50 साल पुराना है बोडोलैंड विवाद, 2823 ने इसमें गंवाई जान; अब मोदी सरकार आने के बाद हुआ हल

दोबारा सत्ता में आने के बाद भाजपा अपने पुराने वादों को एक कर पूरा कर रही है। इसी क्रम में सरकार को सोमवार को एक बड़ी सफलता हाथ लगी। पूर्वोत्तर से उग्रवाद खत्म करने के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार, राज्य सरकार और बोडो उग्रवादियों के बीच असम समझौता 2020 पर हस्‍ताक्षर हुआ।

Asianet News Hindi | Published : Jan 27, 2020 11:02 AM IST

नई दिल्ली. दोबारा सत्ता में आने के बाद भाजपा अपने पुराने वादों को एक कर पूरा कर रही है। इसी क्रम में सरकार को सोमवार को एक बड़ी सफलता हाथ लगी। पूर्वोत्तर से उग्रवाद खत्म करने के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार, राज्य सरकार और बोडो उग्रवादियों के बीच असम समझौता 2020 पर हस्‍ताक्षर हुआ। माना जा रहा है कि इस समझौते से असम से बोडोलैंड को अलग राज्य बनाने की मांग अब थम जाएगी। इसी के साथ करीब 50 साल पुराना विवाद भी खत्म हो जाएगा, जिसमें करीब 2823 लोग जान गंवा चुके हैं। 

यह समझौता केंद्र, राज्य सरकार और बोडोलैंड की मांग करने वाले चार गुटों के बीच हुआ। इन संगठनों ने हिंसा छोड़ने का भी फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री सीएम सर्बानंद सोनोवाल की मौजूदगी में यह समझौता हुआ। 

1550 काडर करेंगे आत्मसमर्पण
अमित शाह ने कहा, 130 हथियारों के साथ 1550 काडर 30 जनवरी को आत्मसमर्पण करेंगे। गृह मंत्री के रूप में, मैं सभी प्रतिनिधियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सभी वादे समयबद्ध तरीके से पूरे होंगे। उन्होंने कहा, यह समझौता असम के लिए और बोडो लोगों के लिए एक सुनहरा भविष्य सुनिश्चित करेगा। बोडो समुदाय के भाषाई, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित किया जाएगा। 

क्या है विवाद? 
असम में लंबे वक्त से बोडो समुदाय अपने बहुल इलाकों को मिलाकर अलग राज्य की मांग कर रहा है। अलग राज्य को लेकर आंदोलन 1980 के दशक में हिंसक हो गया। यह तीन गुटों में बंट गया। पहला नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी), दूसरा बोडोलैंड टाइगर्स फोर्स और तीसरा ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन। नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड लगातर अलग राज्य की मांग कर रहा है। वहीं, टाइगर्स फोर्स इस इलाके को और स्वायत्तता देने की मांग कर रहा है। वहीं,  स्टूडेंट्स यूनियन इसका राजनीतिक तरीके से इसका समाधान करना चाहती है।  

हिंसक प्रदर्शनों के पीछे एनडीएफबी का हाथ होने के चलते केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून, 1967 के तहत इस संगठन को गैर कानूनी घोषित कर दिया। इस संगठन के लोगों पर हिंसा, जबरन उगाही और हत्‍या का आरोप है।

एक नजर इन फैक्ट्स पर

- 1985 में असम समझौता हुआ। इसके तहत असम के लोगों के हितों के संरक्षण की बात कही गई। लेकिन बोडो समुदाय अपने हितों की मांग करने लगा। 
- 1986 में उग्रवादी गुट बोडो सिक्‍यॉरिटी फोर्स का गठन किया गया। बाद में इसका नाम NDFB कर लिया गया। 
- ऑल बोडो स्‍टूडेंट यूनियन 1987 में फिर नए राज्य के गठन की मांग की। उनकी मांग थी कि असम को 50-50 में बांटा जाए।
- एनडीएफबी राज्य में हत्याएं और अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता रहा। 1990 के दशक में सुरक्षाबलों ने उग्रवादियों के खिलाफ अभियान चलाए। इसके चलते उग्रवादी भूटान भाग गए। इसके बाद 2000 के आस पास में भारतीय सेना ने भूटान के साथ उग्रवादियों के खिलाफ अभियान चलाए। 
- अक्टूबर 2008 में एनडीएफबी ने असम में कई बम धमाके किए। इसमें सैंकड़ों लोगों की जान गई। इन विस्‍फोटों के बाद एनडीएफबी दो भागों एनडीएफबी (P) और एनडीएफबी (R) में बंट गई। 
- 2012 में एनडीएफबी (R) से अलग होकर एनडीएफबी (S) बनाया गया। 
- 2015 में एनडीएफबी (S) से अलग होकर एक गुट और बना। इस तरह से संगठन चार हिस्सों में बंट गया। 
 
 कितनी आबादी है बोडो समुदाय की? 
असम में बोडो सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है। यहां कुल 5 से 6% आबादी बोडो समुदाय की है। असम में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी हिस्से पर बोडो समुदाय अलग राज्य बोडोलैंड की मांग कर रहा है। अलगाववादियों की ओर से भाषा, संस्कृति की मांग और अन्य अधिकारों को लेकर लंबे समय से अलग राज्य की मांग की गई थी।

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