पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने गुरुवार को संसद में एक श्वेत पत्र पेश किया। अर्थव्यवस्था से संबंधित श्वेतपत्र में डॉ.मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार की आलोचना की गई थी।
PM Modi on Government White Paper: भारत सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर श्वेतपत्र जारी किया है। यह श्वेतपत्र, आम चुनाव से पहले पिछले संसद सत्र में पेश किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था को लेकर श्वेतपत्र पर अपना बयान दिया। पीएम ने कहा कि उनकी सरकार 2014 में ही सत्ता में आने पर अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र ला सकती थी लेकिन उन्होंने 'राजनीति' के बजाय 'राष्ट्रनीति' को चुना क्योंकि वह देश के आत्मविश्वास को हिलाना नहीं चाहते थे।
श्वेतपत्र में मनमोहन सिंह के यूपीए सरकार की आलोचना
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने गुरुवार को संसद में एक श्वेत पत्र पेश किया। अर्थव्यवस्था से संबंधित श्वेतपत्र में डॉ.मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार की आलोचना की गई थी। श्वेत पत्र में कांग्रेस शासन को नकारा करार देते हुए कहा गया कि मनमोहन सिंह सरकार ने अंधाधुंध राजस्व व्यय, बजट से बाहर उधार लेने और बैंकों पर खराब लोन्स के ढेर के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को गैर-निष्पादित अर्थव्यवस्था में बदल दिया था।
एक मीडिया हाउस के ग्लोबल बिजनेस समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 2014 से पहले के दशक में देश जिन नीतियों पर चल रहा था, वो देश को दिवालियापन की राह पर ले जा रही थीं। इस पर हमने संसद में अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र पेश किया है। जो श्वेत पत्र मैं अभी लेकर आया हूं, वो मैं 2014 में भी ला सकता था। अगर मेरा उद्देश्य होता तो अगर राजनीतिक लाभ लेना होता तो मैं ये आंकड़े 10 साल पहले ही लोगों के सामने रख देता।
इसलिए लाया दस साल बाद श्वेतपत्र
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब 2014 में चीजें मेरे सामने आईं तो मैं दंग रह गया। अर्थव्यवस्था गंभीर स्थिति में थी। घोटालों और नीतिगत पंगुता के कारण वैश्विक निवेशकों में व्यापक निराशा थी। अगर मैं इन चीजों को प्रकाश में लाता तो यह एक गलत संकेत होता। शायद देश का भरोसा खत्म हो जाता, जैसे किसी मरीज को पता चलता है कि उसे कोई गंभीर बीमारी है, तो वह घबरा जाता है और देश को भी वैसा ही महसूस होता।
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में श्वेत पत्र लाना उनके लिए राजनीतिक रूप से अनुकूल होता। राजनीति मुझे ऐसा करने के लिए कहती है लेकिन 'राष्ट्रनीति' मुझे ऐसा करने की अनुमति नहीं देती है। इसलिए मैंने 'राजनीति' के बजाय 'राष्ट्रनीति' को चुना। जब 10 वर्षों में स्थिति मजबूत हो गई है तो हमने सच सामने लाया।
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