हरियाणा में ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग ले रहीं महिलाएं, कहा- मार्च निकाल दिखाएंगे कि बैटल फील्ड में हम भी हैं

साफा खेरी गांव से आई सिकिम नैन ने कहा, उनके जिले से करीब 100 महिलाएं ट्रेनिंग सेंशन में शामिल होने के लिए आई हैं। ऐसा ही पूरे प्रदेश में भी है। 38 साल की नैन ने कहा, यह सरकार के लिए सिर्फ एक ट्रैलर है। 26 जनवरी को ट्रैक्टर के जरिए लाल किले तक मार्च निकाला जाएगा। यह एक ऐतिहासिक कार्यक्रम होगा। 

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर से मार्च निकालने की बात कही है। किसानों ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। हरियाणा में महिलाएं ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग ले रही हैं, जिससे कि वे मार्च में शामिल हो सकें। 

हरियाणा के खट्टर टोल प्लाजा पर जुटी महिलाएं
सोमवार को जींद-पटियाला नेशनल हाईवे पर खट्टर टोल प्लाजा में जींद जिले के लोगों के लिए आयोजित एक सत्र में प्रदेश में कई जगहों से आई महिलाएं ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण ले रही हैं।

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महिलाएं क्यों ट्रैक्टर चालने की ट्रेनिंग ले रही हैं?
दिल्ली बॉर्डर पर पुरुषों के साथ ही महिलाएं भी भारी संख्या में जुटी हुई हैं। विरोध प्रदर्शन का दूसरा महीना चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आंदोलन को अलग रूप देने के लिए महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा रहा है। ट्रैक्टर चलाकर महिलाओं विरोध प्रदर्शन में अपनी अलग भागीदारी को दिखाना चाहती हैं। हालांकि किसान संगठनों को उम्मीद है कि इससे उनका आंदोलन लोगों का ध्यान आकर्षित करेगा। किसान ये भी दिखाना चाहते हैं कि उनके पीछे उनका परिवार खड़ा है। 

पूरे हरियाणा से आईं महिलाओं को फ्री में ट्रेनिंग
खट्टर टोल प्लाजा पर हरियाणा में विभिन्न जगहों से आई महिलाओं को फ्री में ट्रेनिंग जा रही है। महिलाएं ट्रैक्टर को चालू करने से लेकर चलाने तक सबकुछ सीख रही हैं। 

एक महिला ने कहा- ये तो सिर्फ अभी ट्रैलर है
साफा खेरी गांव से आई सिकिम नैन ने कहा, उनके जिले से करीब 100 महिलाएं ट्रेनिंग सेंशन में शामिल होने के लिए आई हैं। ऐसा ही पूरे प्रदेश में भी है। 38 साल की नैन ने कहा, यह सरकार के लिए सिर्फ एक ट्रैलर है। 26 जनवरी को ट्रैक्टर के जरिए लाल किले तक मार्च निकाला जाएगा। यह एक ऐतिहासिक कार्यक्रम होगा। 

"अब बैटिल फील्ड में महिला शक्ति जुड़ चुकी है"
उन्होंने कहा, अब इस बैटिल फील्ड में वूमन पावर शामिल हो रही है। हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। हमें हल्के में मत लीजिए। यह आजादी की दूसरी लड़ाई है। अगर हम आज नहीं लड़ेंगे तो आगे आने वाली पीड़ियों को क्या जवाब देंगे।

"मैं राजपाल की घरवाली हूं, ट्रैक्टर सीखने आई हूं"
ट्रेनिंग लेने आई एक अन्य महिला ने कहा, खट्टर गांव है। राजपाल की घरवाली हूं। सरोज नाम है। 35 साल की इस महिला ने कहा, मैं किसान की बेटी हूं। सरकार ने हमपर बहुत अत्याचार किए हैं लेकिन अब हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। 

महिलाओं का यह काम एक बड़ी छलांग होगा
विजेंद्र सिंधु नाम के किसान ने कहा, महिलाएं खट्टर, सफा खेरी, बरसोला और पोखरी खेरी गांवों से ट्रेनिंग के लिए आ रही थीं। एक बुजुर्ग किसान सतबीर पहलवाल ने स्वीकार किया कि महिलाओं को यह कदम उठाने देना उनके लिए एक बड़ी छलांग है।

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