जनधन से GST तक...देश के लिए अरुण जेटली के 10 धांसू योगदान

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की 66 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में शनिवार को कैंसर की बीमारी के चलते निधन हो गया। जेटली काफी लंबे समय से बीमार थे। उन्हें एम्स में 9 अगस्त, 2019 को आईसीयू में भर्ती कराया गया था।

नई दिल्ली. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की 66 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में शनिवार को कैंसर की बीमारी के चलते निधन हो गया। जेटली काफी लंबे समय से बीमार थे। उन्हें एम्स में 9 अगस्त, 2019 को आईसीयू में भर्ती कराया गया था। जेटली कानूनी और राजनीतिक मुद्दों पर अच्छी समझ रखने वाले नेता थे। उन्होंने छात्र जीवन से ही अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत कर दी थी। अपने कॅरियर में कानून के एक प्रख्यात जानकार से लेकर वित्त मंत्री तक की भूमिका अदा की। उनके कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए अहम फैसले लिए गए थे, जिनमें उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी और जब भी इन फैसलों के बारे में बात की जाएगी तो जेटली को याद किया जाएगा। 

1. गुड्स एंड सर्विस टैक्स ( GST)

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गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी की GST को मोदी सरकार का और अर्थव्यवस्था सुधार के लिए अबतक का सबसे बड़ा फैसला माना जाता है। इस टैक्स को लागू कराने में जेटली की ही अहम भूमिका रही। देश को इसके लिए मनाना किसी के बस की बात नहीं थी लेकिन लोगों को मनाने का श्रेय उन्हें ही जाता है। जुलाई 2017 में जब GST लागू हुई तब शुरुआत में तमाम समस्याएं आईं और व्यापारियों ने इस कदम का स्वागत नहीं किया। लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री जेटली ने धैर्य के साथ काम लिया और जीएसटी फाइलिंग प्रक्रिया को आसान और बिजनस फ्रेंडली बनाने के साथ-साथ टैक्स दरों को संशोधित कर आम उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने वाला बनाया। 

2.  जनधन योजना 

पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी जनधन योजना की कामयाबी का श्रेय अरुण जेटली को ही जाता है। इस योजना के तहत बैंको में आम लोगों के लिए अवसर खुले और वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़े के मुताबिक 3 जुलाई 2019 तक कुल 36.06 करोड़ जनधन खाते खुल चुके थे। इन खातों के जरिए बैंकों के पास 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जमा है। 

3.बजट सुधार 

अरुण जेटली के ही नेतृत्व में बजट सुधार हुए। आम बजट में ही रेल बजट को शामिल किया और बजट पेश करने का वक्त 1 फरवरी जेटली के नेतृत्व में तय किया गया। 

4. NPA की सफाई 

मोदी सरकार की उनके पहले कार्यकाल में नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) की बढ़ती समयस्या से निपटने के लिए जेटली ने ही मदद की थी। उन्होंने बहुत हद तक इसे रोकने में कामयाबी हासिल की। उन्हीं की देखरेख में बैंकिंग सेक्टर में NPA की सफाई शुरू हुई। इसका फायदा यह हुआ कि सार्वजनिक क्षेत्र के घाटे में चल रहे बैंक धीरे-धीरे प्रॉफिट में आने लगे। 

5. FDI में इजाफा 

Foriegn Direct Investement (FDI) में ढील देने का श्रेय भी जेटली को ही जाता है। ये फैसला डिफेंस, इंश्योरेंस और एविएशन जैसे सेक्टर के फायदे के लिए लिया गया। FIPB (फॉरन इन्वेंस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड) को भंग किया गया। इन कदमों से FDI में इजाफा देखने को मिला। 2014 में जहां भारत में 24.3 अरब डॉलर की FDI आई थी वहीं आने वाले वर्षों में यह लगातार बढ़ते हुए 2019 में 44.4 अरब डॉलर तक पहुंच गई। 

6. राजकोषीय घाटे और महंगाई पर नियंत्रण 

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में राजकोषीय घाटे और महंगाई पर नियंत्रण पाने में जेटली की बड़ी उपलब्धि है। 2014 में भारत का राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत था, जो अप्रैल 2019 में घटकर 3.4 प्रतिशत पर आ गया। इसी तरह 2014 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 9.5 था जो अप्रैल 2019 में 2.92 दर्ज किया गया। 

7. बैंकों का एकीकरण 

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने की जरूरत हर सरकार ने बताई थी। लेकिन इस काम की शुरुआत भी जेटली ने ही की थी। बैंकों का एकीकरण जेटली के महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल है। इस फैसले से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत में सुधार हुआ। 

8. मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी का गठन 

2016 में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) का गठन करने में अरुण जेटली का खासा योगदान रहा था। इस कमेटी के तहत ही ब्याज दरों को तय किया जाता है। इसकी अगुआई RBI गवर्नर करते हैं। कमिटी में 6 सदस्य होते हैं जिनमें RBI से 3 और 3 सदस्य ही सरकार की तरफ से तय किए जाते हैं। साल में MPC की कम से कम 4 बैठकें जरूरी हैं।   

9. विनिवेश पर फैसला 

1999 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विनिवेश विभाग का गठन किया था। इस विभाग की जिम्मेदारी जेटली को दी गई थी। जेटली के कामों का ही नतीजा था कि वाजपेयी ने 2001 में अलग से विनिवेश मंत्रालय का गठन किया। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम की गई थी। विनिवेश मंत्री के तौर पर शौरी अगर कामयाब हुए तो उसके पीछे जेटली द्वारा खड़ी की गई बुनियाद थी।

10. इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC)
 
जीएसटी के अलावा इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) की भी गिनती भी आर्थिक सुधारों में अहम रूप से की जाती है। इसे लाने का श्रेय भी जेटली को ही जाता है। बैंकिंग व्यवस्था में ढांचागत सुधार के तहत यह कानून बनाया गया। पहले कंपनियां और पूजीपती बैंक से बड़े-बड़े कर्ज लेकर उसे गटक जाते थे, जिसे रोकने के लिए एक लगाम की जरूरत थी। इसके चलते जेटली ने इस समस्या से निपटने के लिए IBC कानून दिया। इसका सकारात्मक असर भी दिखाई दे रहा है।
 

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