भारत की पहली ट्रांसजेंडर न्यायाधीश जोयिता मंडल ने अपने समुदाय के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की है। जोयिता 16 दिसंबर को इंदौर में आयोजित संस्कृति और साहित्य उत्सव लिट चौक में भाग लेने आई थीं।
इंदौर(Indore). भारत की पहली ट्रांसजेंडर न्यायाधीश जोयिता मंडल( India's first transgender Judge Joyita Mondal) ने अपने समुदाय के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की है। उन्होंने ट्रांसजेंड के लिए इसकी आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि पुलिस फोर्स और रेलवे जैसे क्षेत्रों में उनके प्रवेश से उनके प्रति समाज का नजरिया बदलेगा और उनकी उन्नति में मदद मिलेगी।
मंडल ने कहा कि उनके समुदाय को भी देश में पर्याप्त संख्या में शेल्टर होम्स की जरूरत है और सरकार को इस संबंध में एक योजना शुरू करनी चाहिए। जोयिता मंडल ने शुक्रवार(16 दिसंबर) को इंदौर में आयोजित संस्कृति और साहित्य उत्सव लिट चौक(culture and literature festival Lit Chowk) में भाग लेने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा-"ट्रांसजेंडर समुदाय को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर मेरे पास नौकरी नहीं है, तो मुझे कौन खिलाएगा?"
जोयिता ने कहा कि यदि आरक्षण के आधार पर ट्रांसजेंडर व्यक्ति पुलिस बल और रेलवे में शामिल होते हैं, तो इससे न केवल समुदाय के सदस्यों को जीवन में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके प्रति समाज का दृष्टिकोण भी बदलेगा। जोयिता ने कहा कि अधिकारियों को अपने समुदाय के सदस्यों और उनके सामने आने वाली समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए।
मंडल को 2017 में पश्चिम बंगाल में इस्लामपुर की लोक अदालत में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह देश में इस तरह का पद संभालने वाली अपने समुदाय की पहली व्यक्ति बनीं।
2018 की शुरुआत में, ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता विद्या कांबले को महाराष्ट्र के नागपुर में एक लोक अदालत में सदस्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उसी साल बाद में देश को तीसरा ट्रांसजेंडर जज स्वाति बिधान बरुआ मिला, जो गुवाहाटी की रहने वाली हैं।
पिछले हफ्ते, एक ऐतिहासिक फैसले में महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि थर्ड जेंडर के सदस्य पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए आवेदन कर सकते हैं और फरवरी 2023 तक उनके फिजिकल टेसट के लिए स्टैंडर्ड तय करने वाले नियम बनाएंगे।
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