एक्सपर्ट्स की चेतावनी: 5 नहीं अब 7 महीने हो रहा मच्छरों का प्रजनन, क्लाइमेट चेंज से हुआ बड़ा बदलाव, जानें बचाव के रास्ते क्या हैं?

दुनिया भर में क्लाइमेच चेंज की वजह से कई तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं। इससे मौसम पर तो फर्क पड़ा है, अब घातक बीमारियों का खतरा भी पहले से कहीं ज्यादा हो गया है। एक्सपर्ट्स ने मच्छरों से होने वाली बीमारियों को कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

Mosquito Borne Diseases. जैसे-जैस हमारा प्लैनेट गर्म हो रहा है, वैसे-वैसे क्लाइमेट चेंज हो रहा है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन को लेकर हैरान करने वाली स्टडी सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार अब उन जगहों पर भी मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है, जहां पहले उनकी संख्या न के बराबर थी। यूरोपीय देश इसका उदाहरण हैं। वहां ठंड की वजह से मच्छर नहीं होते थे लेकिन अब वहां भी मच्छरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। भारत जैसे गर्म देशों में यह स्थिति और भी खतरनाक होने जा रही है।

क्लाइमेट चेंज से दुनिया में क्या हो रहे बदलाव

Latest Videos

एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्लैनेट गर्म होने की वजह से उन जगहों पर भी मच्छरों का प्रजनन हो रहा है, जहां वे पहले नहीं थे। अफ्रीकी देश, दक्षिण-पूर्व एशिया के देश और लैटिन अमेरिका में तो पहले से ही मच्छरों का प्रकोप है लेकिन अब यूरोपीय देशों में मच्छर पाए जा रहे हैं। ग्लोबल पेस्ट कंट्रोल इनोवेशन के अनुसंधान एवं विकास निदेशक अविजीत दास का कहना है कि जैसे-जैसे तापमान में बढ़ोतरी होगी, पर्यावरण में भी बदलाव होगा। इससे मच्छरों से होने वाली बीमारियों का दायरा भी बढ़ेगा। मच्छरों के अनुकूल स्थानों पर अक्सर उनका प्रजनन 4 से 5 महीने होता था लेकिन अब यह बढ़कर 6 से 7 महीने हो सकता है। अगले 10 साल में यह और बढ़ेगा। दास ने दावा किया कि कई सारे रिसर्च इस बात की पुष्टि करते हैं।

जलवायु परिवर्तन को लेकर क्या कहता है रिसर्च

जर्नल एक्सप्लोरेशन इन लेबोरेटरी एनिमल साइंसेज में पिछले साल प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि तापमान में बढ़ोतरी की वजह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इसकी वजह से वर्षा का स्तर, समुद्र स्तर की ऊंचाई, हवा और धूप की स्थिति में भी बदलाव हो रहा है। विश्व मच्छर कार्यक्रम में महामारीविद और प्रभाव मूल्यांकन के निदेशक डॉ केटी एंडर्स बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन मच्छर से पैदा होने वाली बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है। उदाहरण के लिए जब लोग सूखे से बचाव के लिए पानी का भंडारण करते हैं तो यह स्थानीय मच्छरों के प्रजनन की संख्या भी बढ़ा देता है। एंडर्स ने कहा कि शहरों में भी इसी वजह से डेंगू सहित अन्य मच्छर जनित बीमारियों के विस्फोटक खतरा बढ़ता जा रहा है।

मच्छरों से होने वाली बीमारियों की क्या है स्थिति

मच्छरों से होने वाली बीमारियों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EYWA) के अनुसार यूरोप में मलेरिया के मामलों में 62 प्रतिशत वृद्धि हुई है। जबकि डेंगू, जीका और चिकनगुनिया में 700 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। EYWA एक तरह की प्रोटोटाइप प्रणाली है जो मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम और सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की जरूरतों को बताती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं, इससे बचाव के उपायों पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। दास का कहना है कि मच्छरों से बचाव के जो भी उपाय मौजूद हैं, उसका प्रयोग करना और नए उपाय ढूंढना वक्त की जरूरत है।

यह भी पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सहमति से तलाक के लिए नहीं करना होगा 6 महीने इंतजार, अयोध्या मामले में कोर्ट ने इसी पावर का किया था इस्तेमाल

 

Share this article
click me!

Latest Videos

राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
LIVE 🔴: रविशंकर प्रसाद ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया | Baba Saheb |
ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
LIVE 🔴: कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में पीएम मोदी का भाषण
Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी