संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा-दूसरे देशों के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए

Published : Sep 26, 2023, 07:26 PM ISTUpdated : Sep 27, 2023, 12:46 AM IST
External Affairs Minister S Jaishankar made it clear in an interview given to Asianet News what India got from the G20 bsm

सार

संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान, कनाडा के उन आरोपों के बीच आया है जिसमें पीएम जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया है कि जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में दिल्ली के एजेंट शामिल थे।

S Jaishankar in UN on Canada row: भारत-कनाडा के बीच बढ़ी तल्खियों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि राजनीतिक सुविधा, आतंकवाद या उग्रवाद के प्रति किसी देश की प्रतिक्रिया का आधार नहीं हो सकती है। किसी भी देश को क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और दूसरे के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान, कनाडा के उन आरोपों के बीच आया है जिसमें पीएम जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया है कि जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में दिल्ली के एजेंट शामिल थे। निज्जर एक कनाडाई नागरिक था जो भारत में आतंक के आरोप में वांटेड था।

वह दिन खत्म हुए जब कुछ देश एजेंडा तय करें

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत को शामिल करने की पुरजोर वकालत करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि वह दिन खत्म हो गए जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों से उसी के अनुरूप काम करने की उम्मीद करते थे। जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने और भारत के ग्लोबल साउथ की आवाज बनने की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को अब अवगत होना चाहिए कि दुनिया के देश क्या चाहते हैं। भारत गुटनिरपेक्षता के युग से विश्वामित्र या विश्व का मित्र बनने की ओर बढ़ गया है। हम अक्सर नियम-आधारित आदेश को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं। समय-समय पर, संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान भी इसमें शामिल है। लेकिन सारी बातचीत के लिए अभी भी कुछ राष्ट्र ही एजेंडा को आकार देते हैं और मानदंडों को परिभाषित करना चाहते हैं। यह अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता है, अब क्या यह बिना चुनौती के चलेगा।

एस.जयशंकर ने कहा कि एक बार जब हम सभी इस पर ध्यान देंगे तो एक निष्पक्ष, न्यायसंगत और लोकतांत्रिक व्यवस्था निश्चित रूप से सामने आएगी। इसका मतलब यह सुनिश्चित करना है कि नियम-निर्माता नियम लेने वालों को अपने अधीन न करें। आख़िरकार नियम तभी काम करेंगे जब वे सभी पर समान रूप से लागू होंगे।

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