बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में किसानों को प्रदर्शन की इजाजत, राहुल गांधी बोले- ये तो बस शुरुआत है

रोहतक में विरोध प्रदर्शन के दौरान शु्क्रवार की सुबह 45 साल के किसान की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई। भारतीय किसान यूनियन ने आरोप लगाया कि दिल्ली मार्च रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने जो बाधाएं पैदा की हैं, उसकी वजह से दुर्घटना हुई। हादसे में दो किसान भी घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारी किसान अब हरियाणा सरकार से परिजनों के लिए 20 लाख मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Nov 27, 2020 4:38 AM IST / Updated: Nov 27 2020, 05:06 PM IST

नई दिल्ली. रोहतक में विरोध प्रदर्शन के दौरान शु्क्रवार की सुबह 45 साल के किसान की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई। भारतीय किसान यूनियन ने आरोप लगाया कि दिल्ली मार्च रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने जो बाधाएं पैदा की हैं, उसकी वजह से दुर्घटना हुई। हादसे में दो किसान भी घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारी किसान अब हरियाणा सरकार से परिजनों के लिए 20 लाख मुआवजे की मांग कर रहे हैं। किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार से 9 स्टेडियमों को अस्थायी जेलों में तब्दील करने की अनुमति मांगी।

"बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में कर सकते हैं प्रदर्शन"

दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी ईश सिंघल ने कहा, किसान नेताओं से बातचीत के बाद दिल्ली पुलिस ने उनको शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी है, इसके लिए बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड को निर्धारित किया गया है। उनसे(किसानों) ये अपील है कि वो शांति बनाए रखें। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि दिल्ली की सीमाओं पर तनावपूर्ण स्थिति को शांत करने के लिए किसान यूनियनों से तुरंत बातचीत शुरू की जाए।

राहुल गांधी बोले- ये तो बस शुरुआत है
उधर, राहुल गांंधी ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया, पीएम मोदी को याद रखना चाहिए था जब-जब अहंकार सच्चाई से टकराता है, पराजित होता है। सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे किसानों को दुनिया की कोई सरकार नहीं रोक सकती। मोदी सरकार को किसानों की माँगें माननी ही होंगी और काले कानून वापस लेने होंगे। ये तो बस शुरुआत है!
 


क्या हम पाकिस्तान या चीन से आए हैं?: किसान

कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली जाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। एक किसान प्रदर्शनकारी ने बताया, "हमें प्रदर्शन करने का भी हक नहीं है, ऐसे बेरिकेड लगाए हैं जैसे कि हम पाकिस्तान या चीन से आए हैं। हम अपनी राजधानी में प्रदर्शन करने जा रहे हैं।"

यूपी के किसान भी दिल्ली-देहरादून हाईवे करेंगे जाम

कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब और हरियाणा के किसानों ने गुरुवार को दिल्ली पहुंचने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन ने उन्हें कई जगहों पर रोक दिया। बैरिकेड्स लगाए। वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया। फिर भी किसान पीछे नहीं हटे तो हरियाणा बॉर्डर पर प्रशासन ने सड़क ही खोद दी। हालांकि आज भी किसान दिल्ली चलो आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए राजधानी पहुंचने की कोशिश करेंगे। वहीं आंदोलन की हवा अब उत्तर प्रदेश तक पहुंच गई है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि यूपी का किसान सड़क पर उतरेगा। राकेश ने कहा कि यूपी के किसान दिल्ली-देहरादून हाईवे को जाम करेंगे।

कितने राज्यों के किसान शामिल हैं?

पंजाब के किसान सबसे आगे हैं। फिर हरियाणा के किसान हैं। उत्तर प्रदेश के किसानों ने भी शुक्रवार को हाईवे जाम करने का आह्वान किया है। वहीं मध्य प्रदेश के किसान भी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के नेतृत्व में दिल्ली पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है कि देशभर से करीब 500 संगठनों का समर्थन है।

3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं

1- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020  (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)

अभी क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों  में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं।

नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे। 
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे। 
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे। 
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी। 
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।

2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)

अभी क्या व्यवस्था है- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित है। अभी किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता। 

नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे। 
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी। 
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी। 
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी। 

3- आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill 

अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।

नए कानून से क्या फायदा-  
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। 
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।  
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है। 
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।

 

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