नागरिकता कानून से शुरू हुआ विवाद अब डिटेंशन सेंटर पर पहुंच गया है। अब इन सेंटर को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। यहां तक की कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ये कह दिया कि आरएसएस का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत माता से झूठ बोलता है।
नई दिल्ली. नागरिकता कानून से शुरू हुआ विवाद अब डिटेंशन सेंटर पर पहुंच गया है। अब इन सेंटर को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। यहां तक की कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ये कह दिया कि आरएसएस का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत माता से झूठ बोलता है। वहीं, भाजपा ने राहुल गांधी को झूठों का सरदार तक बता दिया। भाजपा का कहना है कि असम में यूपीए के टाइम से ही डिटेंशन सेंटर है।
असम में पहला डिटेंशन सेंटर कब बना?
- डिटेंशन सेंटर बनाने का फैसला 2009 में कांग्रेस ने लिया था। उस वक्त जेलों को ही डिटेंशन सेंटर में तब्दील किया गया था। 13 दिसंबर 2011 को तत्कालीन गृह राज्यमंत्री एम रामचंद्रन ने लोकसभा में जवाब दिया था कि असम में नवंबर 2011 तक 3 डिटेंशन सेंटर बनाए गए। ये गोलपारा, कोकराझार और सिलचर में बने थे और इनमें 362 अवैध प्रवासियों को रखा गया है। डिटेंशन सेंटर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बना।
मौजूदा वक्त में असम में कितने डिटेंशन सेंटर हैं
3 दिसंबर 2019 को एआईयूडीएफ सांसद बदरूद्दीन अजमल ने असम में डिटेंशन सेंटर को लेकर सरकार से सवाल पूछा था। इसका जवाब गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने दिया था। रेड्डी ने बताया था कि असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं। 28 नवंबर 2019 तक इनमें 324 महिलाओं समेत 970 लोग रह रहे हैं।
4 बार केंद्र ने राज्यों से डिटेंशन सेंटर बनाने को कहा
- 2009 में केंद्र सरकार ने पहली बार राज्यों को डिटेंशन सेंटर बनाने को कहा।
- इसके बाद 2012, 2014 और 2018 में भी सेंटर बनाने के निर्देश जारी किए गए।
- जनवरी 2019 में गृह मंत्रालय एक बार फिर डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए गाइडलाइंस जारी की।
असम एकॉर्ड के बाद कितने विदेशी घोषित किए गए?
असम में राजीव गांधी की सरकार के दौरान 1985 में असम एकॉर्ड साइन किया गया था। यह अवैध प्रवासियों और घुसपैठियों को रोकने के लिए लाया गया था। इसके तहत यह तय हुआ था कि 24 मार्च 1971 से पहले राज्य में आने वाले लोग ही भारत के नागरिक माने जाएंगे, दरअसल, इसी वक्त पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना था। इसके बाद बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी भारत आए थे। इसी साल जुलाई में एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया था कि असम में 1985 से फरवरी 2019 तक 63,959 लोगों को फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित किया।