
Floods in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (HPSDMA) के मुताबिक, इस साल मानसून ने हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही मचाई है। 20 जून से अब तक 263 लोगों की जान जा चुकी है। कुल मौतों में से 136 मौतें भूस्खलन, अचानक आई बाढ़, बादल फटने, डूबने और बिजली का झटका लगने जैसी वर्षाजनित घटनाओं के चलते हुई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इसी दौरान अलग-अलग सड़क हादसों में 127 लोगों की जान चली गई। मूसलाधार बारिश ने पूरे राज्य को तहस-नहस कर दिया है। पूरे राज्य में 2173 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
इस साल मानसून के चलते हुई भारी बारिश और भू-स्खलन की घटनाओं के चलते कुल मिलाकर 31000 से ज्यादा घर, दुकानें, मजदूरों की झोपड़ियां और गौशालाओं को नुकसान पहुंचा है। इनमें पूरी तरह और आंशिक रूप से ढहे घर भी शामिल हैं। बुनियादी ढांचे की बात करें तो 2201 सड़कें बाधित हैं, जिसके चलते कनेक्टिविटी बाधित हो रही है। इसके अलावा 2550 पेयजल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हुई हैं, जबकि 1145 बिजली आपूर्ति लाइनें ठप हो गई हैं, जिससे कई इलाके अंधेरे में डूब गए हैं।
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हिमाचल प्रदेश में बारिश के चलते करीब 2173 करोड़ रुपए की सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का आकलन लगाया गया है। बरसात और भूस्खलन के चलते 1626 मवेशियों की मौत हो गई, जबकि 25700 से ज्यादा मुर्गियां बारिश में बह गईं। हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से बताया गया कि राज्य के सभी जिलों में मौतें हुई हैं, लेकिन सबसे ज्यादा असर मंडी, कांगड़ा, किन्नौर और कुल्लू में हुआ है। सिर्फ 17 अगस्त को सड़क दुर्घटनाओं में चंबा और कांगड़ा जिलों में एक-एक मौत हुई थी।
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश जारी रहने की उम्मीद है, जिससे आगे भी भूस्खलन और बाढ़ का खतरा बना हुआ है। इसके अलावा, 18 अगस्त की सुबह तक तीन राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच-305, एनएच-05 और एनएच-03) सहित 397 सड़कें अवरुद्ध हैं, जबकि 883 डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफार्मर (DTR) और 122 जलापूर्ति योजनाएं बारिश से हुए नुकसान के कारण काम नहीं कर रही हैं।
सड़क संपर्क के मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित जिला मंडी हैं, जहां 192 सड़कें अवरुद्ध हैं। इसके अलावा कुल्लू में 85 और चंबा में 29 सड़कें बाधित हुई हैं। कुल्लू (543 ट्रांसफार्मर बाधित) और मंडी (303 ट्रांसफार्मर बाधित) में बिजली आपूर्ति सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। इन्हें ठीक करने का काम युद्धस्तर पर जारी है, लेकिन बीच-बीच में हो रहे भूस्खलन, पत्थर गिरने और अचानक बाढ़ के कारण काम में बाधा आ रही है।
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