भैंसों ने तोड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस की नाक, RPF ने केस कर मालिकों से कहा- क्यों की ऐसी खता, अब मिलेगी सजा

वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat express) से भैंसों के टकराने के मामले में पुलिस ने भैंसों के मालिकों के खिलाफ केस दर्ज किया है। टूटे हुए नोज कोन को बदल दिया गया है। भैंसों के मालिकों की पहचान नहीं हुई है। 

मुंबई। पिछले दिनों गुजरात के गांधीनगर से मुंबई के बीच सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat express) की शुरुआत हुई थी। गुरुवार को अहमदाबाद के करीब रेलवे ट्रैक पार कर रहीं भैसों से वंदे भारत एक्सप्रेस की टक्कर हो गई थी। इस घटना ने रेलवे ट्रैक पर घूमने वाले आवारा जानवरों से पैदा होने वाले खतरे को लेकर बहस शुरू हो गई थी। 

आरपीएफ (Railway Protection Force) द्वारा भैसों के अज्ञात मालिकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। आरपीएफ द्वारा मानों भैंसों के मालिकों के कहा गया है कि जानवरों को खुला छोड़ने की खता उन्होंने क्यों की और इसकी सजा भुगतनी होगी। भैंसों की टक्कर से वंदे भारत एक्सप्रेस का नोज कवर क्षतिग्रस्त हो गया था। इसे बदल दिया गया है। 

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चार भैंसों की हुई थी मौत
वंदे भारत ट्रेन गुरुवार सुबह करीब 11.15 बजे अहमदाबाद के पास भैंसों के झुंड से टकरा गई थी। इस घटना में चार भैंसों की मौत हो गई थी। टक्कर से ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। क्षतिग्रस्त हुए नोज कोन कवर को मुंबई में बदल दिया गया है। पश्चिम रेलवे के प्रवक्ता जितेंद्र कुमार जयंत ने कहा कि आरपीएफ ने अहमदाबाद में वटवा और मणिनगर रेलवे स्टेशनों के बीच वंदे भारत ट्रेन के रास्ते में आने वाली भैंसों के अज्ञात मालिकों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

वटवा रेलवे स्टेशन पर तैनात आरपीएफ इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा ने कहा कि रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 147 के तहत FIR दर्ज की गई है। अभी तक भैंसों के मालिकों की पहचान नहीं हुई है। उनकी पहचान की कोशिश चल रही है। घटना अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में वटवा रेलवे स्टेशन के पास पुनीतनगर इलाके में हुई थी।

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इंजन को नहीं हुआ था नुकसान
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर ने कहा कि मवेशियों की चपेट में आने से ट्रेन के ड्राइवर कोच का नोज कोन कवर और उसके माउंटिंग ब्रैकेट क्षतिग्रस्त हो गए थे। ट्रेन के महत्वपूर्ण हिस्सों को नुकसान नहीं हुआ था। टूटे हुए नोज कोन कवर को मुंबई सेंट्रल के कोच केयर सेंटर में बदल दिया गया। भैंसों से टक्कर के बाद ट्रेन ने गांधीनगर कैपिटल स्टेशन से मुंबई सेंट्रल तक की दूरी बिना नोज कवर पैनल के तय की थी। नोज कोन को इस तरह डिजाइन किया गया है कि टक्कर होने पर यह अधिकतर झटका खुद सह ले और इंजन के हिस्से को नुकसान होने से बचाए।

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