कोरोना संकट के बीच भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर 24 से 28 मई तक अपने 5 दिवसीय दौरे पर अमेरिका में रहेंगे। वे न्यूयॉर्क पहुंच गए हैं। इस दौरे पर सबसे ज्यादा फोकस वैक्सीन खरीदी पर होगा। बता दें कि अमेरिका के पास एस्ट्राजेनेका, फाइजर, मार्डन और जॉनसन एंड जॉनसन का करीब 60 मिलियन अतिरिक्त स्टॉक है। अगर अमेरिका इसमें से कुछ हिस्सा देने को राजी हो जाता है, तो कोरोना के खिलाफ भारत को लड़ाई लड़ने में बड़ी कामयाबी मिलेगी।
न्यूयॉर्क, अमेरिका. कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत को अमेरिकी वैक्सीन मिलने की उम्मीद बंधी है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर 24 से 28 मई तक अपने 5 दिवसीय दौरे पर अमेरिका में रहेंगे। वे न्यूयॉर्क पहुंच गए हैं। इस दौरे पर सबसे ज्यादा फोकस वैक्सीन खरीदी पर होगा। विदेश मंत्री इस दौरान अमेरिकी नेताओं और स्टेकहोल्डर(Stakeholder) से बातचीत करके वैक्सीन की खरीदी पर फोकस करेंगे। बता दें कि अमेरिका के पास सिर्फ एस्ट्राजेनेका, फाइजर, मार्डन और जॉनसन एंड जॉनसन का करीब 60 मिलियन अतिरिक्त स्टॉक है। अगर अमेरिका इसमें से कुछ हिस्सा देने को राजी हो जाता है, तो कोरोना के खिलाफ भारत को लड़ाई लड़ने में बड़ी कामयाबी मिलेगी। अमेरिका पहले ही घोषणा कर चुका है कि वो जरूरतमंद देशों को 80 मिलियन डोज बांटेगा।
लगातार भारत की मदद कर रहा अमेरिका
कोरोना संक्रमण से लड़ाई में अमेरिका पहले से ही भारत को काफी मदद कर चुका है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस मीटिंग के बाद भारत में वैक्सीनेशन अभियान को गति मिलेगी। भारत को अमेरिका से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, रेमेडिसिविर आदि की मदद मिली है। वहीं, कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया को कच्चा माल भी अमेरिका से ही मिल रहा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर में भारत और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन के 57 सदस्यों के साथ कोरोना को रोकने की दिशा में ट्रिप्स समझौते(बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार संबंधी पहलू) के कुछ प्रावधानों का प्रस्ताव रखा था। वहीं, एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन से मई के शुरुआत में लंदन में बातचीत की थी। तब भारतीय-अमेरिकी संगठनों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए काफी पैसा जुटाया था।
स्वामी ने कसा तंज
विदेश मंत्री की अमेरिकी यात्रा से पहले भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का एक बयान सामने आया था। अपने ट्वीट के जरिये उन्होंने जयशंकर पर तंज कसा था कि दुनिया में भारत टीकों का सबसे बड़ा निर्माता है। लेकिन खुद का आत्मनिर्भर कहने वाले ये राष्ट्र अभियान के चलते संकट में है। विदेश मंत्री को अमेरिका और यूरोप में टीकों के लिए भेजना पड़ रहा है। उन्हें उम्मीद है कि वहां कम से कम वेटर की तरह कपड़े नहीं पहनेंगे।
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