सोनिया गांधी ने किया सुपर पीएम जैसा काम, बिना पतवार के नाव जैसी थी UPA सरकार: निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में श्वत पत्र पर चर्चा के दौरान सोनिया गांधी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने यूपीए सरकार के दौरान सुपर पीएम के रूप में काम किया।

 

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में श्वेत पत्र पर चर्चा के दौरान भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और यूपीए सरकार (UPA government) पर चौतरफा हमला किया। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय सोनिया गांधी ने सुपर पीएम के रूप में काम किया। यूपीए सरकार बिना पतवार के नाव जैसी थी।

वित्त मंत्री ने 2004 से 2014 तक रहे कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार के दौरान देश की अर्थव्यवस्था की तुलना भाजपा के नेतृत्व वाले NDA सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था से की। उन्होंने 2013 की उस घटना का भी जिक्र किया जिसमें राहुल गांधी ने केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे अध्यादेश को फाड़ दिया था। राहुल गांधी को अहंकारी बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने ही प्रधानमंत्री का अपमान किया।

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यूपीए सरकार बिना नेतृत्व के चली

वित्त मंत्री ने यूपीए सरकार के दौरान हुए घोटाले गिनाए और कहा कि उनकी सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को Fragile Five कैटेगरी से बाहर निकाला। वित्त मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार नेतृत्व हीन थी, जिसके चलते समस्याएं पैदा हुईं। उन्होंने कहा, "समस्या की मूल में नेतृत्व था। यूपीए सरकार बिना नेतृत्व के चली। इसके चलते 10 साल में घोटाले और कुप्रबंधन हुए। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC) की अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी सुपर प्रधान मंत्री थीं। वह संविधान से ऊपर थी। उनके पास पूरी ताकत थी, लेकिन कोई जिम्मेदारी नहीं।"

 

 

NAC को सरकार ने 710 फाइलें क्यों भेजी?

सीतारमण ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी के पास एनएसी के अध्यक्ष के रूप में अतिरिक्त-संवैधानिक अधिकार था। इसके चलते मनमोहन सिंह की सरकार पर दबाव था। NAC को प्रधानमंत्री के लिए एक सलाहकार बोर्ड के रूप में स्थापित किया गया था। सरकार द्वारा 710 फाइलें "अनुमति" के लिए एनएसी को भेजी गई थीं। क्या वो कैबिनेट है? क्या वो संसद है? क्यों उनके हाथ में फाइलें भेजी गईं?

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वित्त मंत्री ने कहा, "पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का हम सब सम्मान करते हैं। उनके प्रधानमंत्री रहते हुए, ये संस्थान पर बात करते हैं, हमें लेक्चर देते हैं। मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री थे और विदेश में थे राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अध्यादेश को फाड़कर फेंका। क्या यह प्रधानमंत्री का अपमान नहीं है? उन्होंने खुद अपने और देश के प्रधानमंत्री का अपमान किया।

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