
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों (Agricultural Laws) के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन का एक साल हो गया। नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने सितंबर, 2020 में तीन कृषि कानून लागू करने का फैसला लिया था। इसके विरोध में 25-26 नवंबर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर जुटकर किसानों ने आंदोलन (Farmers Movement) शुरू किया था।
आंदोलन के एक साल पूरा होने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिया था और किसानों से घर लौटने की अपील की थी। प्रधानमंत्री की अपील के बाद भी किसान आंदोलन पर डटे हैं। किसान एमएसपी (MSP) समेत छह मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और 29 सितंबर को दिल्ली में दम दिखाने की तैयारी में हैं।
दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं किसान
संयुक्त किसान मोर्चा ने 29 नवंबर को संसद मार्च निकालने की घोषणा की है। 29 नवंबर से ही संसद का शीतकालीन शत्र शुरू होने जा रहा है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, समेत कई राज्यों से किसान हजारों की संख्या में ट्रैक्टर ट्रॉली के साथ दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। हरियाणा के सिरसा से भारी तादाद में किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं। किसान पहले सिरसा जिले के शहीद भगत सिंह स्टेडियम में पहुंचे और फिर वहां से दिल्ली के लिए रवाना हुए। पंजाब से किसान कार और ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार होकर दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि 27 नवंबर को बैठक होगी और हम आगे की योजना बनाएंगे।
किसानों के दिल्ली की ओर बढ़ने पर दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर दोबारा बैरिकेडिंग की है और जवानों की तैनाती बढ़ा दी गई है। पुलिस अधिकारियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच बैठक हुई है। बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि किसी को भी कानून व्यवस्था को तोड़ने की इजाजत नहीं दे सकते, लेकिन अगर कोई लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करके अपनी बात रखना चाहता है, तो उसे रोकेंगे भी नहीं।
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