योगेंद्र यादव का आरोप- सरकार तथाकथित किसान नेताओं से बात कर रही, जो आंदोलन का हिस्सा नहीं, यह साजिश है

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 28वें दिन भी जारी है। इसी बीच स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। योगेंद्र यादव का आरोप है कि सरकार लगातार तथाकथित किसान नेताओं और संगठनों के साथ बातचीत कर रही है, जो हमारे आंदोलन से बिल्कुल भी जुड़े नहीं हैं।

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 28वें दिन भी जारी है। इसी बीच स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। योगेंद्र यादव का आरोप है कि सरकार लगातार तथाकथित किसान नेताओं और संगठनों के साथ बातचीत कर रही है, जो हमारे आंदोलन से बिल्कुल भी जुड़े नहीं हैं। यह हमारे आंदोलन को तोड़ने की कोशिश है। 

दरअसल, पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, प बंगाल, केरल समेत तमाम राज्यों के किसान नेताओं और संगठन ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात की है। इस दौरान इन किसान नेताओं ने कृषि कानूनों का समर्थन भी किया है। नरेंद्र तोमर ने बताया था कि 10 से ज्यादा राज्यों के किसानों ने नए कानूनों पर समर्थन दिया है। अब इन्हीं किसान नेताओं से मुलाकात पर योगेंद्र यादव ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। 

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सरकार को लिखा एक और पत्र
योगेंद्र यादव ने कहा, किसान संगठनों ने आज सरकार को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि सरकार को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा पहले लिखे गए पत्र पर सवाल नहीं उठाने चाहिए क्योंकि यह सर्वसम्मत निर्णय था। सरकार का नया पत्र किसान संघ को बदनाम करने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा, हम सरकार से अपील करते हैं कि उन प्रस्तावों को ना दोहराया जाए, जिन्हें किसान पहले ही नकार चुके हैं। अब ऐसे लिखित ठोस प्रस्ताव के साथ सरकार आए, ताकि उस एजेंडे पर बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो सके।

भाकियू नेता यधुवीर सिंह ने कहा, जिस तरह से केंद्र इस वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है, यह स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे पर देरी करना चाहती है और किसानों के विरोध का मनोबल तोड़ना चाहती है। मैं उन्हें इस मामले का संज्ञान लेने के लिए चेतावनी दे रहा हूं।

बातचीत के लिए माहौल बनाए सरकार
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने कहा, हम सरकार से अपील करते हैं कि बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाए। यहां तक की सुप्रीम कोर्ट ने यह तक कह दिया है कि कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को निलंबित किया जाए, ताकि बातचीत के लिए बेहतर माहौल बन सके। 

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