सुप्रीम कोर्ट ने SBI को कहा है कि वह चुनावी बांड की संख्या भी बताए। उस नंबर की मदद से पता चल जाएगा कि बांड कब और किसने खरीदा था। बांड कितने रुपए का था और इसे किस पार्टी को दिया गया था।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनावी बांड संख्या (Electoral Bond Numbers) नहीं बताने के चलते SBI (State Bank of India) से जवाब मांगा। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड मामले पर अपने फैसले में खरीदार, राशि और खरीद की तारीख सहित बांड के सभी जानकारी देने का खुलासा करने का निर्देश दिया था।
क्या है चुनावी बांड संख्या?
चुनावी बांड संख्या यूनिक अल्फान्यूमेरिक पहचान है। यह चुनावी बांड खरीदने वाले और इसका लाभ लेने वाले के बीच महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करती है। चुनावी बांड को राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए लाया गया था। सरकारी बैंक SBI द्वारा इन्हें जारी किया जाता था। प्रत्येक चुनावी बांड का एक खास अल्फान्यूमेरिक कोड होता है। यह उसके डिजिटल फिंगरप्रिंट की तरह है। इस कोड से बांड के खरीददार और पाने वाले राजनीतिक दल के बीच ठोस संबंध स्थापित होता है। ये नंबर ऑडिट ट्रेल में मदद करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की चुनावी बांड के अल्फा न्यूमेरिक नंबर की मांग?
15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया था। कोर्ट ने SBI को आदेश दिया था कि वह अब तक जितने भी चुनावी बांड जारी किए गए हैं उसकी पूरी जानकारी चुनाव आयोग को दे। इसके लिए एसबीआई को 13 मार्च तक का समय दिया गया था। कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह 15 मार्च शाम 5 बजे तक यह जानकारी सार्वजनिक करे कि किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया।
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चुनाव आयोग ने समय सीमा से एक दिन पहले गुरुवार को चुनावी बांड पर डेटा अपनी वेबसाइट पर डाल दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि एसबीआई चुनावी बांड संख्या का भी खुलासा करे। इससे चुनावी बांड खरीदने वालों का मिलान उन पार्टियों से हो जाएगा जिन्हें वे दान दे रहे हैं। इससे बांड के खरीदार, राशि और खरीद की तारीख के बारे में सारी जानकारी मिल जाएगी।
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