स्नैचिंग से बैंक लूट तक की ट्रेनिंग: 2 लाख फीस-1 साल में चोर बनाने की गारंटी

मध्य प्रदेश के कुछ गांवों में बच्चों को चोर बनाने के लिए ट्रेनिंग सेंटर चलाए जा रहे हैं। माता-पिता खुद बच्चों को इन केंद्रों में दाखिल कराते हैं, जहां 2 से 3 लाख रुपये फीस देकर उन्हें चोरी, लूटपाट और पुलिस से बचने के तरीके सिखाए जाते हैं।

Sushil Tiwari | Published : Aug 20, 2024 11:58 AM IST / Updated: Aug 20 2024, 07:06 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में कुछ ऐसे गांव हैं, जिन्हें चोरों और अपराधियों का गढ़ माना जाता है। भोपाल से करीब 117 किलोमीटर दूर स्थित कादिया, गुलखेड़ी और हुलखेड़ी जैसे गांवों में पुलिस का भी जाना आसान नहीं होता। पुलिस के मुताबिक, इन गांवों में बच्चों को चोर बनाने के लिए ट्रेनिंग सेंटर चलाए जा रहे हैं। इन गांवों में बच्चों को चोरी, लूटपाट और पुलिस से बचने के तरीके सिखाने की व्यवस्था है। बारह-तेरह साल के बच्चों को उनके माता-पिता खुद इन सेंटर्स में दाखिल कराते हैं। बताया जाता है कि आपराधिक गुटों के सरगनाओं द्वारा चलाए जाने वाले इन केंद्रों में दो से तीन लाख रुपये तक फीस ली जाती है। 

इसके बाद बच्चों को अलग-अलग क्रिमिनल एक्टिविटीज की ट्रेनिंग दी जाती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बच्चों को जेबकतरी, भीड़भाड़ वाली जगहों पर बैग छीनना, तेजी से भागकर निकलना, पुलिस को चकमा देकर भागना और पकड़े जाने पर पुलिस से जानकारी छिपाने की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जब बच्चे गैंग में शामिल हो जाते हैं, तो उनके माता-पिता को गिरोह के सरगना द्वारा सालाना तीन से पांच लाख रुपये दिए जाते हैं।

Latest Videos

पिछले 8 अगस्त को जयपुर के एक आलीशान होटल में हुई एक शादी में डेढ़ करोड़ के जेवर और एक लाख रुपये नकद चोरी हो गए थे। यह शादी हैदराबाद के एक कारोबारी के बेटे की थी। दूल्हे की मां का बैग चोरी हो गया था। फंक्शन के दौरान मां ने जैसे ही अपना बैग एक जगह रखा, चोरी हो गई। बाद में पता चला कि चोरी करने वाला एक बच्चा था जो उस गैंग का हिस्सा था।

चोरी के बाद बच्चा और गैंग में शामिल लोग किदिया गांव पहुंचा। पुलिस से बचने के लिए उन्होंने कई तरीके अपनाए। पुलिस ने सही समय पर पीछा करके चोरों को गिरफ्तार कर लिया। जांच में यह भी पता चला है कि गिरोह ने पहले भी शादी समारोहों में इसी तरह की चोरियां की हैं। पुलिस का कहना है कि इस तरह के ट्रेंड चोरों को जेवरों की कीमत का अंदाजा होता है और उन्हें किसी ज्वेलर्स की मदद की जरूरत नहीं होती है।

पुलिस ऐसे इलाकों में तभी कार्रवाई कर पाती है, जब अलग-अलग थानों के जवानों की एक बड़ी टीम बनाई जाती है। 17 साल के बच्चों को बैंक डकैती तक के लिए तैयार किया जाता है। ज्यादातर अपराधों में बच्चे सीधे तौर पर शामिल होते हैं, इनको रोकने के लिए पुलिस के सामने कई चुनौतियां होती हैं। पुलिस का कहना है कि अगर कोई बाहरी व्यक्ति इन गांवों में प्रवेश करता है, तो इसकी जानकारी तुरंत सभी को मिल जाती है। इसमें महिलाएं भी मदद करती हैं।

पुलिस का कहना है कि गांव के अमीर लोग 20 लाख रुपये तक खर्च करके एक-दो साल के लिए बच्चों को किराये पर लेकर चोरी के काम में लगाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, इन गांवों के करीब दो हजार लोगों के खिलाफ देशभर में हजारों मामले दर्ज हैं।

Share this article
click me!

Latest Videos

OMG! यहां बीवियां हो जाती हैं चोरी, जानें कहां चल रहा ऐसा 'कांड'
धारा 370 पर मोदी ने खुलेआम दिया चैलेंज #Shorts
'तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी', Chandra Babu Naidu के बयान पर बवाल
करोलबाग हादसाः 'मां चिंता मत करना' 12 साल के अमन की मौत ने हर किसी को रुलाया
'कुत्ते की पूंछ की तरह सपा के दरिंदे भी...' जमकर सुना गए Yogi Adityanath #shorts