एक्सपर्ट्स की चेतावनी: 5 नहीं अब 7 महीने हो रहा मच्छरों का प्रजनन, क्लाइमेट चेंज से हुआ बड़ा बदलाव, जानें बचाव के रास्ते क्या हैं?

Published : May 01, 2023, 02:54 PM IST
masquito

सार

दुनिया भर में क्लाइमेच चेंज की वजह से कई तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं। इससे मौसम पर तो फर्क पड़ा है, अब घातक बीमारियों का खतरा भी पहले से कहीं ज्यादा हो गया है। एक्सपर्ट्स ने मच्छरों से होने वाली बीमारियों को कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

Mosquito Borne Diseases. जैसे-जैस हमारा प्लैनेट गर्म हो रहा है, वैसे-वैसे क्लाइमेट चेंज हो रहा है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन को लेकर हैरान करने वाली स्टडी सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार अब उन जगहों पर भी मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है, जहां पहले उनकी संख्या न के बराबर थी। यूरोपीय देश इसका उदाहरण हैं। वहां ठंड की वजह से मच्छर नहीं होते थे लेकिन अब वहां भी मच्छरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। भारत जैसे गर्म देशों में यह स्थिति और भी खतरनाक होने जा रही है।

क्लाइमेट चेंज से दुनिया में क्या हो रहे बदलाव

एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्लैनेट गर्म होने की वजह से उन जगहों पर भी मच्छरों का प्रजनन हो रहा है, जहां वे पहले नहीं थे। अफ्रीकी देश, दक्षिण-पूर्व एशिया के देश और लैटिन अमेरिका में तो पहले से ही मच्छरों का प्रकोप है लेकिन अब यूरोपीय देशों में मच्छर पाए जा रहे हैं। ग्लोबल पेस्ट कंट्रोल इनोवेशन के अनुसंधान एवं विकास निदेशक अविजीत दास का कहना है कि जैसे-जैसे तापमान में बढ़ोतरी होगी, पर्यावरण में भी बदलाव होगा। इससे मच्छरों से होने वाली बीमारियों का दायरा भी बढ़ेगा। मच्छरों के अनुकूल स्थानों पर अक्सर उनका प्रजनन 4 से 5 महीने होता था लेकिन अब यह बढ़कर 6 से 7 महीने हो सकता है। अगले 10 साल में यह और बढ़ेगा। दास ने दावा किया कि कई सारे रिसर्च इस बात की पुष्टि करते हैं।

जलवायु परिवर्तन को लेकर क्या कहता है रिसर्च

जर्नल एक्सप्लोरेशन इन लेबोरेटरी एनिमल साइंसेज में पिछले साल प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि तापमान में बढ़ोतरी की वजह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इसकी वजह से वर्षा का स्तर, समुद्र स्तर की ऊंचाई, हवा और धूप की स्थिति में भी बदलाव हो रहा है। विश्व मच्छर कार्यक्रम में महामारीविद और प्रभाव मूल्यांकन के निदेशक डॉ केटी एंडर्स बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन मच्छर से पैदा होने वाली बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है। उदाहरण के लिए जब लोग सूखे से बचाव के लिए पानी का भंडारण करते हैं तो यह स्थानीय मच्छरों के प्रजनन की संख्या भी बढ़ा देता है। एंडर्स ने कहा कि शहरों में भी इसी वजह से डेंगू सहित अन्य मच्छर जनित बीमारियों के विस्फोटक खतरा बढ़ता जा रहा है।

मच्छरों से होने वाली बीमारियों की क्या है स्थिति

मच्छरों से होने वाली बीमारियों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EYWA) के अनुसार यूरोप में मलेरिया के मामलों में 62 प्रतिशत वृद्धि हुई है। जबकि डेंगू, जीका और चिकनगुनिया में 700 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। EYWA एक तरह की प्रोटोटाइप प्रणाली है जो मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम और सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की जरूरतों को बताती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं, इससे बचाव के उपायों पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। दास का कहना है कि मच्छरों से बचाव के जो भी उपाय मौजूद हैं, उसका प्रयोग करना और नए उपाय ढूंढना वक्त की जरूरत है।

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