इस्तीफे के बाद हरसिमरत कौर का यूटर्न, बोलीं- मैंने कभी अध्यादेश को किसान विरोधी नहीं कहा

पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने एक इंटरव्यू में अपने स्वर बदल लिए हैं। मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा संसद से पारित किए गए तीन कृषि अध्यादेशों के मामले में इस्तीफा दे चुकी शिरोमणि अकाली दल (SAD) से सांसद हरसिमरत ने कहा उन्होंने कभी इस अध्यादेश को किसान विरोधी नहीं बताया।

Asianet News Hindi | Published : Sep 19, 2020 5:37 AM IST / Updated: Sep 19 2020, 11:30 AM IST

नई दिल्ली. मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा संसद से पारित किए गए तीन कृषि अध्यादेशों के मामले में इस्तीफा दे चुकी पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने एक इंटरव्यू में अपने स्वर बदल लिए हैं। शिरोमणि अकाली दल (SAD) से सांसद हरसिमरत ने कहा उन्होंने कभी इस अध्यादेश को किसान विरोधी नहीं बताया।

लोकसभा में मोदी सरकार द्वारा पारित तीन कृषि अध्यादेशों का पंजाब, हरियाणा समेत देश के कईं हिस्सों में विरोध हो रहा है। इसी बीच गुरुवार को हरसिमरत ने केंद्रीय मंत्री के अपने पद से इस्तीफा दे देते हुए कहा था कि संसद द्वारा पारित किसान विरोधी अध्यादेशों और कानूनों के विरोध में उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों की बहन और बेटी होने के नाते वे गर्व के साथ किसानों के पक्ष में खड़ी हैं। हालांकि अब इंडिया टूडे को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश को उन्होंने कभी किसान विरोधी नहीं बताया। उन्होंने कहा ये अध्यादेश किसानों के हितों की रक्षा और उनके लाभ के लिए ही लाए गए हैं।

क्या हैं कृषि अध्यादेश

पहला अध्यादेश राज्यों के कृषि उत्पाद मार्केट कानूनों (राज्य APMC Act) के अंतर्गत अधिसूचित बाजारों के बाहर किसानों की उपज के फ्री व्यापार की सुविधा देता है। सरकार का कहना है कि इस बदलाव के जरिए किसानों और व्यापारियों को किसानों की उपज की बिक्री और खरीद से संबंधित आजादी मिलेगी जिससे फसल के अच्छे दाम भी मिलने की संभावना बढ़ेगी।

दूसरे अध्यादेश में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात है जिसमें सरकार का कहना है कि यह अध्यादेश किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर प्रोसेसर्स, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगा जिससे किसानों की आय में सुधार होगा।
 

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