन्च की लागत भी कम हो सकती है। उन्होंने कहा कि अधिक उपग्रह नि:संदेह मौजूदा मौसम संबंधी मॉडल को ठीक करने में भी मदद करेंगी।
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