demonetisation anniversary: एक आइडिया; जिसने बदल दी लोगों की जिंदगी, सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है 'नोटबंदी'

Published : Nov 08, 2021, 08:25 AM ISTUpdated : Nov 08, 2021, 08:35 AM IST
demonetisation anniversary: एक आइडिया; जिसने बदल दी लोगों की जिंदगी, सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है 'नोटबंदी'

सार

नोटबंदी(demonetisation) को 8 नवंबर, 2021 को पूरे 5 साल हो गए। नोटबंदी का मामला सोशल मीडिया पर ट्रेंड में हैं। विपक्ष हमेशा से ही इसे PM मोदी का गलत फैसला बताता रहा है, लेकिन यह आइडिया देने वाले अर्थशास्त्री इसे सफल बताते हैं।

नई दिल्ली. नोटबंदी(demonetisation) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) का एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक(masterstroke) माना जाता रहा है, जिसने लोगों की जिंदगी बदल दी। नोटबंदी 8 नवंबर, 2016 की आधी रात से लागू की गई थी। यानी इसे पूरे 5 साल हो गए हैं। नोटबंदी को विपक्षी पार्टियां हमेशा से ही गलत ठहराती रही हैं। लेकिन जिस अर्थशास्त्री(economist) अनिल बोकिल ने यह आइडिया PM मोदी को दिया था, इसे वे सफल मानते हैं। पुणे के अर्थशास्त्री प्रतिष्ठान के प्रमुख अनिल बोकिल ने 'दैनिकभास्करडॉटकॉम' से बातचीत करते हुए इसे ब्लैकमनी और फेक करेंसी रोकने की दिशा में एक सफल कदम बताया।

इसके अलावा भारत के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था
अनिल बोकिल के मुताबिक, इस समय डिजिटल इकोनॉमी तेजी से बढ़ी है। अगर भारत तरक्की कर रहा है, तो इसके पीछे इसका बड़ा रोल है। भारत के पास डिजिटल इकोनॉमी होने के कारण ही विदेशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign direct investment-FDI) आ रहा है। यानी सीधे तौर पर इन्वेस्ट हो रहा है। डिजिटल इकोनॉमी से ट्रांसपेरैंसी बढ़ी है। साहूकारी प्रथा पर लगाम लगी है। ब्याज की दरें कम हुई हैं। बेनामी सम्पत्तियों में कमी आ रही है। बोकिल कहते हैं कि नोटबंदी से पहले 86 प्रतिशत बड़े नोट यानी 500 और 1000 रुपए सर्कुलेशन में थे, इस समय सिर्फ 18 प्रतिशत हैं। यानी इस समय 28 लाख करोड़ रुपए के 2 हजार के नोट सर्कुलेशन में हैं। इससे फेक करेंसी कम हुई है। इस समय 50-55 प्रतिशत 500 के नोट सर्कुलेशन में हैं। 200 के नोट 14-15 प्रतिशत हैं। यानी बड़े नोट ब्लैकमनी को बढ़ावा दे रहे थे। अगर कोरोनाकाल के बाद भारत की GDP की ग्रोथ बढ़ी है, तो इसके पीछे नोटबंदी ही है। 100 करोड़ लोगों को वैक्सीनेशन, देश की 80 प्रतिशत गरीब जनता को फ्री में राशन, किसानों के खाते में 2000 रुपए यह सब डिजिटल करेंसी की वजह से हुआ। अगर नोटबंदी नहीं होती, तो डिजिटल करेंसी का प्रचलन नहीं बढ़ता। तब इन लोगों को नगद पैसा देना पड़ता, जो संभव नहीं था।

बोकिल ने ही दिया था मोदी को आइडिया
महाराष्ट्र के लातूर में जन्मे 53 साल के अनिल बोकिल मूलत: मैकेनिकल इंजीनियर हैं। हालांकि बाद में उन्होंने इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की और PHD की। बोकिल के मुताबिक, नोटबंदी से 3 साल पहले उन्होंने यह आइडिया मोदी को सुनाया था। तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थी। उन्हें सिर्फ 9 मिनट मुलाकात का समय दिया गया था, लेकिन मोदी ने उनसे 2 घंटे तक चर्चा की। बोकिल मानते हैं कि नोटबंदी देश के लिए सफल रही। मोदी अपने मकसद में कामयाब रहे।

सोशल मीडिया पर ब्लैक डे
नोटबंदी को लेकर कइयों में नाराजगी भी है। वे इसे मोदी का गलत फैसला बताते हैं। twitter पर #Black_Day_Indian_Economy ट्रेंड में है। इसमें लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।

#5वीं पुण्यतिथि पर, मेरी हार्दिक संवेदना !!

#भारतीय इतिहास में नोटबंदी को काला दिन के रूप में जाना जाएगा।
#किसानों का विरोध #काला_दिवस_भारतीय_अर्थव्यवस्था, कितना काला धन लौटाया? क्या आतंकवाद खत्म हो गया है? अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या है?

#नोटबंदी इतनी सफल रही कि किसी भी भाजपा नेता या उनके सहयोगियों ने अपने भाषणों में इस बारे में कभी बात नहीं की।
 

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