खुफिया एजेंसी RAW ने 1968 के बाद पहली बार अपने उत्तरी अमेरिकी स्टेशनों को बंद कर दिया है। 2008 के मुंबई हमलों के बाद से पश्चिमी देशों में रॉ का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ा था।
नई दिल्ली। भारत की खुफिया एजेंसी RAW (Research and Analysis Wing) ने कथित तौर पर 1968 के बाद पहली बार अपने उत्तरी अमेरिकी स्टेशनों को बंद कर दिया है। 2008 के मुंबई हमलों के बाद से पश्चिमी देशों में रॉ का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ा है। इसके गुप्त अभियानों पर चिंताएं बढ़ रही हैं। गिरीश लिंगन्ना की रिपोर्ट...
रॉ ने उत्तरी अमेरिका में अपने स्टेशन ऐसे समय में बंद किए हैं जब न्यूयॉर्क में खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की योजना बनाने के लिए एक भारतीय नागरिक के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाए गए हैं। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार निखिल गुप्ता ने एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ मिलकर पन्नून की हत्या की योजना बनाई थी।
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों के शामिल होने के आरोप लगाए जाने के बाद दुनिया का ध्यान रॉ की ओर बढ़ गया है। कनाडा ने रॉ के स्टेशन के प्रमुख को निष्कासित कर दिया था।
मुंबई हमलों के बाद रॉ ने पश्चिमी देशों में बढ़ाया था प्रभाव
रॉयटर्स ने छह भारतीय सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट दिया है। इसके अनुसार भारतीय खुफिया अधिकारियों और विश्लेषकों ने रॉ पर बढ़ती वैश्विक निगरानी को लेकर चिंता व्यक्त की है। 2008 में मुंबई हमलों में 166 लोगों की जान जाने के बाद रॉ को अंतरराष्ट्रीय मामलों में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया गया था। रॉ ने 2008 से धीरे-धीरे पश्चिमी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाया। एक अधिकारी बताया कि इस बदलाव के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण एक अमेरिकी नागरिक के प्रत्यर्पण में भारत की असमर्थता थी। इसे मुंबई हमले में उसकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था।
पिछले सप्ताह पाकिस्तान ने भारत के गुप्त अभियानों के बढ़ने के बारे में चिंता व्यक्त की थी। इसमें जासूसी और अपनी सीमा से बाहर हत्याओं को अंजाम देना शामिल है। पाकिस्तान ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया था। दिप्रिंट की हालिया रिपोर्ट के अनुसार रॉ के दो सीनियर अधिकारियों को गर्मियों के दौरान पश्चिमी देशों के महत्वपूर्ण शहरों में अपने पद छोड़ने का निर्देश दिया गया था। इन अधिकारियों की पहचान छुपाने के लिए उनके नाम का खुलासा नहीं किया गया। वे अभी भी एजेंसी के लिए काम कर रहे हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, कनाडा और यूके ने अपने यहां रॉ की गतिविधियों को लेकर शिकायत की थी। इसे अनौपचारिक समझौतों का उल्लंधन बनाया गया था। इसके चलते रॉ के अधिकारियों को हटाने का फैसला लिया गया। जिन अधिकारियों को अपने पद छोड़ने के लिए कहा गया, उनमें सैन फ्रांसिस्को में रॉ के स्टेशन प्रमुख और लंदन में इसके संचालन के उप प्रमुख शामिल थे। सैन फ्रांसिस्को और वाशिंगटन डीसी में रॉ के स्टेशनों को बंद करने के साथ-साथ ओटावा में इसके स्टेशन प्रमुख पवन राय के निष्कासन का मतलब है कि एजेंसी उत्तरी अमेरिका में काम नहीं कर रही है।
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