नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों को 32 दिन हो चुके हैं। दिल्ली के बॉर्डर जमे किसान 29 दिसंबर को सरकार से बात करने के लिए राजी हो गए हैं, लेकिन उन्होंने शर्त रखी है कि वो तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत करें।
नई दिल्ली. नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों को 32 दिन हो चुके हैं। दिल्ली के बॉर्डर जमे किसान 29 दिसंबर को सरकार से बात करने के लिए राजी हो गए हैं, लेकिन उन्होंने शर्त रखी है कि वो तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत करें। इस बीच पंजाब के एक वकील ने रविवार को दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन वाली जगह से कुछ दूर जहर खाकर खुदकुशी कर ली। किसान आंदोलन के दौरान का ये खुदकुशी का तीसरा मामला है।
वकील अमरजीत ने लिखा सुसाइड नोट
मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस के हवाले से बताया जा रहा है कि अमरजीत के पास से सुसाइड नोट बरामत किया गया है, जिसमें लिखा है कि 'वो केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ और किसानों के आंदोलन के समर्थन में अपनी जान दे रहा है, ताकि सरकार लोगों की आवाज सुनने के लिए मजबूर हो। इस काले कानूनों के कारण किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।' बताया जा रहा है कि अमरजीत पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद के रहने वाले थे और खेती भी किया करते थे।
पुलिस ने ये भी दावा किया है कि 'सुसाइड नोट पर 18 दिसंबर की तारीख लिखी हुई है। हरियाणा के झज्जर जिले के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 'उन्होंने मृतक के घरवालों को खबर दे दी है। उनके आने के बाद बयान दर्ज किए जाएंगे।'
प्रधानमंत्री के नाम भी वकील ने छोड़ा है नोट
सुसाइड से पहले अमरजीत सिंह ने प्रधानमंत्री के नाम भी एक लेटर छोड़ा है। इसका कुछ हिस्सा टाइप किया गया है और कुछ हिस्सा पैन से लिखा गया है। फिलहाल, पुलिस पहले से टाइप करके लाए गए इस पत्र की जांच कर रही है। पीएम के लिए छोड़े गए पत्र में लिखा है कि 'प्रधानमंत्री कुछ लोगों के ही बनकर रह गए। तीनों कृषि बिल किसान, मजदूर और आम आदमी का जीवन तबाह कर देंगे। किसानों, मजदूर और आम आदमी की रोजी-रोटी मत छीनो। इस आंदोलन में बताया जा रहा है कि सुसाइड को लेकर और ठंड की वजह से होने वाली मौतों को मिलाकर 30 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
इन्होंने ने भी की आत्महत्या
इससे पहले 16 दिसंबर को करनाल जिले के सिंघड़ा निवासी संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली है। उनकी उम्र 65 साल थी। वहीं, 20 दिसंबर को बठिंडा के रामपुरा फूल में गुरलाभ सिंह ने जहर खा लिया था। उनके घरवालों ने बताया था कि टीकरी बॉर्डर पर धरने से लौटने के बाद 2 दिन से परेशान था। परिवारवालों ने कहा था कि 'पता नहीं क्या होगा करोड़ों किसानों का।' इसे लेकर कहा गया कि वो सरकार के द्वारा नहीं लिए गए किसी ऐक्शन पर परेशान हो गया और वो सोच में पड़ गया।
किसानों ने किया मन की बात की विरोध
किसानों ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम का विरोध किया और किसानों ने थाली बजाकर पीएम का विरोध किया। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जैसे PM ने कहा था कि 'कोरोना थाली बजाने से भागेगा, उसी तरह किसान भी थाली बजा रहे हैं, ताकि कृषि कानूनों को भगाया जाए।' उन्होंने कहा खा कि 'ये सरकार के लिए संकेत है कि सरकार जल्द सुधर जाए। 29 दिसंबर को हम सरकार के साथ मुलाकात करेंगे। नया साल सबके लिए शुभ हो और अगर मोदी जी भी कानून वापस ले लें तो हम किसान भाइयों के लिए भी नया साल शुभ हो जाएगा।'
इसके साथ ही क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पालन ने बताया था कि 'पंजाब और हरियाणा में टोल स्थायी तौर पर खुले रहेंगे। 30 दिसंबर को सिघु बॉर्डर से ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। हम दिल्ली समेत पूरे देश के लोगों से अपील करते हैं कि यहां आकर हमारे साथ नया साल मनाएं।'
29 दिसंबर को सरकार से बातचीत करेंगे किसान
इससे पहले शनिवार को किसान संगठन सरककार से बातचीत करने के लिए तैयार नहीं थे। वो लगातार कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे। हालांकि अब किसान 29 दिसंबर को सरकार से बातचीत करने को तैयार हो गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया था कि बातचीत फिर शुरू की जाएगी। किसानों ने सरकार के साथ मीटिंग 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे रखी है, वो भी 4 शर्तों के साथ।
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किसानों ने रखी ये शर्तें
- तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत हो।
- मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में रहे।
- कमीशन फॉर द एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑर्डिनेंस के तहत सजा के प्रोविजन किसानों पर लागू नहीं हों। ऑर्डिनेंस में संशोधन कर नोटिफाई किया जाए।
- इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
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कल 100वीं किसान रेल को पीएम दिखाएंगे हरी झंडी
आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाएंगे। ये कार्गो ट्रेन महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार जाएगी। ये मल्टी-कमोडिटी ट्रेन फूलगोभी, शिमला मिर्च, गोभी, मुनगा, मिर्च और प्यार के साथ ही अंगूर, संतरा, अनार, केला, सेब जैसी खाने की चीजें लेकर जाएगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ये जानकारी दी।
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